वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी गुरुवार 20 मार्च को चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी है। गुरुवार का दिन जग के नाथ भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर सुबह से मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जा रही है।

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साथ ही व्रती (महिलाएं) मनोवांछित फल पाने के लिए गुरुवार का व्रत रख रही हैं। इस व्रत को करने से मनचाही मुराद पूरी होती है। इसके साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है।

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है। इस योग में विष्णु जी की पूजा करने से साधक के आय, आयु, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) जानते हैं।

आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 20 March 2025)

सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 32 मिनट पर

चन्द्रोदय- देर रात 12 बजकर 07 मिनट पर (21 मार्च)

चन्द्रास्त- सुबह 09 बजकर 32 मिनट पर

शुभ समय

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 50 मिनट से 05 बजकर 37 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 18 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 30 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – देर रात 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक

अशुभ समय

राहुकाल – सुबह 02 बजे से लेकर 3 बजकर 31 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 09 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 58 मिनट तक

दिशा शूल – दक्षिण

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल

वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ

शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही अनुराधा नक्षत्र का भी संयोग है। इन योग में भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की पूजा करने से मनचाहा वरदान मिलेगा। साथ ही हर शुभ काम में सफलता मिलेगी।

इन मंत्रो का करें जप

1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

4. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

5. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के लिए मुहूर्त का विचार अवश्य किया जाता है। शादी-ब्याह, ग्रह प्रवेश, नवीन कार्य आदि अनुष्ठान पंडितों, ज्योतिषियों से पूछकर किए जाते हैं। ऐसे ही दैनिक जीवन में शुभ कार्य के लिए भी पंचांग देखा जाता है। दैनिक जीवन में कौनसा समय आपके लिए शुभ होगा और कौनसा समय आपके लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। ये जानकारी आपको आज का पंचांग के माध्यम से प्राप्त होती है। आज का पंचांग, आज की तिथि, वार, नक्षत्र, करण, योग के साथ-साथ मुहुर्त, राहुकाल, सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त, चंद्र राशि, सूर्य राशि के बारे में जानकारी देता है।

क्या होता है पंचांग?

हिन्दू शास्त्र के अनुसार, पंचांग पांच अंगों से मिलकर बना होता है। ये पांच अंग तिथि, नक्षत्र, योग, करण और वार हैं। हिन्दू धार्मिक परंपरा में किसी भी शुभ मुहूर्त को निकालने के लिए पंचांग का प्रयोग किया जाता है। पंचांग के परामर्श के बिना शुभ कार्य जैसे शादी, नागरिक सम्बन्ध, महत्वपूर्ण कार्यक्रम, उद्घाटन समारोह, परीक्षा, साक्षात्कार, नया व्यवसाय या अन्य किसी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं।

शुभ मुहूर्त निकालने में पंचांग की भूमिका

जैसा कि प्राचीन समय से बताया गया है कि हर क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है। इसी तरह जब कोई व्यक्ति पर्यावरण के अनुरूप कार्य करता है तो पर्यावरण प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान तरीके से कार्य करता है। एक शुभ कार्य प्रारम्भ करने से पहले महत्वपूर्ण तिथि का चयन करने में हिन्दू पंचांग मुख्य भूमिका निभाता है।

ग्रह और नक्षत्र की चाल पर आधारित होती है गणना

भारतीय पंचांग ग्रह और नक्षत्र की चाल पर आधारित है, जिसकी गणना सटीक होती है। यही कारण है कि हिन्दू संस्कृति में शादी-मुंडन, गृह प्रवेश सहित सोलह संस्कार एवं म>jgfvxz

✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

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