जंतर-मंतर वही जगह है जहां एक दशक से भी पहले इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन से उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई थी।
दिल्ली शराब नीति केस में 13 सितंबर को जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल ने 17 सितंबर को CM पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था कि अब वो जनता की अदालत में जाएंगे। कार्यक्रम में पार्टी के सभी नेता शामिल होंगे।
AAP विधायक दिलीप पांडे ने कहा, ‘हमें पूरा भरोसा है कि जनता की अदालत में दिल्ली के लोग कहेंगे कि मेरा केजरीवाल ईमानदार है।’ केजरीवाल के इस्तीफे के बाद 21 सितंबर को आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गई हैं। उनके साथ सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत ने मंत्री पद की शपथ ली है।
फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए उनका कार्यकाल कम समय का होगा। पहली बार विधायक बनी आतिशी पार्टी का एक प्रमुख चेहरा हैं और उन्होंने आबकारी नीति मामले में केजरीवाल के तिहाड़ जेल में रहने के दौरान आप के संचालन का प्रबंधन किया था।
शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में आतिशी ने कहा कि यह आप नेताओं के लिए “बहुत भावुक क्षण” है। आतिशी ने कहा, “हालांकि मैंने सीएम के रूप में शपथ ले ली है… लेकिन यह हमारे लिए बहुत भावुक क्षण है, क्योंकि अरविंद केजरीवाल अब दिल्ली के मुख्यमंत्री नहीं हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल वह व्यक्ति हैं जिन्होंने दिल्ली को बदल दिया, वह व्यक्ति जिसने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य बदल दिया, केजरीवाल वह व्यक्ति हैं जिसने महिलाओं को मुफ्त बस टिकट दी। वह व्यक्ति जिसने सरकारी स्वास्थ्य सेवा को बदल दिया।”
17 सितंबर की शाम को केजरीवाल ने राज्यपाल को सौंपा था इस्तीफा
केजरीवाल ने 17 सितंबर की शाम उपराज्यपाल को सीएम पद से इस्तीफा सौंपा था। उनके साथ आतिशी और 4 मंत्री मौजूद रहे। इसके बाद आतिशी ने नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया था। इसके बाद आतिशी ने कहा कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं। पहला- दिल्ली के लोगों की भाजपा के षड्यंत्र से रक्षा करना। दूसरा- केजरीवाल को फिर से सीएम बनाना।
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर
सहानुभूति को भुनाना चाहते हैं केजरीवाल?
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है। यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं। इस दौरान सरकारें लोक-लुभावन चुनावी फैसले लेती हैं। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं। जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है। दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इसे भुनाना चाहेंगे।
ईमानदार नेता की छवि को मजबूत करेंगे केजरीवाल
दिल्ली शराब नीति केस में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे थे। इस्तीफा देने के बाद वे भाजपा नेताओं को सीधे कह सकेंगे कि सिर्फ आरोप रहते उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। अब उनकी ईमानदारी का फैसला जनता करेगी।