किसी की मौत हो गई है या फिर वो समाधि में लीन है, ये कैसे पता चलेगा? जाहिर इस बारे में डॉक्टर बताएगा. लेकिन अब एक ऐसी मौत या यूं कहें कि समाधि का मामला सामने आया है, जो डॉक्टर के पास जाने से पहले ही कोर्ट पहुंच गया.

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हिन्दुस्तान ग्लोबल टाइम्स,/प्रिंट मीडिया शैल ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर उत्तराखंड

अब अदालत से एक लाश को सहेजकर रखने की इजाजत मांगी जा रही है. क्योंकि वो लाश कभी भी जिंदा हो सकती है. मामला आशुतोष महाराज की उस शिष्या का है, जो महाराज को समाधि से वापस लाने के लिए 38 दिन पहले खुद समाधि में गई थी. लेकिन आगे जो हुआ उसने पूरा मामला ही पलट कर रख दिया.

नहीं लौट कर आईं साध्वी
कहां तो बात थी कि साध्वी आशुतोषांबरी 30 दिनों तक समाधि में रहेंगी और महीने भर का वक़्त पूरा होते-होते ना सिर्फ खुद समाधि के वापस चली आएंगी, बल्कि अपने साथ-साथ पिछले दस सालों से डीप फ्रिजर में लेटे बाबा आशुतोष महाराज को भी समाधि से वापस ले आएंगी. लेकिन यहां तो मामला ही उल्टा पड़ गया. आशुतोष महाराज को समाधि से वापस लाना तो दूर की बात, यहां खुद साध्वी आशुतोषांबरी का ही समाधि से वापस लौटना मुश्किल लग रहा है.

शिष्यों ने कोर्ट से लगाई ये गुहार
लखनऊ के आनंद आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी की समाधि को अब 39 दिनों का वक़्त गुजर चुका है, लेकिन दूर-दूर तक उनके समाधि से वापस आने की उम्मीद नज़र नहीं आ रही. और शायद यही वजह है कि खुद आश्रम के कर्ता-धर्ताओं ने इसे लेकर अदालत में अर्ज़ी दी है और आशुतोष महाराज की तरह ही साध्वी आशुतोषांबरी का शरीर पर लंबे वक़्त तक आश्रम में ही रखने की इजाज़त मांगी है. हालांकि अदालत ने इस अर्जी पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया है, लेकिन आश्रम फिलहाल इसे इजाजत ही मान कर चल रहा है.

साध्वी के शरीर को बाहर रखना चाहते हैं शिष्य
फिलहाल कहानी में सबसे बड़ा मोड़ यही है कि अब आश्रम के लोग साध्वी आशुतोषांबरी के शरीर को पूरे एक साल तक यूं ही जस का तस आश्रम में रखने की तैयारी में हैं. लेकिन आशुतोष महाराज और साध्वी आशुतोषांबरी में फर्क बस इतना ही है कि आशुतोष महाराज के शिष्यों की तरह आशुतोषांबरी के अनुयायी उनके शरीर को डीप फ्रिजर में नहीं रखना चाहते. बल्कि उनकी तो इच्छा है कि जड़ी बूटियों के लेप के साथ उनके शरीर को यूं ही फ्रिजर से बाहर खुली हवा में रखा जाए. बल्कि साध्वी आशुतोषांबरी के शिष्यों का तो यहां तक कहना है कि चूंकि आशुतोष महाराज के अनुयायियों ने उनके शरीर को डीप फ्रिज़र में रख दिया है, इसीलिए उनका भी समाधि में वापस लौटना मुश्किल हो रहा है.

कैसे होगा इस कहानी का अंत?
तो क्या वाक़ई एक साल तक साध्वी आशुतोषांबरी का शरीर आश्रम में यूं ही रखा रहेगा? तो क्या सिर्फ़ जड़ी बूटियों के लेप के सहारे किसी के शरीर को इस तरह प्रिजर्व किया जा सकता है? अगर वाकई साध्वी के शरीर को डीप फ्रिज़र में नहीं रखा गया तो क्या उसके ख़राब होने का ख़तरा नहीं है? साध्वी की इस समाधि को लेकर आख़िर उनकी जांच करने वाले डॉक्टरों का क्या कहना है? अगर एक साल में भी साध्वी समाधि से वापस नहीं लौटी तो आख़िर इस कहानी का अंत कैसे होने वाला है? आखि़र समाधि के नाम पर किसी के शरीर को यूं ही रख लेने पर क़ानून क्या कहता है? ज़ाहिर है ये वो सवाल हैं, जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है. लेकिन इन सवालों के तह तक जाने के लिए दो-दो समाधियों की इस महागाथा को अच्छी तरह समझना ज़रूरी है.

28 जनवरी 2014 जालंधर, पंजाब
यही वो तारीख थी, जब जालंधर के नूरमहल में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के मुखिया आशुतोष महाराज ने जीते जी समाधि ले ली. समाधि में जाते हुए वो ऐसे लेटे कि फिर कभी नहीं उठे. एक वो दिन था और एक आज का दिन, महाराज के शिष्य आज भी उनके अपने शरीर में वापस लौट आने की उम्मीद लिए उनका इंतज़ार कर रहे हैं. और तो और आशुतोष महाराज के शिष्यों ने उनके शरीर को पिछले दस सालों से उनके दोबारा उठ खड़े होने की उम्मीद में एक डीप फ्रिजर में रख छोड़ा है.

28 जनवरी 2024 आनंद आश्रम, लखनऊ
कहते हैं इतिहास कभी ना कभी अपने आप को दोहराता जरूर है. महाराज की समाधि वाली कहानी में नया ट्विस्ट ये है कि अब ठीक आशुतोष महाराज की तर्ज पर उनकी एक खास शिष्या साध्वी आशुतोषांबरी ने भी समाधि ले ली है. बाबा के समाधि में जाने के ठीक दस साल बाद 28 जनवरी को साध्वी आशुतोषांभरी अपने बिस्तर पर ऐसे लेटी कि अब तक लेटी हैं. फिलहाल उनके पूरे शरीर पर कई तरह के लेप लगे हैं और उनके शिष्य उनका दिन रात ख्याल रख रहे हैं.

समाधि के आस-पास हवन-पूजन की शुरूआत
बल्कि अब तो आनंद आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी के इर्द-गिर्द उनके शिष्यों ने उन्हें समाधि से वापस लाने के लिए हवन-पूजन की शुरुआत कर दी है. लेकिन ये हवन-पूजन कब तक चमत्कार दिखाएगा, दिखाएगा भी ये नहीं. ये कोई नहीं जानता. आशुतोषाबंरी की समाधि का सच जानने के लिए आज तक की टीम ने आनंद आश्रम का दौरा किया और अंदर समाधि स्थल तक जाने देने की गुजारिश की, लेकिन इसकी इजाजत नहीं मिली. आश्रम में उनके शिष्यों ने कहा कि चूंकि अंदर हवन चल रहा है, इसलिए अंदर जाना मुमकिन नहीं.

साध्वी के शिष्यों का भरोसा
इधर, आश्रम के बाहर आशुतोषांबरी के चाहने वालों की सांसे हलक में अटकी हैं कि अब आगे क्या होगा. फिलहाल, हालत ये है कि साध्वी आशुतोषांबरी की देखादेखी अब उनके कई देसी विदेशी शिष्य इस आश्रम में पहुंच कर समाधि लेने की कोशिश करने लगे हैं. कई लोग तो कम वक़्त के लिए समाधि ले भी रहे हैं और फिर वापस सामान्य दिनचर्या में लौट रहे हैं. और ये सिलसिला फिलहाल आनंद आश्रम में लगातार चल रहा है. खुद साध्वी के आश्रम से जुड़ी दूसरी साध्वियों का कहना है कि उनकी गुरु मां आज नहीं तो कल ज़रूर समाधि से वापस आएंगी. बल्कि आश्रम की कुछ साध्वियों का तो यहां तक कहना था कि वो समाधि में लेटी अपनी गुरु मां से आज भी आध्यात्मिक तौर पर जुड़ी हुई हैं. बातें कर रही हैं और समाधि में लेटी-लेटी आशुतोषांबरी कह रही हैं कि वो जल्द लौट कर आएंगी.

साध्वी को क्लिनिकली डेड मानते हैं डॉक्टर
अब बात उस सबसे अहम सवाल की, जिसके जवाब पर ये सारा का सारा एपिसोड टिका है. सवाल ये है कि साध्वी आशुतोषांबरी ज़िंदा भी हैं या नहीं? तो साध्वी की जांच करने वाले सरकारी डॉक्टर के मुताबिक वो ना तो सांस ले रही हैं, ना ही उनकी पल्स चल रही है. और तो और उनके शरीर का कोई भी ऑर्गन फिलहाल काम नहीं कर रहा है. खुद डॉक्टर उन्हें क्लिनिकली डेड तो मानते हैं, लेकिन उन्हें डेड डिक्लीयर करने के सवाल पर कहते हैं कि किसी और डॉक्टर से उनकी मेडिकल जांच करवाई जा सकती है. समाधि में गईं साध्वी की जांच करनेवाले डॉक्टर जेपी सिंह ने साध्वी की सेहत को लेकर शासन को अपनी रिपोर्ट भेज दी है.

समाधि की चरम अवस्था!
हालांकि आश्रम के कर्ता-धर्ता साध्वी आशुतोषांबरी को ज़िंदा ही मानते हैं. उनका कहना है कि जब कोई इंसान समाधि में जाता है, तो बेशक उसके शरीर के अंग प्रत्यंग काम करते हुए ना दिखते हों, लेकिन दिमाग़ यानी मष्तिष्क काम करता है. और समाधि की एक चरम अवस्था है. आश्रम के जुड़े लोगों की मानें तो इस सच को जानने के लिए उनके दिमाग का सीटी स्कैन करवाया जा सकता है. लेकिन पेंच ये है कि आम तौर पर पाई जाने वाली भारी-भरकम सीटी स्कैन मशीन आश्रम में कौन लेकर आए और कौन उनके दिमाग की जांच करवाए? ऐसे में फिलहाल सबसे बड़ा पेंच तो साध्वी के ज़िंदा और मुर्दा होने के बीच ही फंसा है.

शरीर के सारे ऑर्गन ठप
फिलहाल, आश्रम में साध्वी आशुतोषांबरी अपनी बिस्तर पर पिछले 39 दिन से लगातार लेटी हैं. उनका उठना-बैठना, खाना-पीना, सबकुछ बंद है. बल्कि डॉक्टरों की मानें तो अब तो वो ना तो सांस ले रही हैं और ना ही उनकी धड़कन चल रही है. सारे ऑर्गन ठप पड़ गए हैं. और इस हाल में उनके शरीर को सुरक्षित रखने के लिए पूरे शरीर पर तरह-तरह की जड़ी बूटियों के लेप लगा दिया गया है. उनका एक खास शिष्य लगातार उनके सिर को अपनी गोद में लेकर बैठा है. हालांकि वो बीच-बीच में वहां से उठता है और अपनी रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा कर फिर से उनका सिर अपनी गोद में लेकर बैठ जाता है.

क्या मुमकिन है ऐसी समाधि?
मगर सवाल ये है कि क्या यूं लेटे-लेटे किसी का समाधि में चले जाना मुमकिन है? वो भी ऐसी समाधि जिसमें इंसान के लिए सांस लेना भी जरूरी ना रह जाए? उसे सर्दी गर्मी का भी असर ना हो? ना भूख-प्यास का अहसास हो? और तो और उसके शरीर को डीप फ्रिजर में रख दिया जाए और फिर भी उसे कोई फर्क ना पड़े? क्या ऐसी समाधि भी मुमकिन है?

क्या सच में लौट आएंगी साध्वी?
मेडिकल साइंस और तर्क के पैमाने पर इन सारे सवालों के जवाब ना में हैं. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा किसी की मौत की हालत में ही हो सकता है. और एक बार मरने के बाद इंसान कभी दोबारा ज़िंदा नहीं होता. लेकिन दुनिया भर में मौजूद आशुतोष महाराज के लाखों शिष्यों की तरह अब साध्वी आशुतोषांवरी के चाहने वालों का भी मानना है कि उन्होंने जीते-जी अपनी मर्जी से समाधि ली है और अपनी मर्जी से एक रोज़ वापस लौट आएंगी.

हिन्दुस्तान ग्लोबल टाइम्स,/प्रिंट मीडिया शैल ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर उत्तराखंड

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