सोने की चमक में ठगी का अंधेरा — राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में ज्वेलरी कारोबार की नई चालें और बढ़ता अविश्वास

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रुद्रपुर,बिंदुखत्ता से शुरू हुई एक कहानी अब पूरे उत्तराखंड की चेतावनी बन गई है। हाल ही में बिंदुखत्ता क्षेत्र में नकली सोने के गिरोह के पकड़े जाने से एक बार फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से जनता ठगी और फरेब के इतने जाल में क्यों उलझती जा रही है? देवभूमि की पवित्र मिट्टी में अब नकली सोने और जाली हॉलमार्क की चमक ने ईमानदारी की असली पहचान को ढक लिया है।

गोवर्धन पूजा के दिन पुलिस ने कार रोड बाजार में “पहाड़ी वर्मा” नामक दुकान पर छापा मारकर जिस गिरोह का पर्दाफाश किया, वह करीब दो दशक से लोगों को नकली सोना बेचकर ठग रहा था। जांच में यह भी सामने आया कि इन ठगों ने ग्रामीणों को 24 कैरेट का दावा कर जो गहने बेचे, उनमें मुश्किल से 40 प्रतिशत असली सोना था, बाकी तांबा और ऐल्यूमिनियम मिला हुआ था।


राज्य बनने के बाद सोने-चांदी की दुकानों का फैलता जाल?उत्तराखंड राज्य गठन (2000) के बाद जब बाजारों में चकाचौंध और उपभोक्ता संस्कृति का विस्तार हुआ, तब सोने-चांदी की दुकानों ने भी तेजी से अपने पैर पसारे। रुद्रपुर, हल्द्वानी, काशीपुर, हरिद्वार और देहरादून जैसे शहरों में हर महीने कोई नया ज्वेलरी शोरूम खुलता गया। लेकिन इस चमक के पीछे एक अंधेरा भी पलता गया — नकली धातुओं और झूठे हॉलमार्क की ठगी।

कभी गांव के पुराने सुनार ईमानदारी से 24 कैरेट सोना गढ़ते थे, वहीं आज बड़ी-बड़ी ब्रांडेड ज्वेलरी दुकानें अपने ‘मशीन वाले हॉलमार्क’ से ग्राहकों को भ्रमित कर रही हैं। यही नहीं, “फर्जी BIS हॉलमार्क” के नाम पर भी कई दुकानें अब सक्रिय हैं, जो सामान्य ग्राहक के लिए असली-नकली का फर्क मिटा देती हैं।


नकली हॉलमार्क की नई ठगी?पहले हॉलमार्क ही विश्वास की निशानी माना जाता था। लेकिन आज ठगों ने इसकी भी नक़ल बना ली है। बाजार में ऐसे कई ज्वेलर्स सक्रिय हैं जो 24 कैरेट सोने पर नकली हॉलमार्क ठोंककर उसे असली बता बेच रहे हैं। जांच में सामने आया कि ऐसे ज्यादातर मामलेrudrpur एवं ग्रामीण क्षेत्रों, खासकर तराई-कुमाऊं के कस्बों में अधिक हैं, जहां ग्राहक तकनीकी जानकारी के अभाव में इनकी चाल में फंस जाते हैं।


“टांके” का खेल — जब असली सोना भी ठगों के हाथों में सस्ता पड़ जाता है?पहाड़ के असली कारीगरों का बनाया हुआ सोना, जो हाथ से गढ़ा जाता है, वह 24 कैरेट में होता है और उसमें एक-दो छोटे “टांके” (जोड़) जरूर होते हैं। यह सोने की शुद्धता को प्रभावित नहीं करता। लेकिन जब यही सोना ब्रांडेड शोरूम में जांच के लिए जाता है, तो वहां की मशीनें उसे 22 कैरेट दिखा देती हैं — क्योंकि मशीन टांके को भी मिलावट समझती है।

यही कमजोरी बड़े-बड़े शोरूम वाले भुनाते हैं। वे ग्राहक को डराते हैं कि “आपका सोना असली नहीं, इसमें मिलावट है”, और फिर पुराने सोने को कम दाम में लेकर नया गहना बेच देते हैं। असल में यह सबसे बड़ी “वैध ठगी” है, जो पहाड़ के लोगों के साथ लगातार हो रही है।


देवभूमि में ठगी का नया कारोबार?उत्तराखंड हमेशा से ईमानदारी और विश्वास की भूमि रही है। लेकिन आज रुद्रपुर, हल्द्वानी, हरिद्वार, देहरादून जैसे शहरों में “सोने की ठगी” एक आम अपराध बनता जा रहा है। नकली हॉलमार्क, मिश्रित धातु, झूठे वजन, मशीन की रिपोर्ट से भ्रम पैदा करना — ये सब नए जमाने के फरेब हैं।

पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले तीन सालों में ज्वेलरी से जुड़ी ठगी के 200 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें से कई में आरोपी फरार हैं। लेकिन असली चिंता यह है कि हर दूसरा मामला दर्ज ही नहीं होता, क्योंकि लोग शर्म या सामाजिक झिझक के कारण शिकायत करने से कतराते हैं।


ग्राहकों के लिए चेतावनी?अब समय आ गया है कि जनता खुद जागरूक बने। सोने की खरीदारी में लापरवाही अब खतरे से खाली नहीं।
कुछ सावधानियां जो हर नागरिक को अपनानी चाहिए:

  1. केवल पुराने विश्वसनीय ज्वेलर्स से ही खरीदारी करें।
  2. बिल और BIS प्रमाणपत्र जरूर लें।
  3. खरीद के तुरंत बाद किसी दूसरे ज्वेलर से निःशुल्क जांच कराएं।
  4. 24 कैरेट सोने में ‘टांका’ होना सामान्य है, इसे नकली न समझें।
  5. ब्रांडेड शोरूम का अंधविश्वास न करें — हर मशीन का रिजल्ट अंतिम सत्य नहीं होता।

सरकार और उपभोक्ता विभाग की जिम्मेदारी?अब आवश्यकता है कि राज्य सरकार और उपभोक्ता संरक्षण विभाग इस बढ़ती ठगी पर सख्त कदम उठाए।

  • हर ज्वेलरी दुकान की सालाना जांच हो।
  • नकली हॉलमार्क बेचने वालों पर जेल और भारी जुर्माना लगे।
  • उपभोक्ता हेल्पलाइन और मोबाइल एप के माध्यम से जनता को तत्काल शिकायत का अधिकार मिले।
  • ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग लैब चलाई जाएं ताकि हर व्यक्ति अपने सोने की जांच कर सके।

संपादकीय :राज्य गठन के 25 वर्षों में उत्तराखंड ने सड़कें, पुल, बाजार और मॉल तो खूब बनाए, लेकिन विश्वास की साख खो दी। सोने-चांदी की चमक में अब ठगी की धूल जम चुकी है। यह केवल एक पुलिस कार्रवाई का मामला नहीं, बल्कि आर्थिक नैतिकता के पतन की कहानी है।आज जरूरत है कि समाज पुराने भरोसे को पुनर्जीवित करे। अपने गांव के सुनार, अपने स्थानीय कारीगर और पारंपरिक तरीके से बने गहनों का सम्मान बढ़ाए। ब्रांड और शोरूम की चकाचौंध में भरोसा न खोए।



सोने की असली कीमत उसकी कैरेट में नहीं, बल्कि ईमानदारी में है। बिंदुखत्ता का मामला केवल एक ठग गिरोह का पर्दाफाश नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है — कि अब समय आ गया है, हम अपनी चमक को खुद परखें, वरना ठगों की मशीनें हमारे विश्वास को 22 कैरेट कर देंगी।



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