अगर आपसे पूछा जाए कि दुनिया का सबसे घातक हथियार क्या है? आपके मन में पहला ख्याल परमाणु बम का ही आएगा. दुनिया ने इस शक्तिशाली बम की तबाही का मंजर एक बार ही देखा है, जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा-नागासाकी पर परमाणु हमला किया था.

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इस बात को कई दशक बीत चुके हैं, लेकिन तबाही के निशान आज तक हरे हैं.

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

हालांकि, हम आपसे कहें कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार परमाणु बम नहीं है तो आप सोच में पड़ जाएंगे. इससे पहले कि आप दिमाग के घोड़े ज्यादा दौड़ाएं हम आपको बता देते हैं. दुनिया का सबसे घातक और ताकतवर हथियार हाईड्रोजन बम है. इसकी ताकत किसी भी परमाणु बम से 1000 गुना ज्यादा होती है. जब 6 अगस्त, 1945 में अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराया था तो 140,000 लोग मारे गए थे और 70 शहर तबाह हो गए थे. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि परमाणु बम से 1000 गुना ताकतवर ‘हाइड्रोजन बम’ की तबाही किस स्तर की होगी.

क्या है हाइड्रोजन बम की ताकत

हाइड्रोजन बम उसी क्रिया पर काम करता है, जो सूर्य के गर्भ में चलती है. यानी कि लगातार विस्फोटों से गर्मी का पैदा होना. किसी भी हाइड्रोजन बम को बनाने में Deuterium और Tritium का इस्तेमाल किया जाता है. यह बम आइसोटोप्स के संलयन के सिद्धांत पर काम करता है, यही क्रिया सूर्य के गर्भ में भी होती है. हाइड्रोजन बम तीन चरणों में फटता है. पहले के दो चरणों 50 लाख डिग्री सेल्सियस गर्मी उत्पन्न होती है. यह गर्मी इसके मुख्य रिएक्टर को फटने में मदद करती है. इसके फटने के बाद इतनी रोशनी उत्पन्न होती है, जितनी कि सूर्य में होती है. यानी इसे देखने मात्र से इंसान अंधा हो सकता है.

कितने देशों के पास है हाइड्रोजन बम

आधिकारिक तौर पर हाइड्रोजन बम दुनिया में चुनिंदा देशों के पास ही है. ये देश हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, भारत, पाकिस्तान और इजराइल. सबसे अमेरिका ने 1952 में इसका परीक्षण किया था. इसके एक साल बाद रूस ने भी यह बम बना लिया था. भारत ने 1998 में इस बम का परीक्षण किया था. यह हम इतना ज्यादा शक्तिशाली है कि जीवन को पूरी तरह खत्म कर सकता है. यही कारण है इतिहास में कभी भी हाइड्रोजन बम का इस्तेमाल किसी भी युद्ध में नहीं किया गया है.

कितनी बार में फटता है हाइड्रोजन बम, 73 साल पहले बना था तो इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ?


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