
रुद्रपुर की धरती इन दिनों धर्म, संस्कृति और लोक आस्था के उल्लास से सराबोर है। एक ओर जय नगर नंबर 3 में श्री शिव शक्ति सामाजिक एवं धार्मिक सेवा समिति के तत्वावधान में श्री अवध रामलीला मंचन का शुभारंभ हुआ, तो दूसरी ओर शर्मा डेरा फुलसुंगा में आयोजित भव्य श्री श्याम संकीर्तन ने भक्ति की गंगा प्रवाहित कर दी। दोनों आयोजनों ने यह साबित कर दिया कि रुद्रपुर की आत्मा आज भी संस्कृति और श्रद्धा की परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
रामलीला का भव्य शुभारंभ — संस्कृति की जीवंत झलक
श्री अवध रामलीला मंचन का शुभारंभ सोमवार को पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने फीता काटकर और दीप प्रज्वलित कर किया। पहले ही दिन मंच पर नारद मोह और रावण तपस्या जैसे प्रसंगों का सजीव अभिनय हुआ, जिसने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। देर रात तक चले मंचन में कलाकारों की अदाकारी, संवादों की गूंज और पारंपरिक परिधानों ने वातावरण को पूरी तरह राममय बना दिया।
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि राजकुमार ठुकराल के साथ विशिष्ट अतिथि संजय ठुकराल और आनंद शर्मा को मंच पर सम्मानित किया गया। इस मौके पर पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने कहा कि “रामलीला केवल धार्मिक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, आदर्शों और जीवनमूल्यों की जीवंत अभिव्यक्ति है।” उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से हमें सत्य, संयम और कर्तव्यनिष्ठा का पाठ मिलता है।
समिति के अध्यक्ष शक्ति सिंह, उपाध्यक्ष बसंत सिंह, महासचिव श्याम सिंह, सचिव संदीप सिंह, उपसचिव रणधीर सिंह, कोषाध्यक्ष वेद प्रकाश पाल, उपकोषाध्यक्ष संजय सिंह और संरक्षक चंद्रभान सिंह सहित समिति के तमाम सदस्य आयोजन में अग्रणी भूमिका में रहे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रदीप सिंह, धर्म सिंह, अनिल सिंह, कन्हैया सिंह, हिमांशु शर्मा, चंद्रदेव सिंह, बब्बन सिंह, ओम नारायण मौर्य, राजेश सिंह, कमल सिंह, सूरज सिंह, प्रेमपाल, विक्रम सिंह, धर्मेंद्र सिंह, नारायण, रणजीत सिंह, कुलदीप सिंह, अंकित सिंह, नितिन सिंह, समर बहादुर सिंह, सत्येंद्र कुमार, नन्हे भगत, मनजीत सिंह, राज भूषण सिंह, डॉ. संजीव राय, जैल सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, अमर सिंह, मंगल सिंह, प्रवीण सिंह, रामकरण, बृजनारायण सिंह, भानु प्रताप सिंह, संजय सिंह, विशाल सिंह, कुंवर सिंह, नीरज सिंह, सुरजीत सिंह, लक्ष्मण सिंह, ध्रुव सिंह, संजीत सिंह, सत्येंद्र सिंह और राकेश सिंह सहित बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीणों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
शर्मा डेरा में श्री श्याम संकीर्तन — भक्ति की अविरल धारा
इसी क्रम में शर्मा डेरा फुलसुंगा में आयोजित भव्य श्री श्याम संकीर्तन ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। स्थानीय निवासी आशुतोष शर्मा द्वारा आयोजित इस संकीर्तन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और पूरा परिसर “श्याम मय” वातावरण में डूब गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विधिवत ज्योति प्रज्वलित कर किया गया।
संकीर्तन में पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने भी शिरकत कर श्याम बाबा की भक्ति में भागीदारी निभाई। उन्होंने कहा— “भक्ति में जो शक्ति है, वह समाज को जोड़ने, हृदयों को एक करने और व्यक्ति को आंतरिक रूप से सशक्त बनाने का माध्यम है। ऐसे आयोजन सामाजिक सौहार्द और सांस्कृतिक एकता के प्रतीक हैं।”
प्रसिद्ध भजन गायक अमन मिश्री (वृंदावन), नीलम गंगोला और हिमांशु पारीक की प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। “खाटू वाले का बुलावा आया है” और “श्याम तेरे बिना क्या मोल मेरी जिंदगी का” जैसे भजनों पर पूरा पंडाल झूम उठा।
कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, भजन गायकों और अन्य विशिष्ट अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर अजय तिवारी, संजय ठुकराल, वार्ड नंबर 1 के पार्षद पवन राणा, मनीष पांडे, हृदय नारायण शर्मा, विश्व शंकर शर्मा, सत्य प्रकाश शर्मा, सत्यजीत शर्मा, संतोष पांडे, संदीप तिवारी समेत क्षेत्र के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संकेत
रुद्रपुर में आयोजित इन दोनों आयोजनों ने यह संदेश दिया कि भक्ति और संस्कृति जब एक साथ आती हैं, तो समाज में न केवल नैतिकता का संचार होता है, बल्कि पीढ़ियों के बीच एक अटूट भावनात्मक संबंध भी बनता है।
पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की उपस्थिति और उनके प्रेरक विचारों ने आयोजनों को विशेष ऊंचाई दी। यह स्पष्ट है कि रुद्रपुर की सांस्कृतिक चेतना आज भी जीवित है और समाज में आस्था, एकता और लोकमूल्यों की लौ प्रज्वलित रखे हुए है।
निष्कर्षतः,
रामलीला के मंच से लेकर श्याम संकीर्तन के पंडाल तक—रुद्रपुर ने एक बार फिर यह प्रमाणित किया है कि जब धर्म और संस्कृति मिलते हैं, तो समाज में केवल आयोजन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक उत्सव जन्म लेता है, जो जनमानस को दिशा देने का कार्य करता है।


