आदिम जनजाति वनराजि पिथौरागढ़ और चंपावत दो जिलों में बसी हुई है।
पिथौरागढ़ जिले में वनराजियों के 11 गांव हैं और चंपावत जनपद में मात्र एक गांव है। पिथौरागढ़ में इस आदिम जनजाति की जनसंख्या एक हजार से कुछ अधिक है। चार दशक पूर्व तक समाज की मुख्य धारा से अलग रहने वाली यह जनजाति तमाम प्रयासों के बाद धीरे-धीरे मुख्यधारा में शामिल हुई है।
पीएम के आगमन को लेकर वनराजियों में खासा उत्साह
प्रधानमंत्री के जनपद आगमन को लेकर वनराजियों में खासा उत्साह है। इस जनजाति के लोगों को प्रधानमंत्री की सभा में आमंत्रित करने के लिए विधायक बिशन सिंह चुफाल वनराजि गांव कूटा, चौरानी, मदनपुरी पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वनभूमि पर बसे वनराजि परिवारों को भूमि के पट्टे दिये हैं। पट्टे मिल जाने के बाद अब वनराजि परिवार तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि वनराजि परिवारों के लिए 135 आवास भी स्वीकृत किये गये हैं।
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ,
अवतार सिंह बिष्ट , अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद, (जर्नलिस्ट फ्रॉम उत्तराखंड)
वनराजि परिवारों को प्रधानमंत्री की सभा के लिए किया गया आमंत्रित
वनराजि परिवारों की जरूरतों को जानने के लिए गहन सर्वे भी कराया जा रहा है। उन्होंने वनराजि परिवारों को 12 अक्टूबर को पिथौरागढ़ में होने वाली प्रधानमंत्री की सभा के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान भाजपा के युवा नेता गेहराज पांडे भी मौजूद रहे।
उत्तराखण्ड में निवासरत् भोटिया, थारू, जौनसारी,बुक्शा एंव राजी को वर्ष 1967 में अनुसूचित जनजाति घोषित किया गया था। उक्त पाॅच जनजातियों मे बुक्सा एवं राजी जनजाति आर्थिक, शैक्षिक एवं सामाजिक रूप से अन्य जनजातियों की अपेक्षा काफी निर्धन एवं पिछड़ी होने के कारण उन्हें आदिम जनजाति समूह की श्रेणी में रखा गया है।