
मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गांववासियों को मूसलधार बारिश से बचाया था. तभी से इस दिन गोवर्धन पूजा का आयोजन किया जाता है. कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व संस्कृति और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है. इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर पूजा की जाती है और अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है.

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
गोवर्धन पूजा 2025 की तिथि व शुभ मुहूर्त
- इस वर्ष गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी. पूजा के लिए दो प्रमुख मुहूर्त होंगे
- प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 06:30 से 08:47 बजे तक
- सायंकालीन मुहूर्त: दोपहर 03:36 से 05:52 बजे तक
गोवर्धन पूजा की सामग्री
गोवर्धन पूजा के लिए जिन सामग्रियों की आवश्यकता होती है, वे इस प्रकार हैं:-
रोली, अक्षत (चावल), बताशा, नैवेद्य, मिठाई, खीर, सरसों के तेल का दीपक, फूल, दही, शहद, धूप-दीप, कलश, केसर, फूलों की माला, श्रीकृष्ण जी की प्रतिमा या तस्वीर, गाय का गोबर, गोवर्धन पर्वत की फोटो, गंगाजल, पान, गोवर्धन पूजा की कथा की पुस्तक
गोवर्धन पूजा की विधि
- गोवर्धन पूजा प्रातःकाल या सायंकाल दोनों समय की जा सकती है. इस दिन सबसे पहले गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की आकृति बनाई जाती है. इसके बाद उसे फूलों से सजाया जाता है.
- बनाई गई गोवर्धन आकृति की नाभि पर एक मिट्टी का दीपक रखा जाता है, जिसमें दही, शहद, बताशे, दूध, गंगाजल आदि वस्तुएं डाली जाती हैं.
- लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा की जाती है. इस दिन गाय, बैल और कृषि कार्य में लगे पशुओं की पूजा का भी विशेष महत्व होता है.
अन्नकूट का महत्व
इस दिन मंदिरों और घरों में अन्नकूट महोत्सव भी मनाया जाता है, जिसमें अनेक प्रकार के व्यंजन बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है. इसे अन्नपूर्णा देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है.


