Hindustan Global Times,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट रूद्रपुर उत्तराखंड उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भाजपा से मुकाबले के लिए कोई विपक्षी दल सबसे मजबूत है तो वह कांग्रेस ही है। अलग राज्य बनने के बाद अब तक हुए चार लोकसभा चुनाव में पांचों सीटों पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है।

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अगले लोकसभा चुनाव में भी प्रदेश में जिताऊ चेहरे के मामले में आईएनडीआईए के अपने सहयोगी दलों पर भारी कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में भी सीट शेयरिंग के फार्मूले पर तैयार होगी, इसके आसार नहीं के बराबर हैं।

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यह अलग बात है कि सहयोगी दल निर्णायक भूमिका में नहीं होने के बाद भी कांग्रेस के साथ रस्साकशी में पीछे नहीं रहना चाहते। समाजवादी पार्टी ने इसकी शुरुआत कर दी है।

उत्तराखंड किसी चुनौती से कम नहीं

कांग्रेस और आईएनडीआईए के लिए उत्तराखंड किसी चुनौती से कम नहीं है। यद्यपि, यहां लोकसभा की मात्र पांच सीटें हैं, लेकिन उत्तराखंड उन राज्यों में सम्मिलित है, जहां भाजपा क्लीन स्वीप करने में सफल रही है। यह सफलता सत्तारूढ़ दल को दो बार यानी वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली है।

विशेष बात यह है कि इससे पहले वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पांचों सीटों पर क्लीन स्वीप किया था। इसके बाद पार्टी अपने जनाधार को वापस पाने के लिए तरस गई है।

बावजूद इसके सच्चाई यही है कि उत्तराखंड में विपक्षी दल के नाम पर कांग्रेस ही एकमात्र मजबूत विपक्षी दल के रूप में है। भाजपा को चुनौती देने की बात हो तो अन्य विपक्षी दल उसके इर्द-गिर्द भी दिखाई नहीं दे रहे हैं।

एकमात्र लोकसभा क्षेत्र हरिद्वार में कभी आईएनडीआईए के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी की मजबूत स्थिति रही है। वर्ष 2004 में यह सीट सपा के खाते में गई थी। बाद में इस सीट पर कांग्रेस ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए सपा को हाशिये पर धकेल दिया।

इस सीट पर बसपा रखती है वजन

अन्य विपक्षी दल में मात्र बसपा ही ऐसी पार्टी है, जिसका हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में जनाधार माना जाता है। इस सीट के अंतर्गत 14 विधानसभा क्षेत्रों में दो में वर्तमान में बसपा के पास हैं।

बसपा हरिद्वार के साथ उधम सिंह नगर लोकसभा सीट पर कुछ वजन रखती है, लेकिन वह आईएनडीआईए का भाग नहीं है। यही कारण है कि लोकसभा चुनाव की दृष्टि से कांग्रेस को छोड़कर अन्य विपक्षी दलों में कोई भी पांचों सीटों में जिताऊ प्रत्याशी देने की स्थिति में नहीं है। कांग्रेस अपनी इस हैसियत के कारण उत्तराखंड में सीट शेयरिंग के फार्मूले पर शायद ही तैयार हो।

सपा ने दो सीटों पर दावा ठोका

वर्ष 2004 में हरिद्वार सीट पर प्रदर्शन के आधार पर सपा ने आईएनडीआईए के सहयोगी दल के नाते दो सीटों पर अपना दावा ठोका है। यह दावा करते हुए प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सत्य नारायण सचान ने अपने केंद्रीय नेतृत्व से बातचीत का हवाला भी दिया।

यह अलग बात है कि इस दावे को लेकर सपा स्वयं कितना मजबूत रुख अपनाती है, यह भविष्य के गर्भ में है। सहयोगी दल के रूप में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अभी चुनावी मैदान खुला नहीं छोड़ने के संकेत देने की कोशिश सपा ने की है, ताकि मतों में सेंध रोकने के लिए दबाव बनाया जा सके।

इन्होंने कहा…

उधर, संपर्क करने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उत्तराखंड में कांग्रेस सभी पांचों सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटी है। इसमें संशय नहीं है। आईएनडीआईए को लेकर किसी भी संभावित स्थिति पर पार्टी हाईकमान के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

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