
उत्तराखंड रुद्रपुर 2025 के जिला पंचायत, ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनावों ने उत्तराखंड की राजनीति को एक बार फिर गाँव-शहर के अंतर्संघर्ष में लाकर खड़ा कर दिया है। खासकर उधम सिंह नगर जैसे ज़िले में, जहां शहरीकरण के दबाव, जातीय समीकरण, महिला नेतृत्व और संगठनात्मक शक्ति—सभी घटक मिलकर एक जटिल चुनावी परिदृश्य खड़ा कर रहे हैं।
कुरैया सीट: एक ‘मिनी विधानसभा’ जैसा संग्राम
कोमल चौधरी का 26 जुलाई को आयोजित भव्य रोड शो, जो डायनामिक सिटी से दानपुर तक चला, भाजपा के लिए केवल एक प्रचार अभियान नहीं बल्कि एक शक्ति प्रदर्शन था। रोड शो में विधायक शिव अरोड़ा, महापौर विकास शर्मा, ओबीसी मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र चौधरी सहित जाट महासभा के कई पदाधिकारियों की उपस्थिति से यह साफ संकेत गया कि यह चुनाव कोमल चौधरी नहीं, पूरी भाजपा लड़ रही है।
लेकन क्या भीड़ ही जीत की गारंटी है?


शहरी उत्साह बनाम ग्रामीण गणित?इस चुनाव का निर्णायक पहलू यही है—क्या शहरी समर्थन ग्रामीण विरोध को काट सकता है?
जहां एक ओर शहरी वार्डों में कोमल चौधरी को ज़बरदस्त समर्थन मिलता दिख रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी ने जमीनी पकड़ बनाई हुई है। खासकर एक ऐसे निर्दलीय प्रत्याशी की उपस्थिति, जो कभी भाजपा के भीतर थे और अब जातीय समीकरणों के सहारे सधे हुए अंदाज़ में चुनावी ज़मीन खोद रहे हैं।
‘उगता सूरज’ की चमक बनाम क्षेत्रीय विकल्पों की चुनौती?भाजपा का चुनाव चिन्ह ‘उगता सूरज’ आज भी जनमानस में विकास और नेतृत्व का प्रतीक है, लेकिन ग्रामीण मतदाताओं की अपेक्षाएं अब बहुत अधिक व्यावहारिक और स्थानीय हो चुकी हैं। बिजली, पानी, सड़क, आवास, सम्मान—इन मुद्दों पर सीधा रिपोर्ट कार्ड मांगा जा रहा है। ऐसे में केवल पार्टी का नाम काफी नहीं, प्रत्याशी की छवि और स्थानीय जुड़ाव भी उतना ही अहम है।
महिला नेतृत्व की प्रयोगशाला बनता उत्तराखंड??कोमल चौधरी का चेहरा भाजपा ने जिस विश्वास से आगे किया है, वह यह दर्शाता है कि पार्टी महिला नेतृत्व को उभारने का मन बना चुकी है। यदि कोमल यह सीट जीतती हैं, तो यह न केवल भाजपा के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त होगी, बल्कि राज्य की अन्य पंचायत सीटों पर भी महिला उम्मीदवारों को बढ़त मिल सकती है।
उधम सिंह नगर: जातीय जमीने, धार्मिक मोर्चे?यह चुनाव एक और परिप्रेक्ष्य में भी महत्वपूर्ण है—जातीय मोर्चाबंदी और धार्मिक संगठनात्मक सक्रियता। जाट, सिख, मुस्लिम और अन्य पिछड़ा वर्ग इस जिले की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। जिस तरह से जाट महासभा के कई पदाधिकारी इस रोड शो में शामिल हुए, उससे यह संदेश गया कि भाजपा जातीय समर्थन भी साध रही है।
लेकिन क्या यह समर्थन मतदान केंद्र तक पहुंच पाएगा? यह बड़ा सवाल है, क्योंकि कई बार मंच पर दिखता उत्साह बूथों पर वोट में नहीं बदलता
पंचायत चुनाव 2025—केवल स्थानीय नहीं, भविष्य का संकेतक?उत्तराखंड में होने वाले ये पंचायत चुनाव केवल प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सीटों की लड़ाई नहीं हैं। ये चुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों की भूमिका तय करने वाले हैं। हर क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीयों के बीच जो शक्ति परीक्षण हो रहा है, वह 2025 की राजनीति का आईना है।
कुरैया सीट पर कोमल चौधरी ने रोड शो के जरिए जो संदेश दिया है—आत्मविश्वास, संगठन, महिला सशक्तिकरण और शहरी शक्ति—वह पूरे राज्य की भाजपा की रणनीति का प्रतीक है। अब देखना यह होगा कि यह रणनीति ग्रामीण धरातल पर वोटों में तब्दील हो पाती है या नहीं।
अगले चरण की रिपोर्ट में हम रोड शो के बाद की जनप्रतिक्रिया, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों की रणनीति तथा कोमल चौधरी की छवि पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

