पीएम मोदी ने भी उनके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया. यह दृश्य न केवल भारत-साइप्रस संबंधों की गर्मजोशी को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान और प्रभाव को भी उजागर करता है.


निकोसिया के ऐतिहासिक केंद्र में हुआ स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में यह विशेष स्वागत साइप्रस की राजधानी निकोसिया के ऐतिहासिक केंद्र में आयोजित किया गया था. यहां प्रधानमंत्री को पारंपरिक साइप्रिऑट शैली में सम्मानित किया गया, लेकिन परिषद की सदस्य मिशेला ने जब भारतीय संस्कृति का आदर करते हुए उनके चरण स्पर्श किए, तो यह दृश्य खासा चर्चा में आ गया.
भारतीय संस्कृति की सराहना
प्रधानमंत्री मोदी ने मिशेला काइथ्रेओटी के इस भाव को सराहते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति अब सीमाओं से परे एक वैश्विक धरोहर बनती जा रही है. उन्होंने मिशेला के इस कदम को भारतीय परंपराओं और मूल्यों के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति बताया. मोदी ने कहा, “यह एक विशेष क्षण है जब कोई विदेशी नेता भारतीय संस्कृति को इतने सम्मान से स्वीकार करता है. इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे.”
कूटनीतिक संबंधों से आगे बढ़ता सांस्कृतिक जुड़ाव
यह घटना केवल एक औपचारिकता भर नहीं थी, बल्कि यह संकेत भी था कि भारत और साइप्रस के रिश्ते अब केवल कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और मानवीय स्तर पर भी प्रगाढ़ हो रहे हैं. मिशेला ने बाद में मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में पढ़ा है और प्रधानमंत्री मोदी से मिलना उनके लिए एक प्रेरणादायक अनुभव रहा.
भारत-साइप्रस संबंधों में नई ऊर्जा
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा साइप्रस के साथ भारत के संबंधों में नई ऊर्जा और सकारात्मकता लेकर आया है. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने व्यापार, निवेश, शिक्षा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की. सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देने पर जोर दिया गया.

