क्या मौत सबकुछ खत्म कर देती है? या फिर इसके बाद आत्मा एक अनदेखी, रहस्यमयी और कठिन यात्रा पर निकलती है? यह सवाल सदियों से इंसान के मन में गूंजता आया है. हिन्दू धर्म का पवित्र ग्रंथ गरुड़ पुराण में इस सवाल का चौंकाने वाला जवाब दिया गया है.

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इस ग्रंथ के मुताबिक, जब इंसान मरता है, तब उसकी आत्मा को 13 दरवाजों से गुजरना होता है.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

हर दरवाजा एक अलग पड़ाव है, जहां आत्मा के कर्मों का परीक्षण होता है. लेकिन इन सबमें सबसे रहस्यमयी और खतरनाक माना जाता है वो है तेरहवां दरवाजा.. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ये तेरहवां दरवाजा है क्या ?

आत्मा की अनोखी यात्रा

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा तुरंत शुरू हो जाती है. उसे एक-एक कर 13 द्वारों से गुजरना होता है. हर दरवाजे पर आत्मा से उसके कर्मों से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं. अच्छे और बुरे कर्मों का पूरा हिसाब लिया जाता है. लेकिन 13वां दरवाजा सबसे खास और कठिन होता है. यही वह जगह है, जहां आत्मा के पूरे जीवन का अंतिम फैसला होता है.

ब्रह्मांडीय न्यायालय

तेरहवां दरवाजा एक अदृश्य कोर्ट जैसा होता है. इसे “ब्रह्मांड की अंतिम अदालत” भी कहा जाता है. यहां आत्मा के हर छोटे-बड़े अच्छे-बुरे कर्मों का न्याय होता है. यह न कोई सजा की जगह होती है और न ही कोई इनाम की. यह तो एक शुद्धिकरण की प्रक्रिया होती है, जहां आत्मा को अगले जन्म या मुक्ति के लिए तैयार किया जाता है.

विज्ञान क्या कहता है?

वैज्ञानिकों का मानना है कि मरने के कुछ समय बाद तक इंसान के दिमाग में इलेक्ट्रिक सिग्नल चलते रहते हैं. इससे ऐसा अनुभव हो सकता है कि आत्मा कहीं यात्रा कर रही है. इसे ही धार्मिक भाषा में आत्मा की यात्रा कहा गया है. यानी विज्ञान और धर्म, दोनों अपनी-अपनी भाषा में इसी यात्रा की बात करते हैं.

कर्मों का पूरा लेखा-जोखा

गरुड़ पुराण बताता है कि इस अंतिम दरवाजे पर आत्मा को अपने पूरे जीवन का ब्योरा देना पड़ता है. अगर उसने अच्छे काम किए हैं तो वह स्वर्ग की ओर बढ़ती है. लेकिन अगर पाप किए हैं, तो उसे नरक या फिर 84 लाख योनियों में वापस भेज दिया जाता है. यही आत्मा के भविष्य का फैसला होता है.

क्यों है ये सबसे कठिन परीक्षा?

13वां दरवाजा इसलिए भी डरावना माना जाता है क्योंकि यहां आत्मा से कोई झूठ नहीं छिप सकता. हर गलती, हर पाप सामने आ जाता है. आत्मा को अपनी गहराई तक झांकना होता है और खुद को परखना होता है. तभी वह तय कर पाती है कि आगे उसका रास्ता मुक्ति का होगा या पुनर्जन्म का होगा.

कब मिलती है मुक्ति?

जब आत्मा सभी दरवाजों को पार कर लेती है और पूरी तरह शुद्ध हो जाती है, तभी उसे मोक्ष यानी मुक्ति मिलती है. वरना उसे दोबारा इस संसार में लौटना पड़ता है और फिर से वही जीवन चक्र शुरू हो जाता है.


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