मामले की प्राथमिक जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। तकनीकी शिक्षा सचिव डॉ.रंजीत सिन्हा ने उच्चस्तरीय तकनीकी समिति गठित कर विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोषी पाए जाने वाले अफसरों पर कठोर कार्रवाई के साथ रिकवरी की भी संस्तुति की है।


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
यूटीयू ने एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) और यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम(यूएमएस) सॉफ्टवेयर बनवाने को लखनऊ की एक कंपनी से करार किया था। इसके तहत कंपनी को प्रति छात्र 567रुपये की दर से भुगतान किया गया, जो प्रतिवर्ष करीब दो करोड़ रुपये होता है।
इस मामले में आरोप लगने के बाद शासन ने जांच कराई। इसमें सामने आया कि यह सॉफ्टवेयर न तो समझौते की शर्तों के अनुरूप था, न इसका सही संचालन हो रहा था।
सॉफ्टवेयर बनने के बाद तकनीकी समिति से परीक्षण व अनुमोदन कराए बिना ही भुगतान कर दिया गया। भुगतान में भी पारदर्शिता नहीं बरती गई। ऐसे में कुलसचिव और कुलपति की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। इस संबंध में सचिव तकनीकी शिक्षा ने बताया कि विस्तृत जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

