
रुद्रपुर। उधम सिंह नगर जनपद का रुद्रपुर शहर तेजी से फैलता औद्योगिक और व्यापारिक नगर है, लेकिन इस विकास की चमक के पीछे एक गहरा अंधकार भी पनप चुका है — ज़मीन की लूट और करोड़ों की ठगी का संगठित खेल। यह कोई नई कहानी नहीं, बल्कि वही कड़वी सच्चाई है जिसे हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने पहले भी उजागर किया था — लाइव प्रसारणों, जमीनी रिपोर्टिंग और दस्तावेजी सबूतों के साथ। आज एक बार फिर हम प्रत्यक्ष प्रमाणों के साथ सामने हैं, क्योंकि रुद्रपुर में एक और बड़ा ज़मीन घोटाला उजागर हुआ है — इस बार पीड़ित हैं रुद्रपुर निवासी अतुल छाबड़ा, जिन्होंने चार लोगों पर 3.32 करोड़ रुपये की ठगी का गंभीर आरोप लगाया है।

सौदे की कहानी — 5.15 करोड़ का समझौता और टूटी उम्मीदें
1 मार्च 2024 को अतुल छाबड़ा ने ग्राम जगतपुर भूरारानी स्थित 2266-66 वर्ग गज भूमि (खसरा नंबर 16/1/1 व 19/1 मिन) के लिए 5.15 करोड़ रुपये में सौदा किया था। भूमि कथित रूप से एक कंपनी के डायरेक्टर के माध्यम से बेची जा रही थी। भूमि मालिक — आनंद प्रकाश धवन, ओम प्रकाश धवन और राजेन्द्र धवन — ने कंपनी को ‘कालोनाइज़र’ के रूप में नियुक्त किया था।
पीड़ित ने अब तक 2.85 करोड़ नकद और 47 लाख रुपये चेक व आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया। सौदे की शर्त थी कि तय तिथि पर रजिस्ट्री पूरी कर दी जाएगी। लेकिन जब छाबड़ा रजिस्ट्री के लिए पहुँचे, तो न भूमि मालिक थे, न कंपनी डायरेक्टर। बार-बार तारीखें बढ़ती रहीं —
- 2 नवंबर 2024 को एग्रीमेंट,
- 1 मई 2025 को रजिस्टर्ड एग्रीमेंट,
- और अंततः 25 जून 2025 तक रजिस्ट्री कराने का वादा।
लेकिन हर बार धोखा मिला।
कंपनी डायरेक्टर ने चार सिक्योरिटी चेक दिए, जिनकी कुल राशि 12.62 करोड़ रुपये थी — परंतु वे सभी बाउंस हो गए। यह सिर्फ वित्तीय ठगी नहीं, बल्कि विधिक विश्वासघात का उदाहरण है।
जब न्याय की उम्मीद में पहुँचा पीड़ित — तब हुआ हमला
7 सितंबर 2025 को जब अतुल छाबड़ा ने उस भूमि पर बाउंड्री कराने की कोशिश की, तो आनंद धवन और सौरभ धवन ने मजदूरों के साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। यह घटना अपने आप में बताती है कि रुद्रपुर की भूमि माफिया न केवल कागज़ी जाल बुनते हैं, बल्कि हिंसा और डर का भी सहारा लेते हैं।
अतुल छाबड़ा ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को लिखित शिकायत दी, जिस पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू हुई है। लेकिन सवाल यह है — क्या यह जांच भी उन्हीं कागज़ी दीवारों में अटक जाएगी, जहाँ पहले के तमाम ज़मीन घोटाले सो गए?
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की भूमिका — जब मीडिया बना जनता की आवाज़
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने इससे पहले भी “जमीन की लूट” पर कई लाइव कवरेज और स्टिंग रिपोर्ट किए हैं। हमने दिखाया कि कैसे रुद्रपुर, किच्छा और बाजपुर क्षेत्र में कंपनी और कालोनाइज़र के नाम पर जालसाजों ने जमीनें बेचीं, फर्जी पजेशन लेटर बांटे और करोड़ों का खेल खेला।
इससे पहले हमने “भूरारानी घोटाला”, “किच्छा कालोनी धोखाधड़ी” और “ट्रांजिट कैंप के नाम पर फर्जी प्लॉटिंग” जैसे मामलों में न केवल साक्ष्य प्रस्तुत किए बल्कि पीड़ितों की आवाज़ भी बुलंद की।
आज हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स एक बार फिर उसी प्रतिबद्धता के साथ जनता के सामने है — क्योंकि जब सिस्टम चुप हो जाता है, तब सत्य की कलम बोलती है।
ठगी का नया मॉडल — “कंपनी डायरेक्टर” और “कथित मालिक” का गठजोड़
रुद्रपुर में अब ठगी का नया ट्रेंड उभर चुका है। कंपनी रजिस्ट्रेशन, पावर ऑफ अटॉर्नी, फर्जी एग्रीमेंट और सिक्योरिटी चेक — ये सब इस गिरोह के हथियार हैं।
ये लोग पहले निवेशक को आकर्षक दामों पर भूमि बेचने का लालच देते हैं, फिर “डायरेक्टर”, “कालोनाइज़र”, “प्रोजेक्ट प्रमोटर” जैसे पदनामों से खुद को वैध दिखाते हैं। सौदे के बाद महीनों तक रजिस्ट्री टालते रहते हैं, और अंत में जब पैसे लौटाने की मांग की जाती है, तो धमकी और हिंसा का सहारा लेते हैं।
यह कानूनी और प्रशासनिक तंत्र की नाकामी का सीधा उदाहरण है कि ऐसे लोग वर्षों से सक्रिय हैं और लगातार पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है।
ज़मीन माफिया और सत्ताश्रय — प्रशासन कब जागेगा?
यह सवाल केवल एक अतुल छाबड़ा का नहीं है — यह सवाल उस हर नागरिक का है जो अपनी मेहनत की कमाई से एक टुकड़ा जमीन खरीदना चाहता है।
रुद्रपुर, किच्छा, गदरपुर और बाजपुर के आसपास के क्षेत्र भूमि माफियाओं के नए ठिकाने बन चुके हैं। कई बार स्थानीय प्रशासन और रजिस्ट्री कार्यालयों की मिलीभगत के आरोप भी सामने आए हैं।
जमीनों पर फर्जी कब्जे, दोहरी रजिस्ट्री, फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी, बाउंस चेक और नकद सौदे — ये सब एक बड़े नेटवर्क के हिस्से हैं। सवाल यह है कि जब इतने बड़े पैमाने पर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं, तो आखिर इन माफियाओं को सत्ता या प्रभाव का कौन-सा संरक्षण मिला हुआ है?
जनता को सावधान रहने की जरूरत
यह घटना हर आम नागरिक के लिए एक सख्त चेतावनी है —
- कभी भी जमीन खरीदने से पहले खसरा-खतौनी और मालिकाना हक का सत्यापन करें।
- किसी कंपनी या कालोनाइज़र के भरोसे सीधा नकद भुगतान न करें।
- एग्रीमेंट और चेकों की वैधता की कानूनी जांच कराएं।
- कानूनी सलाह के बिना कोई पजेशन या एलॉटमेंट लेटर स्वीकार न करें।
आज के दौर में ‘रियल एस्टेट’ सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि धोखाधड़ी का नया अड्डा बन चुका है। और रुद्रपुर जैसे तेजी से बढ़ते शहर में यह खतरा और भी गहरा है।
जब तक जवाबदेही नहीं, तब तक “ज़मीन की लूट” जारी रहेगी
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स ने एक बार फिर अपनी जिम्मेदारी निभाई है — जनता के सामने प्रत्यक्ष प्रमाण लाकर। लेकिन जब तक प्रशासनिक स्तर पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, जब तक फर्जी कंपनियों और उनके डायरेक्टरों पर कड़ी कानूनी कार्यवाही नहीं होती, तब तक यह ठगी का सिलसिला थमेगा नहीं।
रुद्रपुर की जमीन अब सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि एक संघर्ष का प्रतीक बन चुकी है — ईमानदार खरीदार बनाम संगठित धोखेबाजों का संघर्ष।
और इस संघर्ष में मीडिया की भूमिका है — सत्य का प्रहरी बनना।
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स इस लड़ाई को जारी रखेगा, क्योंकि हमारा ध्येय स्पष्ट है —
“जनता का हक, जनता तक।”


