देश की सर्वाधिक गति वाली ट्रेनों में से एक वंदे भारत के कश्मीर तक पहुंचने से वे बौखलाए हुए थे। वे इस ट्रेन के उद्घाटन के अवसर पर ही हमला करना चाहते थे। जब इसके उद्घाटन की तारीख टल गई तो आतंकियों ने पहलगाम में पर्यटकों का नरसंहार कर दिया।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
पीएम मोदी की यात्रा के दौरान नापाक मंसूबों को अंजाम देना चाहते थे आंतकी
सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिले थे कि आतंकवादी कटड़ा से श्रीनगर के लिए पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देना चाहते हैं। हालांकि कटड़ा क्षेत्र में तेज हवा चलने के पूर्वानुमानों के कारण प्रधानमंत्री की 19 अप्रैल को होने वाली यात्रा स्थगित कर दी गई।
पर्यटकों के साथ पहले ही मिल गए थे दो स्थानीय आतंकी
जांच कर रहे अफसरों ने कहा कि अब तक जो बात सामने आ रही है, उससे पता चला है कि दो स्थानीय आतंकी पहले से ही पर्यटकों के साथ मिल गए थे। जैसे ही पहली गोली चली उन्होंने पर्यटकों को एक फूड कोर्ट परिसर में इकट्ठा कर लिया, जहां दो अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी थे।
प्रतिबंधित कंपनी के सैटेलाइट फोन का किया गया इस्तेमाल
पहलगाम आतंकी हमले की जांच के दौरान अहम खुलासा हुआ है कि हमले के वक्त बायसरन इलाके में प्रतिबंधित चीनी कंपनी हुवावे के सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल हुआ था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आशंका जताई कि फोन पाकिस्तान या किसी अन्य देश से तस्करी कर लाया गया था।
देश में चीनी दूरसंचार कंपनियां हुवावे और झोंगक्सिंग टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट (जेडटीई) को 5जी नेटवर्क के लिए उपकरण बेचने की इजाजत नहीं है। हालांकि इन पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है, लेकिन भारतीय दूरसंचार कंपनियों ने हुवावे व जेडटीई को 5जी रोलआउट से बाहर कर दिया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये कंपनियां केंद्र सरकार की ओर से तय किए गए विश्वसनीय स्रोत की शर्त को पूरा नहीं करती हैं। चीनी उपकरणों से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं के चलते भारतीय दूरसंचार कंपनियां यूरोपीय उपकरण इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा पैसे देने को भी तैयार हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड ने भी हुवावे को अपने 5जी नेटवर्क से प्रतिबंधित कर दिया था। ये चारों देश कनाडा के साथ फाइव आइज इंटेलिजेंस शेयरिंग गठबंधन के सदस्य देश हैं।
लश्कर-ए-ताइबा के साथ आईएसआई और पाकिस्तानी सेना ने की मिलीभगत
इससे पहले, एनआईए की जांच में पहलगाम आतंकी हमले में लश्कर-ए-ताइबा के साथ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां की सेना की मिलीभगत का खुलासा हुआ है। एनआईए ने कश्मीर घाटी के करीब 20 ओवरग्राउंड वर्करों (ओजीडब्ल्यू) की पहचान की है। इन पर हमलावर आतंकियों की मदद करने का आरोप है। एजेंसी इन सभी से पूछताछ कर रही है।
जांच में पता चला कि लश्कर ने आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर पहलगाम के बायसरन में हुए आतंकी हमले की साजिश रची थी। दो हमलावर हाशमी मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा पाकिस्तानी नागरिक हैं। ये पाकिस्तान में बैठे अपने सरगनाओं के लगातार संपर्क में थे और उनसे निर्देश ले रहे थे। जांच में खुलासा हुआ कि हमलावर हमले से कुछ हफ्ते पहले ही सीमापार से घुसपैठ कर कश्मीर में दाखिल हुए थे। उन्हें इसमें स्थानीय ओजीडब्ल्यू ने मदद की। इन स्थानीय लोगों ने आतंकियों को रहने की जगह मुहैया कराने के साथ ही पूरे इलाके के चप्पे-चप्पे की जानकारी दी और आने-जाने में सहायता की। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने बायसरन घाटी, अरु घाटी, बेताब घाटी और एक स्थानीय मनोरंजन पार्क की रेकी की थी। सुरक्षा व्यवस्था कम होने के चलते हमलावरों ने बायसरन को अपना निशाना बनाया।
2800 से अधिक लोगों से पूछताछ, 180 से अधिक हिरासत में
सूत्रों ने बताया कि एनआईए अब तक 2800 से अधिक लोगों से पूछताछ कर चुकी है। इसके अलावा 180 से अधिक लोग अभी हिरासत में हैं। हिरासत में लिए गए संदिग्ध ओवर ग्राउंड वर्कर, जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत के विभिन्न गुटों से जुड़े लोग हैं। एजेंसी पहलगाम के आसपास के मार्गों और सार्वजनिक जगहों के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की दहशत में पाकिस्तान
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से ही पाकिस्तान डरा हुआ है। वह भारत की जवाबी कार्रवाई के डर से छटपटा रहा है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। आतंकी हमले में 26 नागरिक मारे गए थे। पाकिस्तान को डर है कि भारत सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से भी खतरनाक ऑपरेशन कर पहलगाम के मासूम लोगों का बदला लेने की तैयारी कर रहा है।

