रुद्रपुर,आजादी के बाद वर्ष 1950 में स्वतंत्रता सेनानियों को सबसे पहले फुलसुंगा क्षेत्र में बसाया गया था। जंगली जमीन को समतल कर सेनानियों ने इस क्षेत्र में खेती किसानी कर अपना जीवनयापन किया था।

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वर्तमान में फुलसुंगा क्षेत्र में खेती किसानी लगभग खत्म हो चुकी है। खेती की जमीन में आवासीय प्लॉट काटे जा रहे हैं। पूरे क्षेत्र में जल निकासी की समस्या सबसे अहम है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि नगर निगम में शामिल होने के बाद भी क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं कराए गए हैं। रुद्रपुर के फुलसुंगा सहित 11 गांवों को वर्ष 2018 में नगर निगम में शामिल किया गया था। फुलसुंगा क्षेत्र की कुल आबादी तकरीबन 35 हजार है। क्षेत्र में सर्व समाज के लोग बसते हैं। खेती किसानी क्षेत्र फुलसुंगा में वर्तमान में आवासीय प्लॉट काटे जा रहे हैं। मुख्य सड़क के अलावा ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां सड़क का निर्माण नहीं किया गया है। कच्ची सड़कों में वाहनों की आवाजाही के कारण क्षेत्रवासियों को धूल का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2003 में सिडकुल के निर्माण के बाद क्षेत्र की आबादी तेजी से बढ़ी है। आबादी के मुताबिक सड़कों का निर्माण नहीं किया गया है। कच्ची सड़कों पर सबसे अधिक समस्या बरसात के समय होती है। क्षेत्र में जलभराव की समस्या पूर्व से ही है। बरसात में कच्ची सड़कों में जलभराव के कारण गड्ढों का पता नहीं चल पाता है, जिस कारण रोजाना सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। क्षेत्र में अभी भी पेयजल लाइन नहीं बिछाई गई है। क्षेत्रवासियों को सबमर्सिबल के पानी से ही गुजारा करना पड़ रहा है। गरीब तबके के लोग 10 फीट गहरी पानी की लाइन डालकर सबमर्सिबल के माध्यम से पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। कम गहराई से पानी निकालने के कारण लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। क्षेत्रवासी दूषित पानी के साथ प्रदूषण का दंश भी झेल रहे हैं। सिडकुल क्षेत्र के समीप होने के कारण पूरे क्षेत्र में बॉयलर से निकलने वाली राख की परत छाई रहती है। इस कारण क्षेत्र के लोगों को सांस संबंधी रोग हो रहे हैं।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

प्रदूषण का दंश झेल रहे फुलसुंगा के निवासी : फुलसुंगा की 35 हजार की आबादी दमघोंटू हवा में सांस लेने को मजबूर है। क्षेत्रवासियों को कंपनी से निकलने वाले धुएं का दंश झेलना पड़ रहा है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि सिडकुल क्षेत्र के नजदीक होने के कारण फुलसुंगा क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित रहता है। कंपनियों में अतिरिक्त बिजली उत्पन्न करने के लिए बॉयलर में घास की भूसी जलाई जाती है। भूसी जलाने से धुएं में राख के बारीक कण मिल जाते हैं। रोजाना रात के समय बॉयलर से धुआं छोड़ा जाता है। सुबह होने तक जमीन में राख की काली परत साफ देखी जा सकती है। छत में सूखने के लिए डाले गए कपड़ों पर भी राख की परत बना जाती है। जहरीले धुएं में सांस लेने में भी तकलीफ होती है। बुजुर्ग को और सांस की बीमारी से ग्रसित लोगों को चिकित्सक इस क्षेत्र में न रहने की हिदायत भी दे चुके हैं। क्षेत्रवासियों का यह भी कहना है कि कंपनी की चिमनियों में प्रदूषण को कम करने वाले आधुनिक उपकरण लगाए जाने चाहिए। समय-समय पर निरीक्षण किया जाना चाहिए कि कंपनी से निकलने वाला धुआं तय मानकों के अनुसार है या नहीं।

जलभराव की समस्या ले रही है विकराल रूप : फुलसुंगा में पूर्व में नालियों के माध्यम से पानी की निकासी कर खेती की जाती थी। बरसात के मौसम में नालियों के माध्यम से बारिश के पानी की निकासी भी की जाती थी। खेती में घटते मुनाफे और बढ़ती लागत को देखते हुए वर्तमान में अधिकतर लोगों ने खेती करना छोड़ दिया है। खेती की जमीन पर आवासीय प्लॉट काटे जा रहे हैं। जमीन की बढ़ती कीमतों के लालच में क्षेत्र में कई लोगों ने पहले से मौजूद नालियों पर अतिक्रमण कर लिया है। इस कारण पूरे क्षेत्र में पानी की निकासी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि बरसात के समय कई क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो जाते हैं। लोगों को अपने रोजमर्रा के कामों के लिए घर से निकलने में भी दिक्कत होती है। जो घर निचले क्षेत्रों में बने हैं, बरसात का पानी उनके घरों के भीतर घुस जाता है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि निगम को तुरंत मामले की गंभीरता को देखते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए। क्षेत्र में पुराने नक्शे के आधार पर पूर्व में मौजूद नालियों को फिर से खोला जाना चाहिए। जिन लोगों ने अतिक्रमण कर नालियां बंद की हैं, उनके खिलाफ शीघ्र कार्रवाई की जानी चाहिए।

क्षेत्र में एक भी माध्यमिक विद्यालय नहीं : फुलसुंगा क्षेत्र में एक प्राथमिक विद्यालय मौजूद है। प्राथमिक विद्यालय में पांचवीं तक की कक्षाएं संचालित की जाती हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि इतनी बड़ी आबादी यहां रहती है, फिर भी एक भी माध्यमिक विद्यालय नहीं है। बच्चों को माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए रुद्रपुर शहर के सरकारी विद्यालयों में जाना पड़ता है। बच्चों को फुलसुंगा क्षेत्र से पांच किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ता है। कई लोगों ने मजबूरी में अपने बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाया है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि क्षेत्र में गरीब तबके के लोग अधिक संख्या में हैं। निजी विद्यालयों की महंगी फीस भर पाना इन लोगों के लिए मुमकिन नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र में बड़े वाहनों की आवाजाही रहती है। बच्चों को इतनी दूर पढ़ने भेजने के लिए परिजन चितिंत रहते हैं। क्षेत्रवासियों की मांग है कि क्षेत्र में ही एक आधुनिक माध्यमिक विद्यालय खोला जाए, जिसमें निजी विद्यालयों की तरह शिक्षा के बेहतर इंतजाम हों।

गंदगी से चोक हैं नालियां, बरसात में होता है जलभराव : क्षेत्र में नियमित रूप से साफ-सफाई न होना एक गंभीर समस्या है। पूरे क्षेत्र में नए आवासीय प्लॉटों के बीच नालियों का निर्माण नहीं किया गया है। कई लोगों के घरों के बाहर से नालियां गुजर रही हैं। नालियों की नियमित रूप से सफाई न होने के कारण क्षेत्र में जगह-जगह नालियां गंदगी से चोक हो चुकी हैं। बरसात के समय नालियों का गंदा पानी घरों के भीतर घुस जाता है। नालियों की कवरिंग नहीं है। इस कारण घर के बाहर खेल रहे बच्चे नालियों में गिरकर चोटिल होते हैं। संकरी गलियों में बने घरों के कारण गलियों में शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। खंभों में लगी अधिकतर स्ट्रीट लाइटें खराब हो चुकी हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद स्ट्रीट लाइटों को बदला नहीं गया है। रात के समय अंधेरे में नशेड़ी चोरी की घटनाओं को अंजाम देते हैं। अराजकता के माहौल में महिलाएं और बच्चे रात के समय बाहर निकलने से घबराते हैं। लोगों ने मूलभूत सुविधाओं को जल्द दुरुस्त किए जाने की मांग की है।

क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ केंद्र खोला जाए : सिडकुल के निर्माण के बाद फुलसुंगा की आबादी हर साल तेजी से बढ़ रही है। सिडकुल में नौकरी के लिए आने वाले लोग सस्ते आवासीय प्लॉट लेकर फुलसुंगा क्षेत्र में ही बस रहे हैं। पर्वतीय समाज के लोगों ने भी बड़ी संख्या में यहां बसना शुरू कर दिया है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि क्षेत्र की आबादी को देखते हुए यहां एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोला जाना चाहिए। मुख्य शहर से दूर होने पर स्वास्थ्य खराब होने पर लोगों को जिला अस्पताल आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सड़कें खराब होने के कारण बुजुर्गों को अस्पताल का सफर करने में परेशानी होती है। जिला अस्पताल में पहले से ही मरीजों की भीड़ रहती है। क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ केंद्र खुलने से लोगों को जिला अस्पताल का सफर करने से राहत मिलेगा। कम गंभीर बीमारियों का प्राथमिक इलाज लोगों को अपने क्षेत्र में ही मिल जाएगा।

शिकायतें

1-क्षेत्र में बच्चों के खेलने के लिए एक भी पार्क नहीं है। धूल मिट्टी में खेलने से बच्चे बीमार और चोटिल हो जाते हैं। यहां जल्द पार्क बनाए जाने की जरूरत है।

2-बरसात के बाद जगह-जगह जलभराव के कारण गड्ढे होते हैं, जिन्हें लोग कंपनियों के जलावन के अवशेष से भरते हैं। जो बाद में हवा में मिलकर प्रदूषण फैलाते हैं।

3-क्षेत्र में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। रात को सिडकुल की छुट्टी के समय लोग अपने घरों को जाते समय असुरक्षित महसूस करते हैं।

4-गरीब तबके के लोग 10 फीट की गहराई से पानी निकालकर उसे पीने के पानी के रूप में इस्तेमाल करते हैं। दूषित पानी पीने से लोगों का स्वास्थ खराब हो रहा है।

5-आबादी क्षेत्र के पास जहरीले धुंए के कारण लोगों का जीना मुहाल हो रहा है। इसके चलते लोग परेशान हैं और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का भी सामना कर रहे हैं।

सुझाव

1-क्षेत्र में एक ग्रीन पार्क का निर्माण किया जाना चाहिए। ग्रीन पार्क का निर्माण करने से लोगों को प्राकृतिक वातावरण में खेलने और घूमने का अवसर मिलेगा।

2- नालियों के निर्माण से जलभराव और गड्ढों के बनने की समस्या से छुटकारा मिलेगा। लोगों को जलावन के अवशेष से होने वाले नुकसान के विषय में जागरूक करना चाहिए।

3-क्षेत्र में पुलिस की रात्रि गश्त बढ़ाई जानी चाहिए। मुख्य चौराहों पर और सिडकुल कर्मियों की आवाजाही वाले रास्तों पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जानी चाहिए।

4-नगर निगम की ओर से पेयजल लाइन बिछाई जानी चाहिए। कम गहराई से पीने का पानी इस्तेमाल करने वाले गरीब तबके के लोगों को टैंकर से पीने का पानी सप्लाई किया जाए।

5-प्रशासन को आबादी क्षेत्र के पास फैक्ट्रियों के निर्माण पर रोक लगानी चाहिए। जिन कंपनियों से धुएं का उत्सर्जन कम होता है, ऐसी कंपनियों को ही आबादी के समीप लगने कीइजाजत देनी चाहिए।

साझा किया दर्द

जलभराव और प्रदूषण क्षेत्र की मुख्य समस्या है। प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण विभाग को मामले का संज्ञान लेकर शीघ्र समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

-धर्मेंद्र सोलंकी

पुराने नक्शे के हिसाब से नालियों को फिर से खुलवाया जाना चाहिए। नालियों का चौड़ीकरण भी किया जाना चाहिए। इससे क्षेत्र के लोगों को जलभराव से मुक्ति मिलेगी।

-सत्यप्रकाश शर्मा

जलावन के अवशेष से गड्ढों के भरान के काम को शीघ्र रोका जाना चाहिए। मिट्टी के सूखने पर यही अवशेष हवा को प्रदूषित करते हैं। इससे लोगों को सांस की दिक्कत होती है।

-बाबूराम कश्यप

बिजली के कुछ ही खंभों पर स्ट्रीट लाइट लगाई गई हैं। कच्ची सड़क पर रात के अंधेरे में चलने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जल्द समस्या का समाधान किया जाए।

-दिनेश सिंह

फुलसुंगा क्षेत्र को नगर निगम में शामिल किया गया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। आज तक यहां पानी की पाइप लाइन भी नहीं पहुंची है।

-अजय सिंह

क्षेत्र में बड़ी आबादी निवास करती है, मगर यहां एक माध्यमिक विद्यालय भी नहीं है। बच्चों को पढ़ने के लिए पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। माध्यमिक विद्यालय खोला जाए।

-राजकुमार यादव

क्षेत्र में बच्चों के लिए एक ग्रीन पार्क और युवाओं के लिए ओपन जिम का निर्माण किया जाना चाहिए। इससे बच्चों को खेलने और बुजुर्गों को टहलने का स्थान मिल सकेगा।

-मुन्नालाल चौहान

वर्तमान समय में मौजूद सभी नालियां अतिक्रमण और सफाई न होने के चलते चोक हैं। इससे बरसात में जलभराव होता है। निकासी के व्यापक इंतजाम किए जाने चाहिए।

-कामिनी देवी

क्षेत्र में कई बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हालत में हैं। अतिरिक्त भार के कारण कई बिजली के खंभे एक ओर झुक गए हैं। इस कारण कभी भी कोई हादसा हो सकता है।

-गोमती

क्षेत्र में हाट बाजार को बढ़ावा देना चाहिए। शहर की मुख्य बाजार दूर होने के कारण लोग आज भी हाट बाजार से खरीदारी करते हैं। इसमें सामान भी उचित मूल्य पर मिल जाता है।

-माया देवी

नगर निगम में शामिल हुए छह साल से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन क्षेत्र में अभी तक पानी की पाइप लाइन भी नहीं बिछाई गई है। इसे जल्द बिछाया जाना चाहिए।

-धर्मेंद्र कुमार

क्षेत्र में कूड़ा गाड़ी नियमित रूप से नहीं आती है। लोग अपने घरों का कूड़ा खाली प्लॉट में फेंकते हैं। यह हवा में उड़कर लोगों को घरों तक पहुंचता है।

-बलजीत सिंह सिंधु

तय मानकों के मुताबिक ही फैक्ट्रियों में कार्य किए जाते हैं। पीसीबी की टीम समय-समय पर इन फैक्ट्रियों का निरीक्षण करती है। निरीक्षण में मानकों और अन्य नियमों की नियमित जांच की जाती है।

-नरेश गोस्वामी, आरओ, पीसीबी

फूलसुंगा क्षेत्र में सड़क और अन्य विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। शीघ्र ही निर्माण कार्यों की सूची में क्षेत्र को शामिल किया जाएगा। सभी क्षेत्रों में सूची के अनुसार विकास कार्य किए जाएंगे।

-नरेश चंद दुर्गापाल, नगर आयुक्त रुद्रपुर


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