इस दिन को विशेष रूप से महर्षि वेद व्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया था महाभारत की रचना की थी. शिष्य अपने गुरुओं को सम्मानित करते हैं, उनके चरणों में पुष्प प्रसाद अर्पित करते हैं उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं. शिक्षण संस्थानों गुरुकुलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां गुरु शिष्य एक साथ मिलकर इस पर्व को मनाते हैं.
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर ,उत्तराखंड
इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई, रविवार को है। इस दिन गुरु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। भगवान ने भी जब-जब धरती पर अवतार लिया, उन्होंने भी गुरु से ही शिक्षा पाई।
इसलिए गुरु को भगवान से भी श्रेष्ठ माना जाता है। कंस का वध करने के बाद जब श्रीकृष्ण ने मथुरा को उसके आंतक से मुक्त किया था तो इसके बाद वे पढ़ाई के लिए उज्जियनी (वर्तमान उज्जैन) आए थे। यहां उन्होंने अपने गुरु को दक्षिणा में क्या दिया, आगे जानिए…
कौन थे भगवान श्रीकृष्ण के गुरु?
श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकष्ण और बलराम शिक्षा प्राप्त के लिए गुरु सांदीपनि के आश्रम में उज्जयिनी आए और कईं सालों तक यहां रहे। उज्जयिनी ही वर्तमान का उज्जैन है, जो क्षिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है। यहां श्रीकृष्ण ने 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया। सुदामा से श्रीकृष्ण की दोस्ती भी यहीं हुई थी। भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भी इसी आश्रम में दिया था।
श्रीकृष्ण ने गुरु दक्षिणा में क्या दिया?
जब श्रीकृष्ण-बलराम की शिक्षा पूरी हो गई और गुरु दक्षिणा देने की बात आई तो गुरु सांदीपनि ने उन्हें परंपरा के अनुसार दक्षिणा देने की बात कही। लेकिन श्रीकृष्ण ने कहा कि ‘इसके अतिरिक्त भी यदि आपको कुछ चाहिए तो संकोच मत कीजिए।’ तब गुरु सांदीपनि की पत्नी ने कहा कि ‘कईं सालों पहले मेरे पुत्र की अकाल मृत्यु हो चुकी है, यदि तुम उसे ला सको तो यही तुम्हारी गुरु दक्षिणा होगी।
श्रीकृष्ण ने किया पंचजन्य का वध
गुरु पुत्र को लाने के लिए श्रीकृष्ण समुद्र किनारे पहुंचें, जहां उनके पुत्र की मृत्यु हुई थी। श्रीकृष्ण ने समुद्र से गुरु पुत्र लौटाने को कहा। तब समुद्र ने कहा कि ‘पानी की गहराई में पंचजन्य नाम का एक राक्षस है, शायद उसी के पास गुरु सांदीपनि का पुत्र हो। तब श्रीकृष्ण ने पंचजन्य राक्षस का वध कर दिया। लेकिन गुरु पुत्र वहां भी नहीं मिला।
यमराज से भी भिड़ गए श्रीकृष्ण
समुद्र में भी गुरु पुत्र के न मिलने पर ब श्रीकृष्ण सीधे यमराज के पास पहुंचें और उनसे गुरु पुत्र को लौटाने को कहा। यमराज श्रीकृष्ण को पहचान नहीं पाए और उनसे युद्ध करने लगे। बाद में जब उन्हें श्रीकृष्ण की वास्तविकता का ज्ञान हुआ तो उन्होंने गुरु पुत्र को लौटा दिया। गुरु पुत्र को लेकर श्रीकृष्ण गुरु के पास पहुंचें और उन्हें दक्षिणा के रूप में उसे लौटा दिया।
उज्जैन में आज भी गुरु सांदीपनि का आश्रम
भगवान श्रीकृष्ण ने जहां शिक्षा प्राप्त की, गुरु सांदीपनि का वो आश्रम आज भी उज्जैन में मंगलनाथ मार्ग पर स्थित है। यहां प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं और अपना शीश झुकाते हैं। ये आश्रम लोगों की आस्था का केंद्र है। गुरु पूर्णिमा आदि मौकों पर यहां विशेष आयोजन भी किए जाते हैं। गुरु सांदीपनि का वंशज आज भी इस आश्रम में सेवा कर रहे हैं।
गुरु पूर्णिमा का महत्व केवल धार्मिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी है. यह दिन हमें ज्ञान शिक्षा के महत्व को समझने अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है.
1) गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं! आपके जीवन में सदैव ज्ञान की रोशनी बनी रहे.
2) गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! आपके मार्गदर्शन प्रेरणा से हम सदैव प्रगति के पथ पर आगे बढ़ते रहें.
3) गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर आपके चरणों में नमन, आपके सिखाए आदर्श हमें हमेशा सही राह दिखाते रहें.
4) गुरु बिना ज्ञान अधूरा है, गुरु बिना जीवन निस्सार है. इस गुरु पूर्णिमा पर आपके जीवन में गुरु का आशीर्वाद बना रहे.
5) गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! आपके आशीर्वाद से जीवन में सफलता समृद्धि प्राप्त हो.
6) गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आपके जीवन में शांति, प्रेम ज्ञान की ज्योति हमेशा प्रज्वलित रहे.
7) गुरु के बिना जीवन अधूरा है, गुरु के आशीर्वाद से जीवन में प्रकाश आए. गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं!
8) गुरु के चरणों में विनम्रता श्रद्धा के साथ नमन, गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!
9) गुरु का आशीर्वाद सदैव आपके साथ रहे, आपके जीवन में ज्ञान सफलता की प्राप्ति हो. गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं!
10) गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं! आपके जीवन में सदैव गुरुओं का आशीर्वाद बना रहे आप नई ऊंचाइयों को छूते रहें.
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