
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हत्या के एक मामले में दो जांच अधिकारियों द्वारा परस्पर विरोधी रिपोर्ट पेश करने पर नाराजगी व्यक्त की है। एक जांच अधिकारी ने आरोपी को बरी करते हुए अंतिम रिपोर्ट दाखिल की है, जबकि दूसरे ने उसे फंसाते हुए आरोप पत्र दाखिल किया है। जस्टिस राकेश थपलियाल की एकल पीठ ने गुरुवार को आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) तथा संबंधित एसएसपी को कोर्ट में पेश होने के लिए तलब किया।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
मामला हरिद्वार जिले के मंगलौर थाना क्षेत्र में जमीन विवाद को लेकर दो पक्षों के बीच हुई झड़प से जुड़ा है। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और सात अन्य घायल हो गए थे। याचिकाकर्ता ने जमानत याचिका दायर कर रिहाई की मांग की थी। सुनवाई के दौरान दोनों जांच अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुए। राज्य सरकार की ओर से पेश वीडियो क्लिप देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि दोनों एफआईआर में चार्जशीट दाखिल की जानी है।
हालांकि, एक एफआईआर में आरोप पत्र दाखिल किया गया, जबकि दूसरे में जांच अधिकारी ने अंतिम रिपोर्ट पेश की। जबकि दोनों एफआईआर एक ही आपराधिक घटना से संबंधित थीं।
कोर्ट ने कहा कि एक ही मामले के लिए अलग-अलग जांच अधिकारियों की नियुक्ति से विरोधाभासी निष्कर्ष सामने आए। अगर केवल एक ही जांच अधिकारी ने मामले को संभाला होता तो सटीक रिपोर्ट की उम्मीद की जा सकती थी। कोर्ट ने कहा कि विरोधाभासी रिपोर्ट स्पष्ट रूप से गलत जांच का संकेत देती हैं।

