उत्तराखंड सहकारिता चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव पर हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई रोक को हटा दिया है। फैसला आते ही राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण चुनाव तैयारी में जुट गया है।

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670 सहकारी समितियों में शेष 54 समितियों के चुनाव के लिए जल्द नया नोटिफिकेशन जारी होगा। समिति स्तर के चुनाव संपन्न होते ही जिला और राज्य स्तरीय संघों के चुनाव होंगे। लेकिन महिला आरक्षण और वोटिंग अधिकार पर भाजपा में दो गुट बन गए हैं।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

सहकारिता चुनाव में इस बार सरकार ने दो बदलाव किए थे। इन बदलावों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। सहकारी चुनावों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण और नए वोटरों को बिना किसी लेनदेन के भी मतदान का अधिकार देने पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट में रिट दाखिल की गई थी। इस बीच 92 प्रतिशत सहकारी समितियों में चुनाव संपन्न हो चुके थे। आगे की प्रक्रिया हाईकोर्ट के स्टे के कारण थम गई थी। इस स्टे को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। इस पर मंगलवार को विधिवत फैसला हुआ। सरकार की ओर से नियमावली में 12 बी में किए गए संशोधन को भी कोर्ट ने स्वीकार किया। इससे डेढ़ लाख नए मतदाता भी चुनाव में मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।

भाजपा में घमासान

राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अध्यक्ष हंसादत्त पांडेय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ उन्हीं समितियों के चुनाव का आदेश दिया है, जिनके चुनाव स्थगित हुए थे। जल्द नया नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इस बार सहकारिता चुनाव को लेकर भाजपा के भीतर ही घमासान मचा हुआ है। महिला आरक्षण से लेकर पहली बार वोटर बने वोटरों के वोटिंग राइट को लेकर भाजपा में दो गुट बन गए। एक गुट पुरानी व्यवस्था में ही चुनाव कराना चाहता है। दूसरे गुट नए प्रावधानों के साथ चुनाव की मांग की।

इन संघों के लिए सबसे अधिक घमासान

सहकारिता चुनाव में सबसे अधिक घमासान जिलों में जिला सहकारी बैंक और जिला सहकारी संघों, जिला डेयरी संघ को लेकर मचा हुआ है। इसके साथ ही राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक, राज्य सहकारी संघ, डेयरी संघ, रेशम फेडरेशन को लेकर भी जोर आजमाइश चल रही है।


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