
ये बम सिर्फ़ अमेरिका के ही पास है.


सटीक निशाना लगाने वाला क़रीब 13 हज़ार 600 किलोग्राम वज़न का यह हथियार शायद ईरान के भूमिगत परमाणु ठिकाने फोर्दो तक पहुंच सकता है. फोर्दो परमाणु केंद्र एक पहाड़ के अंदर स्थित है.
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
अभी तक अमेरिका ने इसराइल को मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (एमओपी) नहीं दिया है.
लेकिन यह हथियार क्या है? क्या इसका इस्तेमाल किया जा सकता है? इसके इस्तेमाल में क्या चुनौतियां हैं?
अमेरिका की सरकार के अनुसार, जीबीयू-57ए/बी एक ‘ख़तरनाक भेदक हथियार’ है, जो गहराई में दबे और मज़बूत बंकरों के साथ सुरंगों पर हमला करने की क्षमता रखता है.
छह मीटर लंबा यह हथियार विस्फोट करने से पहले सतह से लगभग 61 मीटर नीचे घुसने में सक्षम माना जाता है. इसके ज़रिए एक के बाद एक कई बम गिराए जा सकते हैं, जिससे हर विस्फोट के साथ बम और गहराई तक ड्रिल कर सकता है.
इसे बोइंग कंपनी ने बनाया है और एमओपी का कभी भी युद्ध में इस्तेमाल नहीं किया गया है. अमेरिका के न्यू मैक्सिको प्रांत के व्हाइट सैंड्स मिसाइल रेंज में इस हथियार का परीक्षण किया गया है.
यह मैसिव ऑर्डनेंस एयर ब्लास्ट (एमओएबी) से भी ज़्यादा शक्तिशाली हथियार है. एमओएबी 9 हज़ार 800 किलोग्राम वज़न का हथियार है, जिसे “मदर ऑफ़ ऑल बॉम्ब्स” के नाम से जाना जाता है.
इसका इस्तेमाल 2017 में अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध के दौरान किया गया था.
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ब्रिटेन में ब्रैडफ़र्ड यूनिवर्सिटी के पीस स्टडीज़ विभाग के एमेरिटस प्रोफ़ेसर पॉल रोजर्स कहते हैं, “अमेरिकी वायु सेना ने एमओएबी के समान आकार के हथियार बनाने में काफ़ी मेहनत की और विस्फोटक चार्ज को कठोर धातु के खाँचे में रखा गया. इसका नतीजा जीबीयू-57ए/बी मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर है.”
वर्तमान में केवल यूएस बी-2 स्पिरिट (जिसे स्टेल्थ बॉम्बर के नाम से भी जाना जाता है) को एमओपी ले जाने के लिए कॉन्फ़िगर किया गया है.
बी-2 के नाम से पहचाना जाने वाला यह विमान नॉर्थरॉप ग्रमन कंपनी ने बनाया है.
यह अमेरिकी वायु सेना के बेड़े में शामिल सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक है. निर्माता के अनुसार, बी-2 विमान 18 हज़ार किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकता है.
अमेरिकी वायुसेना ने कहा है कि उसने दो जीबीयू-57ए/बी बंकर बस्टर्स ले जाने वाले बी-2 विमान का सफल परीक्षण किया है. इन दो बमों का कुल वज़न लगभग 27,200 किलोग्राम है.
नॉर्थरॉप ग्रमन के अनुसार, इस लंबी दूरी के भारी बमवर्षक की रेंज बिना ईंधन भरे लगभग 11,000 किलोमीटर है, जबकि उड़ान के दौरान एक बार ईंधन भरने पर यह 18 हज़ार 500 किलोमीटर तक जा सकता है. इससे यह विमान दुनिया में किसी भी स्थान पर कुछ ही घंटों में पहुंच सकता है.
प्रोफ़ेसर रोजर्स का कहना है कि अगर एमओपी का इस्तेमाल कभी ईरान जैसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली से लैस दुश्मन के ख़िलाफ़ किया जाता है, तो बी-2 बमवर्षकों के साथ संभवतः अन्य विमान भी तैनात किए जा सकते हैं.
उदाहरण के लिए, दुश्मन की सुरक्षा प्रणाली को नष्ट करने के लिए एफ़-22 स्टेल्थ स्ट्राइक विमान का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके बाद ड्रोन का प्रयोग नुक़सान का आकलन करने और यह तय करने के लिए किया जा सकता है कि आगे हमले की ज़रूरत है या नहीं.
उनका अनुमान है कि अमेरिका के पास एमओपी बमों का सीमित भंडार है. वे कहते हैं, “शायद उनके पास कुल 10 या 20 ऐसे बम हैं.”
क्या ईरान के ख़िलाफ़ एमओपी बम का इस्तेमाल होगा?
Whiteman Air Force Baseछह मीटर की लंबाई वाला यह हथियार विस्फोट करने से पहले सतह से लगभग 61 मीटर नीचे घुसने में सक्षम माना जाता है
नतांज़ के बाद फोर्दो ईरान की परमाणु संवर्धन वाली दूसरी सबसे बड़ी जगह है.
यह तेहरान से लगभग 95 किलोमीटर दूर, दक्षिण-पश्चिम में स्थित क़ूम शहर के पास एक पहाड़ के किनारे स्थित है.
माना जाता है कि इसका निर्माण 2006 के आसपास शुरू हुआ था और 2009 में इसे चालू किया गया. इसी साल ईरान ने इस परमाणु केंद्र के बारे में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था.
चट्टान और मिट्टी की अनुमानित 80 मीटर गहराई में स्थित होने के अलावा, फोर्दो कथित तौर पर सतह से हवा में मार करने वाली ईरानी और रूसी मिसाइलों से संरक्षित है.
मार्च 2023 में, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को यहां 83.7 फ़ीसदी शुद्धता वाले यूरेनियम के कण मिले थे. यूरेनियम की यह शुद्धता हथियार निर्माण के स्तर के काफ़ी क़रीब मानी जाती है.
इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान पर हमला करने का लक्ष्य उसके मिसाइल और परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना है, जिसे उन्होंने “इसराइल के अस्तित्व के लिए एक ख़तरा” बताया.
अमेरिका में इसराइल के राजदूत येचिएल लेइटर ने शुक्रवार को फ़ॉक्स न्यूज़ को बताया, “यह पूरा ऑपरेशन वास्तव में फोर्दो के ख़ात्मे के साथ पूरा होना चाहिए.”
लेकिन प्रोफ़ेसर रोजर्स का कहना है कि इसराइल के पास एमओपी को अपने दम पर तैनात करने की क्षमता नहीं है, और अमेरिका की सीधी भागीदारी के बिना इसके इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाएगी.
“वे निश्चित रूप से इसराइल को ऐसा ख़ुद करने की इजाज़त नहीं देंगे, और इसराइल के पास इस आकार के पेनेट्रेटर नहीं हैं.”
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अमेरिका इस बम का इस्तेमाल करेगा या नहीं, यह काफ़ी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि वह इस युद्ध में शामिल होने की इच्छा रखता है या नहीं.
प्रोफ़ेसर रोजर्स कहते हैं, “यह वास्तव में इस बात पर निर्भर करता है कि ट्रंप इसराइलियों की मदद के लिए पूरी तरह तैयार हैं या नहीं.”
कनाडा में जी-7 बैठक के दौरान ट्रंप से पूछा गया कि वॉशिंगटन को सैन्य रूप से शामिल होने के लिए क्या करना होगा. उन्होंने जवाब दिया, “मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता.”
हाल ही में एबीसी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में, राजदूत लिटर से फोर्दो पर हमले में अमेरिका की भागीदारी की संभावना के बारे में पूछा गया.
इस पर उन्होंने कहा कि इसराइल ने अमेरिका से केवल रक्षात्मक मदद मांगी है.
उनका कहना है, “हमारे पास आपात स्थिति के लिए कई विकल्प हैं, जो हमें फोर्दो से निपटने में सक्षम बनाएंगे.”
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और उसने कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश नहीं की है.
लेकिन पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के 35 देशों के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि ईरान ने 20 सालों में पहली बार, परमाणु हथियार निर्माण को रोकने वाले अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है.
गेम-चेंजर
कनाडा में जी-7 बैठक में जब ट्रंप से पूछा गया कि ईरान में सैन्य हस्तक्षेप करने के लिए अमेरिका को क्या करना होगा, तो उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता.’
ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े ठिकानों पर हाल ही में हुए इसराइली हवाई हमलों के बावजूद, प्रोफ़ेसर रोजर्स का मानना है, “यह लगभग असंभव है कि इसराइल किसी भी तरह से भूमिगत परमाणु केंद्र को नुक़सान पहुंचाने में सफल हो. उन्हें एमओपी जैसे हथियार की ज़रूरत होगी, जिसे वे अकेले यानी अमेरिकी मदद के बिना अंजाम नहीं दे सकते.”
अमेरिका स्थित आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन में परमाणु अप्रसार नीति की निदेशक केल्सी डेवनपोर्ट का कहना है, “जब तक फोर्दो चालू रहेगा, तब तक ईरान निकट भविष्य में परमाणु हथियार का जोख़िम पैदा करता रहेगा. ईरान के पास परमाणु हथियार के स्तर तक संवर्धन बढ़ाने या यूरेनियम को किसी अघोषित स्थान पर भेजने का विकल्प है.”
प्रोफ़ेसर रोजर्स का यह भी मानना है कि अगर एमओपी का इस्तेमाल किया भी जाए, तो ईरानी परमाणु केंद्रों की अज्ञात गहराई और उनकी सुरक्षा के कारण सफलता की कोई गारंटी नहीं है.
वे कहते हैं, “यह विशेष हथियार इस समय मौजूद किसी भी अन्य हथियार की तुलना में ईरानी परमाणु क्षमताओं को भूमिगत रूप से नुक़सान पहुँचाने का सबसे अच्छा मौक़ा देता है. लेकिन क्या यह वास्तव में ऐसा कर सकता है, कौन जानता है?”
