धीरेंद्र प्रताप और तिलक राज बेहड़ की मुलाक़ात — कांग्रेस में संगठनात्मक मजबूती की नई दिशा?जिला कांग्रेस अध्यक्ष हिमांशु गाबा के विवाद पर अफवाहो पर विराम

Spread the love

रुद्रपुर उत्तराखंड की राजनीति में बुधवार का दिन एक बार फिर हलचल भरा रहा। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री धीरेंद्र प्रताप जब किच्छा के विधायक तिलक राज बेहड़ के आवास पहुंचे, तो इसे केवल एक शिष्टाचार भेंट मानना राजनीतिक दृष्टि से भूल होगी। यह मुलाक़ात उस दौर में हुई जब प्रदेश कांग्रेस संगठन पुनर्गठन के अंतिम चरण में है और हर जिले में समीकरणों की नई बिसात बिछ रही है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

धीरेंद्र प्रताप का यह दौरा प्रतीक है उस संदेश का जिसे कांग्रेस हाईकमान बार-बार दोहरा रही है— “एकता और अनुशासन ही संगठन की ताकत है।” उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उधम सिंह नगर में जिला कांग्रेस अध्यक्ष हिमांशु गाबा को लेकर जो विवाद की अफवाहें उड़ाई जा रही हैं, वे पूरी तरह निराधार हैं। उनके अनुसार, गाबा न केवल पार्टी के वफादार नेता हैं बल्कि उन्होंने जिले में संगठन को मजबूती देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी प्रकार, युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सुमित्रा भुल्लर को लेकर भी उन्होंने कहा कि वे एक अनुशासित और निष्ठावान कार्यकर्ता हैं— इसलिए जो भी निर्णय दिल्ली हाईकमान से आएगा, उसे सभी स्वीकार करेंगे।

यह बयान ऐसे समय आया है जब पार्टी के भीतर कई जिलों में अध्यक्ष पदों को लेकर खींचतान चल रही है। धीरेंद्र प्रताप का यह वक्तव्य एक तरह से संगठनात्मक अनुशासन का संदेश भी है कि कांग्रेस में किसी भी स्तर पर सार्वजनिक बयानबाजी या अंतर्विरोध को स्थान नहीं मिलना चाहिए।

किच्छा में तिलक राज बेहड़ के साथ हुई लंबी बातचीत भी इस बात का संकेत है कि वरिष्ठ नेता अब 2027 के विधानसभा चुनावों की रणनीति को लेकर सक्रिय चर्चा शुरू कर चुके हैं। धीरेंद्र प्रताप ने साफ कहा कि बेहड़ और यशपाल आर्य जैसे वरिष्ठ नेताओं के बीच किसी प्रकार के विवाद की बातें महज़ राजनीतिक अफवाहें हैं। उनका कहना था कि ये दोनों नेता अनुभवी हैं और जानते हैं कि यदि आपसी मतभेद बढ़े तो उसका सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को ही होगा। यह टिप्पणी वर्तमान में उत्तराखंड कांग्रेस में चल रही सूक्ष्म गुटबाज़ी को शांत करने का प्रयास भी कही जा सकती है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में पार्टी ने बीते वर्षों में कई उल्लेखनीय सफलताएँ दर्ज की हैं— दो विधानसभा सीटों पर जीत, नगर निगम चुनावों में बेहतर प्रदर्शन और जिला पंचायतों में ऐतिहासिक सफलता— ये सब माहरा की रणनीति और संगठनात्मक एकजुटता का परिणाम हैं।

साथ ही, धीरेंद्र प्रताप ने वर्तमान भाजपा सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने व्यक्तिगत प्रचार पर ही एक हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर डाले हैं। उन्होंने इसे “गरीब राज्य की जनता के साथ धोखा” बताया और मांग की कि देश में एक ऐसा कानून बने, जिससे किसी भी राज्य सरकार को अपने या अपनी पार्टी के प्रचार पर असीमित धन खर्च करने की अनुमति न हो। उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली में पहले अरविंद केजरीवाल पर अत्यधिक विज्ञापन खर्च को लेकर सवाल उठे थे, उसी राह पर अब धामी सरकार चल रही है।

धीरेंद्र प्रताप के इस बयान में दोहरा राजनीतिक संदेश छिपा है — एक ओर उन्होंने कांग्रेस संगठन में एकता और संयम का आह्वान किया, वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार के “प्रचार आधारित शासन” की कड़ी आलोचना की। यह कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें पार्टी जनता के मुद्दों — बेरोज़गारी, महंगाई, और सरकारी अपव्यय — को केंद्र में रखकर आगे बढ़ना चाहती है।

किच्छा में तिलक राज बेहड़ के साथ उनकी मुलाकात को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि बेहड़ न केवल एक वरिष्ठ नेता हैं बल्कि उधम सिंह नगर जनपद में कांग्रेस का मजबूत चेहरा भी हैं। दोनों नेताओं के बीच हुई लंबी बातचीत भविष्य में कांग्रेस की चुनावी रणनीति, टिकट वितरण और जिला संगठन की भूमिका तय करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

अंततः, धीरेंद्र प्रताप के शब्दों में साफ झलकता है कि कांग्रेस अब किसी भी प्रकार के विवाद या अंतर्विरोध को स्थान नहीं देना चाहती। आने वाले दिनों में जब दिल्ली से जिलाध्यक्षों की सूची जारी होगी, तब यह देखा जाएगा कि क्या यह संगठनात्मक एकता जमीनी स्तर पर भी दिखाई देती है। फिलहाल इतना तय है कि धीरेंद्र प्रताप और तिलक राज बेहड़ की यह मुलाकात कांग्रेस की एकजुटता की दिशा में एक सशक्त संकेत बनकर उभरी है — और उत्तराखंड की राजनीति में यह चर्चा लंबे समय तक बनी रहेगी।


Spread the love