राज्य आंदोलनकारी समाज संगठन एवंम पूर्व छात्र संघ पदाधिकारियों ने पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के संरक्षक हुकम सिंह कुंवर को एक तरफा पद मुक्त करने की कड़े शब्दों मैं निंदा की है, राज्य आंदोलनकारी पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष डॉक्टर केदार पलड़िया ने कहा कि हुकम सिंह कुंवर का पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के लिए बड़ा योगदान रहा है,उन्होंने 1982 मैं मंच की भूमि के लिए चलाए गए आंदोलन मैं छात्र संघ उपाध्यक्ष रहते अपने सैकड़ों साथियों के साथ जेल गए थे,मंच परिसर मैं शिलापट पर उनका नाम अंकित है,समय समय पर विगत 42 सालों से उन्होंने मंच को सहयोग किया, विगत वर्ष जब मंच मैं रिसीवर बैठा था तब भी इनकी अगवाई मैं एक बड़ा आंदोलन हुआ था,तब मंच से रिसीवर हटा था,पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच के साथ साल तक अध्यक्ष रहे एडवोकेट पृथ्वी पाल सिंह रावत ने कहा कि यह पर्वतीय समाज की एक बड़ी संस्था है,पुराने मंच सहयोगियों को पद मुक्त करने की बात गले नही उतरती है,इसको तत्काल निरस्त किया जाय, पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष डॉक्टर बालम सिंह बिष्ट ने कहा है हुकम दा योगदान भुलाया नही जा सकता है,उनका अपमान करने का किसी को कोई अधिकार नही है, राज्य आंदोलनकारी भुवन तिवारी ने भी कहा कि मंच किसी की जागीर नहीं हो सकता है, पूर्व अध्यक्ष जगमोहन चिलवाल ने कहा कि पदमुक्त करने वाले कभी भी पहाड़ हितैषी नही हो सकते है, मंच मैं अगर एक भी मंच को समझने व इसके इतिहास को जानता तो इस तरह की कार्यवाही से बचते,इनको सद्बुद्धि मिले,निंदा करने वालों मैं पंकज सुयाल, रमेश जोशी,सुरेश तिवारी, बृजमोहन सिजवाली,कमलजोशी,एडवोकेट धाम सिंह प्रगाई,जितेंद्र बोरा,तारादत्त पाण्डे,राजेंद्र सिंह,विनोद दानी,नेत्र बल्लभ जोशी,राकेश बेलवाल, राज्य आंदोलनकारी अनिता बर्गाली,दीपक रौतेला, उमेश बेलवाल, योगेश कांडपाल, माधो सिंह देवपा,भास्कर सुयाल, यमुना दत्त जोशी,जीवन सिंह कार्की,विमला सांगुडी,राजेश अधिकारी, हरमोहन बिष्ट,हर्ष जलाल,मनोज खुल्वे,प्रेम प्रकाश बिष्ट,शेर सिंह रावत, डी एस बिष्ट,सहित कई लोग सामिल हैं,

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