इसके अलावा माता दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था. इस दिन प्रभु राम और मां दुर्गा की पूजा की जाती है. पूरे देश में रावण का दहन किया जाता है. इस साल आज यानी 12 अक्टूबर को दशहरा मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं रावण दहन, शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त और तिथि.
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट,
दशहरा 2024 तिथि
हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 13 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 8 मिनट पर होगा. इसके चलते दशहरा का त्योहार आज यानी 12 अक्टूबर शनिवार को मनाया जा रहा है.
शुभ योग
इस दिन शुभ योग जैसे सर्वार्थ सिद्धि और रवि योग का निर्माण भी हो रहा है. ज्योतिष गणना के अनुसार आज सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर कल सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक श्रवण नाम का शुभ नक्षत्र भी रहेगा. इसके अलावा कुंभ राशि में शश राजयोग, लक्ष्मी नारायण योग और मालव्य राजयोग का निर्माण हो रहा है.
शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त
दशहरा के त्योहार पर रावण दहन से पहले शस्त्र पूजा करने का विधान है. इसके बिना रावण दहन करना अशुभ माना जाता है. शस्त्र पूजन का शुभ मुहूर्त आज दोपहर 2 बजकर 2 मिनट से लकेर 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में आप शस्त्र पूजन कर सकते हैं.
रावण दहन का शुभ मुहूर्त
रावण दहन का शुभ मुहूर्त आज यानी 12 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 45 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. इस दौरान रावण दहन किया जा सकता है.
मांगलिक कार्यों के लिए शुभ है दशहरा
ज्योतिष शास्त्र में दशहरा की तिथि सिद्धिदायक तिथि मानी जाती है. इस दिन आप यज्ञोपवीत संस्कार, भूमि पूजन, अक्षर लेखन संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य कर सकते हैं.
ये जीत हर साल आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की 10वीं तिथि को मनाई जाती है।
इस परंपरा में बुराई के अंत का प्रतीक रावण के पुतलों का दहन शामिल है। इस साल दशहरा शनिवार 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसमें देश भर में पुतलों का दहन किया जाएगा। इस दिन का हर किसी को बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है।
क्यों मनाया जाता है दशहरा?
दशहरा की कथा हमें भगवान राम के 14 साल के वनवास की याद दिलाती है, जिसके दौरान रावण ने माता सीता का अपहरण किया था। भगवान राम ने उनका पता लगाने के लिए हनुमान को भेजा, जिन्होंने सीता को सफलतापूर्वक ढूंढ लिया और रावण को उन्हें भगवान राम को सम्मानपूर्वक लौटाने की सलाह दी। हनुमान की चेतावनी को नज़रअंदाज़ करते हुए, रावण ने अपने विनाश को खुद ही आमंत्रण दे दिया।
क्यों विजयादशमी के तौर पर मनाते हैं 10वां दिन?
भगवान राम ने 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्त करने से पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी, यही वजह है कि इस त्यौहार को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान राम के गुणों द्वारा रावण के बुरे कृत्यों की हार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, इस विजय के प्रतीक के रूप में रावण, उसके बेटे मेघनाद और भाई कुंभकरण के पुतले जलाए जाते हैं।
क्या है दूसरी मान्यता?
विजयादशमी के उत्सव के पीछे एक और मान्यता है। मान्यता ये कि ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा नवें दिन चंडी बनी थीं और उन्होंने महिषासुर और उसकी सेना का संहार किया था। 10वें दिन उन्होंने महिषासुर को पूरी तरह से खत्म कर दिया था। यही वजह है कि शारदीय नवरात्र के ठीक बाद दशहरा मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन भी किया जाता है। ये युद्ध के अंत और शांति की बहाली का प्रतीक भी माना जाता है।
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यह त्योहार न केवल भगवान राम और मां दुर्गा की जीत का सम्मान करता है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की शक्ति की याद भी दिलाता है। ये समुदायों के लिए एक साथ आने, प्राचीन शिक्षाओं पर विचार करने और पारंपरिक उत्साह के साथ जश्न मनाने का समय है। पूरे देश में पुतलों का दहन, मूर्तियों का विसर्जन और देवताओं की पूजा दशहरा के सार को समेटे हुए है, जो इसे एक महत्वपूर्ण दिन बनाता है।