10% क्षैतिज आरक्षण का लाभ लेने के बाद पेंशन हो जाएगी बंद, प्रवर समिति कर रही है राज्य आंदोलनकारी पर अध्ययन, कैटिगरी के हिसाब से होगा राज्य आंदोलनकारी का चयन, जेल गए राज्य आंदोलनकारी को मिलेगी प्राथमिकता, केवल एक बार मिलेगा 10% क्षैतिज आरक्षण का लाभ, चिन्हित राज्य आंदोलनकारी में असमंजस्य की स्थिति,

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प्रवर समिति तदर्थ समिति की सलाहकार समिति के अंतर्गत आती है । इसका गठन किसी विधेयक पर विचार करके उसकी रिपोर्ट देने के लिये किया जाता है। यह समिति विधेयक पर उसी प्रकार विचार करती है जैसे दोनों सदन किसी विधेयक पर विचार करते हैं । समिति के सदस्य अगर चाहें तो विभिन्न प्रावधानों पर संशोधन के लिये प्रस्ताव रख सकते हैं।

प्रवर समिति उत्तराखंड का कार्यकाल 1 वर्ष का होगा।

क्या कहते हैं चिन्हित राज्य आंदोलनकारी आप भी पढ़िए राज्य आंदोलनकारियों के 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण संबंधी विधेयक में केवल घायल व जेल गए आंदोलनकारियों को ही आरक्षण देना एक संदेह का विषय बना हुआ है । क्या जानबूझकर इस विधेयक को चंद आंदोलनकारियों नौकरशाहों और प्रदेश की bjp सरकार व विपक्ष की कांग्रेस सरकार की मिलीभगत से लाया गया है ये सवाल राज्य के 15000 चिन्हित आन्दोलनकारियों के मन में खड़ा हो रहा है । विधेयक में केवल घायल जेल गए आन्दोलनकारी व उनके आश्रितो के लिए प्रावधान किया गया है । जबकि मुख्यमंत्री आवास घेराव के समय पूरे प्रदेश के आन्दोलनकारी इस उम्मीद से जुटे थे कि उनको भी इस विधेयक के पारित होने पर लाभ मिलेगा । आंदोलनकारियों के आंदोलन की अगुवाई करने वालों से बड़ी चालाकी से अन्य आन्दोलनकारियों से यह बात छुपाई थी कि इस से सभी चिन्हित राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत का लाभ मिलेगा । परंतु सदन में विधेयक के आते ही इन चंद आंदोलनकारियों की कलई सबसे सामने खुल गयी । यदि सदन में विधेयक पारित हो।जाता तो राज्य के 15000 आन्दोलनकारी ठगे जाते । अब सवाल यह है कि प्रवर समिति में विधेयक के संसोधन पर कार्य होना है जिसमें राज्य के सभी चिन्हित आन्दोलनकारी को समाहित किये जाने की आवश्यकता है । यदि ऐसा नही हुआ तो राज्य के 15000 आन्दोलनकारियों के साथ सरकार विपक्ष व आरक्षण की परिधि में लाभ लेने वाले लोग व अधिकारीगण सवालों के घेरे में आएंगे ।


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