
ऐसे में पूजा के दौरान इन चीजों को शामिल करना न भूलें, ताकि आपकी पूजा में किसी तरह की बाधा न आए।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
चित्रगुप्त पूजा सामग्री (Chitragupta Puja Samagri List)
- भगवान चित्रगुप्त की तस्वीर या मूर्ति
- सफेद कागज, कलम, दवात खाताबही
- पीले वस्त्र, अक्षत
- फूल, माला,
- चंदन, कपूर
- तुलसी के पत्ते, गंगाजल
- फल, मिठाई,
- पान, हल्दी
- सुपारी, तिल और पीली सरसों
(Picture Credit: Freepik)
कैसे करें पूजा
चित्रगुप्त पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजास्थल कीलअच्छे से साफ-सफाई कर लें और गंगाजल का छिड़काव करें। परिवार के लोग एकसाथ मिलकर पूजा करें और एक वेदी पर भगवान चित्रगुप्त की मूर्ति या फिर तस्वीर स्थापित करें। चित्रगुप्त जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और पंचामृत अर्पित करें। इसके साथ पूजा में हल्दी, चंदन, फूल के साथ-साथ भोग के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें।
एक साथ सफेद कागज पर रोली से स्वस्तिक बनाएं। अब इस पन्ने पर पांच देवी-देवतावों के नाम जैसे – श्री गणेश जी सहाय नमः , श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः ,श्री सर्वदेवता सहाय नमः आदि लिखें। इसके बाद चित्रगुप्त जी की कथा का पाठ करें और आरती करें। सभी लोगों में पूजा का प्रसाद बांटें। पूजा के दौरान

करें इन मंत्रों का जप
1. श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः
2. नमस्तेस्तु चित्रगुप्ते, यमपुरी सुरपूजिते |
लेखनी-मसिपात्र, हस्ते, चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
3. मसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले |
लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ||
चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं |
कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते ||
माना जाता है कि चित्रगुप्त जी के पास ही पृथ्वी पर जन्म लेने वाले समस्त प्राणियों का लेखा-जोखा होता है. इस दिन कलम और दावात की भी पूजा की जाती है. इसी कारण इस दिन को मस्याधार (कलम और दावात) पूजा भी कहा जाता है.
पौराणिक मान्यता है कि जिस दिन चित्रगुप्त का जन्म हुआ था वो कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि का था, इसलिए हर साल इस तिथि पर भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति के रूप उनका पूजन किया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, चित्रगुप्त ब्रह्मा जी के चित्त से जन्मे थे. चित्रगुप्त यमराज के सहायक तो माने ही जाते हैं. इसके साथ-साथ चित्रगुप्त देवताओं के लेखपाल भी कहे जाते हैं.
पौराणिक मान्यता के अनुसार…
इसके अलावा भी चित्रगुप्त को कई कारणों से पूजा जाता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, यमराज ने अपनी बहन यमुना जी के आदर-सत्कार से प्रसन्न होकर उनको ये वरदान दिया था कि जो भी भाई दूज यानी यम द्वितीया या भाई दूज पर अपनी बहन के यहां जाकर, बहन के हाथों माथे पर तिलक लगवाएगा और उसके हाथ का बना भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा. चूंकि चित्रगुप्त यमराज के सहायक हैं, इसलिए भाई दूज के दिन उनकी पूजा की जाती है.
प्राप्त होता हैआशीर्वाद
भगवान चित्रगुप्त कलम-दवात की सहायता से समस्त जीवों के कर्मों लेखा-जोखा रखते हैं. ऐसे में इस दिन कलम-दवात और बही-खातों का भी पूजन किया जाता है. इस दिन पर चित्रगुप्त जी की पूजा करने वालों को विद्या, बुद्धि, साहस और लेखन का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही व्यापार में तरक्की के योग बनते हैं.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं और द्रिक पंचांग पर आधारित है. हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स इसकी पुष्टि नहीं करता है.✧ धार्मिक और अध्यात्मिक


