


29 मई 2022 – सिद्धू मूसेवाला


03 दिसंबर 2022 – राजू ठेहट
25 फरवरी 2023 – मंदीप तूफ़ान, मनमोहन मोहना
02 मई 2023 – टिल्लू ताजपुरिया
20 सितंबर 2023 – सुक्खा दुनुके
01 अक्टूबर 2023 – दीपक मान
05 दिसंबर 2023 – सुखदेव सिंह गोगामेड़ी
मूसेवाला से गोगामेड़ी तक नया चलन
वो दिन लद गए, जब क़त्ल के बाद क़ातिल ख़ुद को छुपाता फिरता था. अब ज़माना ये है कि क़ातिल पहले क़त्ल करता है और फिर सीना ठोंक कर ऐलानिया उस क़त्ल की ज़िम्मेदारी लेता है. सिद्धू मूसेवाला से शुरू हुआ ये नया चलन सुखदेव सिंह गोगामेड़ी तक जारी है.

गैंगस्टर रोहित गोदारा की पोस्ट
“सभी भाइयों को राम राम. मैं रोहित गोदारा कपूरीसर, गोल्डी बराड़, आज यह जो हत्या हुई है इसका पूरी जिम्मेदारी हम लेते हैं. ये हत्या हमने करवाई है. भाइयों में आपको बताना चाहता हूं कि ये हमारे दुश्मनों से मिलकर उनका सहयोग कर रहा था. उनको मजबूत करने का काम कर रहा था. रही बात हमारे दुश्मनों की तो वह अपने घर की चौखट पर अपनी अर्थी तैयार रखे, उनसे भी जल्द मुलाकात होगी.”
कत्ल कई, जिम्मेदार एक
बेशक ऊपर तारीख के साथ दिए गए मरने वालों के नाम, पता और शहर अलग-अलग हैं, पर इन तमाम क़त्ल के लिए ज़िम्मेदारी लेने वाला शख़्स एक ही है. हालांकि वो ख़ुद कभी सामने आकर ज़िम्मेदारी नहीं लेता. लेकिन उसके गुर्गे हर बार उसके नाम पर ये ज़िम्मेदारी लेते जाते हैं. और वो शख़्स है पिछले 9 सालों से जेल में बंद और इस वक़्त देश का सबसे बड़ा गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई.
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड
लॉरेंस की गोगामेड़ी से क्या दुश्मनी?
मंगलवार की दोपहर जयपुर में श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह को उनके घर में घुस कर गोली मारने वाले शूटर भले ही अलग हों, पर ट्रिगर दबाने का हुक्म देने वाला इस बार भी लॉरेंस गैंग का गुर्गा ही निकला. इस गुर्गे का नाम है रोहित गोदारा. वो रोहित गोदारा, जिस पर एक लाख रुपये का इनाम है और 2022 में फ़र्ज़ी पासपोर्ट पर देश से बाहर निकल भागने में कामयाब रहा. अब सवाल ये है कि लॉरेंस या रोहित गोदारा की सुखदेव सिंह गोगामेड़ी से क्या दुश्मनी है? सुखदेव सिंह के क़त्ल की ज़िम्मेदारी लॉरेंस गैंग क्यों ले रहा है?

आनंदपाल की मौत के बाद सुर्खियों में आया था नाम
तो चलिए आपको सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के मर्डर की पूरी इनसाइड स्टोरी बताते हैं. इस का आगाज़ 6 साल पहले शुरू हुआ. लेकिन ये शुरुआत ही राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर में मारे जाने से होती है. आनंदपाल राजपूत था और सुखदेव सिंह राजपूतों के नेता. 24 जून 2017 को आनंदपाल की मौत के बाद सुखदेव सिंह आनंदपाल की लाश के साथ अगले 15 दिनों तक धरने पर बैठे रहे. उस वक़्त ये मुद्दा काफी गरमाया हुआ था. आनंदपाल की मौत ने एक तरह से सुखदेव सिंह को पहली बार राजस्थान के बाहर भी सुर्खियों में ला दिया था.
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ऐसे लॉरेंस गैंग के निशाने पर आए थे गोगामेड़ी
सुखदेव हमेशा आनंदपाल की वकालत किया करते थे. जबकि दूसरी तरफ आनंदपाल की लॉरेंस बिश्नोई गैंग से 36 का आंकड़ा था. अब ऐसे में जाने-अनजाने सुखदेव भी लॉरेंस गैंग के निशाने पर आ चुके थे. लेकिन तब खतरा इतना बड़ा नहीं था. उस दौर में सुखदेव सिंह राजपूतों के संगठन राष्ट्रीय करणी सेना से जुड़े थे. लेकिन फिर संगठन के अंदर विवाद हो गया. आनंदपाल की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन ने तब तक सुखदेव को सुर्खियों में ला दिया था. मौके और माहौल को भांपते हुए सुखदेव सिंह ने 2017 में ही अपना एक अलग संगठन खड़ा कर लिया और उसका नाम रखा- श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना. सुखदेव अब इसके अध्यक्ष थे.
घर में घुसकर किया गया था राजू ठेहट का मर्डर
राजपूतों की राजनीति के अलावा सुखदेव प्रॉपर्टी डीलिंग का भी काम किया करते थे. इसको लेकर भी उनके कई दुश्मन बन चुके थे. उधर, आनंदपाल की मौत के बाद राजू ठेहट नाम के एक गैंगस्टर के साथ भी सुखदेव की करीबी रही. इत्तेफ़ाक से राजू ठेहट भी लॉरेंस गैंग के निशान पर था. 3 दिसंबर 2022 को राजू ठेहट की भी सुखदेव सिंह के ही अंदाज़ में उसी के घर में घुस कर गोली मार दी गई थी. और तब भी ठीक सुखदेव सिंह की तरह ही रोहित गोदारा ने राजू के क़त्ल की ज़िम्मेदारी ली थी.
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इसलिए सुखदेव से नाराज था रोहित गोदारा
इन तमाम दुश्मनियों के बीच सुखदेव सिंह की अपनी राजनीति और प्रॉपर्टी का कारोबार ठीक-ठाक चल रहा था. लेकिन इसी कारोबार ने ये यूं कहें कि ज़मीन के धंधे ने अब सुखदेव सिंह को सीधे लॉरेंस गैंग के निशाने पर ला खड़ा किया था. दरअसल, रोहित गोदारा को ये लगता था कि सुखदेव सिंह सिर्फ राजपूतों की ही मदद करता है. जबकि जाट बिरादरी के साथ इंसाफ नहीं करता. ऐसे कुछ जमीन के मामले सामने आए थे, जिसमें सुखदेव ने राजपूतों को सपोर्ट किया था. इसी को लेकर रोहित गोदारा अब सुखदेव से नाराज़ था. करीब डेढ़ साल पहले पहली बार रोहित गोदारा ने दुबई और पाकिस्तान के नंबरों से कॉल कर सुखदेव को धमकी दी थी. लेकिन सुखदेव ने तब इसे गंभीरता से नहीं लिया था.
लॉरेंस गैंग ने ली कई हत्याओं की जिम्मेदारी
फिर इसी बीच लॉरेंस गैंग ने कई क़त्ल की एलानिया जिम्मेदारी ले ली. उधर, सुखदेव को धमकी दिए जाने का सिलसिला अब भी जारी था. इसी के बाद इसी साल मार्च में पहली बार सुखदेव सिंह ने राजस्थान पुलिस को इस धमकी की जानकारी दी और खुद के लिए सुरक्षा की मांग की. इस मांग को उठाते हुए सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने राजस्थान पुलिस को एक पत्र लिखा था.
पुलिस नहीं दे पाई सुरक्षा
लेकिन मार्च से दिसंबर आ गया, सात महीने बीत गए. पर राजस्थान पुलिस ये फैसला ही नहीं कर पाई कि सुखदेव सिंह को सुरक्षा देनी चाहिए या नहीं. इस बीच राजस्थान पुलिस से मायूस हो कर खुद की सुरक्षा के लिए सुखदेव सिंह ने तीन सुरक्षा गार्ड रख लिए. अब वो उन्हीं की सुरक्षा कवच में घर से बाहर निकलते या सभाओं में जाते. इस बात से बेख़बर कि उन्हें मारने की कहीं दूर साज़िश बुनी जा रही है.
रोहित ने ऐसे रची सुखदेव के कत्ल की साजिश
सुखदेव सिंह पिछले डेढ़ साल से रोहित गोदारा की हिट लिस्ट में थे. रोहित गोदारा लगातार मौके की ताक में था. सुखदेव सिंह तक पहुंचने के लिए उसे कोई ऐसा जरिया चाहिए था, जिसे सुखदेव जानता हो. और फिर उसी के जरिए वो अपने शूटर को सुखदेव तक पहुंचा सकता था. तलाश खत्म हुई, नवीन शेखावत पर जाकर. नवीन शेखावत जयपुर में ही राजपूताना इलाके का रहनेवाला था. उसकी कपड़े की दुकान थी. सुखदेव सिंह से उसकी अच्छी जान पहचान थी. ये बात रोहित गोदारा को मालूम थी. इत्तेफाक से अगले महीने नवीन शेखावत के कज़िन की शादी थी. रोहित गोदारा को पता था कि नवीन शादी का कार्ड देने के लिए सुखदेव सिंह के घर जाएगा. बसी इसी को ध्यान में रखकर जाल बिछाना शुरू हुआ.
प्लान का हिस्सा थी नवीन शेखावत से दोस्ती
रोहित गोदारा के दो खास शूटर हैं, एक रोहित राठौर और दूसरा नितिन फौजी. रोहित राजस्थान के ही नागौर का रहेवाला है, जबकि नितिन फौजी हरियाणा के महेंद्रगढ़ का. लेकिन उसका ससुराल राजस्थान के अलवर में है. पांच साल पहले ही नितिन फौजी की भारतीय सेना में नौकरी लगी थी. इसीलिए वो अपने नाम के आगे फौजी लगाता है. सुखदेव सिंह को गोली मारने के लिए इन्हीं दोनों को चुना गया. नितिन फौजी बाकायदा सेना से छुट्टी ले कर आया. इसके बाद दोनों नवीन शेखावत से मुलाकात करते हैं. धीरे-धीरे उसे अपने भरोसे में लेते हैं. फिर ये तय होता है कि पांच दिसंबर को शादी का कार्ड देने के लिए वो तीनों जाएंगे. इसके लिए सबसे पहले नितिन फौजी तीन दिनों के लिए एक स्कॉर्पियो पांच हजार रुपये रोज़ाना के हिसाब से किराये पर लेता है. 5 नवंबर को दिन में ही गाड़ी में तीनों शराब पीते हैं. इसके बाद गाड़ी जयपुर में सुखदेव सिंह के घर के करीब जाकर रुकती है.
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट ,रूद्रपुर उत्तराखंड
दस मिनट तक चला बातचीत का सिलसिला
इसे इत्तेफाक कहें या साज़िश कि पांच नवंबर को ही सुखदेव सिंह के तीन में से दो गार्ड छुट्टी पर थे. एक अकेला अजीत ही सुखदेव सिंह के साथ था. सुखदेव के घर पहुंचने के बाद सबसे पहले नवीन शेखावत अजीत से बात करता है. वो सुखदेव को शादी का कार्ड देने की बात बताता है. इसके बाद ही नवीन, रोहित और नितिन तीनों को घर में आने की इजाज़त मिलती है. घर के अंदर ड्राइंग रूम में सुखदेव सिंह सोफे पर बैठे थे. नवीन उन्हें शादी का कार्ड देता है. इसके बाद अब इधर-उधर की बातें शुरू हो जाती हैं. बातचीत का ये सिलसिला करीब दस मिनट तक चलता है.
ऐसे किया सुखदेव पर ताबड़तोड़ हमला
सुरक्षा की वजह से सुखदेव सिंह ने अपने घर के बाहर और अंदर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे थे. मुलाक़ात का ये सारा मंज़र उन्हीं कैमरो में क़ैद हो रहा था. करीब 10 मिनट बाद अचानक सुखदेव सिंह के मोबाइल की घंटी बजी. उन्होंने फोन उठाया और बात करनी शुरू कर दी. नवीन सुखदेव के बराबर में ही बैठा था. जबकि दोनों शूटर सामने बैठे थे. सुखदेव का ध्यान फोन की तरफ जाते ही दोनों शूटरों को मौक़ा मिल गया. वो फौरन खड़े हुए और एक साथ सुखदेव का निशाना लेकर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. ड्राइंग रूम में गार्ड अजीत भी मौजूद था. उन्होंने अजीत को भी गोली मारी. पर सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि सुखदेव और अजीत के साथ-साथ उन्होंने उस नवीन शेखावत को भी गोली मारी, जिनके साथ वो दोनों सुखदेव के घर तक पहुंचे थे.
हत्या के कुछ देर बाद रोहित गोदारा ने पोस्ट किया मैसेज
सुखदेव सिंह गोगामेड़ी इस हमले में मारा जा चुके थे. उन्हीं के घर में उनकी हत्या कर दी गई. ये पूरे जयपुर शहर से निकलकर देश में आग की तरह फैल गई. इससे पहले कि पुलिस कातिल के बारे में पुख्ता तौर पर कुछ कहती या बताती. हत्या के कुछ देर बाद ही सोशल मीडिया पर लॉरेंस के गुर्गे रोहित गोदारा ने सोशल मीडिया पर एक मैसेज पोस्ट किया और गोगामेड़ी के कत्ल की जिम्मेजदारी अपने सिर ले ली.
लॉरेंस के सामने बेबस कानून, लाचार पुलिस
बेशक लॉरेंस बिश्नोई जेल में हो, लेकिन जिस तरह से पिछले डेढ़ साल से लॉरेंस के नाम पर उसके गुर्गे बाकायदा ऐलानिया अपने टार्गेट को चुन चुन कर मार रहे हैं. उसकी वजह से वो तमाम लोग दहशतज़दा हैं, जिन्हें लॉरेंस गैंग ने धमकी दे रखी है. ऐसे लोगों की एक लंबी लिस्ट है. अब सवाल ये है कि खुलेआम धमकी के इस खेल के बावजूद पुलिस और कानून लॉरेंस गैंग के खिलाफ हमेशा बेबस क्यों नजर आता है? जाहिर है इससे गैंग का हौसला लगातार बढ़ रहा है. सबसे बड़ा मज़ाक तो ये है कि लॉरेंस ये सबकुछ जेल के अंदर रहकर कर रहा है. जरा सोचें अगर वो जेल के बाहर होता, तो क्या होता?
एडीजी दिनेश एमएन की निगरानी में जांच
हालांकि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के कत्ल के 24 घंटे के अंदर-अंदर हरियाणा पुलिस ने नितिन फौजी को गिरफ्तार करने का दावा किया है. लेकिन दूसरा शूटर रोहित राठौर अब भी फरार है. राजस्थान पुलिस अब इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या नवीन शेखावत को सुखदेव की हत्या की साजिश की जानकारी थी? क्या वो शूटरों का एक हिस्सा था? या फिर उसे एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया गया? सुखदेव सिंह की हत्या के बाद से ही राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में करणी सेना के लोगों में जबरदस्त गुस्सा है. कातिलों को जल्द से जल्द पकड़ने का पुलिस पर दबाव है. और इसी दबाव के मद्देनजर छुट्टी पर गए राजस्थान पुलिस के एडीजी दिनेश एमएन को वापस बुला लिया गया है. सुखदेव सिंह की मर्डर केस की पूरी जांच अब उन्हीं की निगरानी में हो रही

