रुद्रपुर,राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टर (पीजी डॉक्टर) के कुल 1255 पद हैं। इनके मुकाबले मात्र 555 डॉक्टर राज्य के विभिन्न अस्पतालों में तैनात हैं। इधर फैकल्टी की कमी के चलते राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में पीजी की सीट पर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) गाज गिरा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के जानकारों का कहना है कि राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने की जगह चंड़ीगढ़ व लखनऊ की तर्ज पर स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजी कॉलेज) खोलने की जरूरत है। जबकि सरकार ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़, हरिद्वार और अब टिहरी में भी मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी में हैं। ये मेडिकल कॉलेज तब खोले जा रहे हैं जब राज्य के अस्पतालों में एमबीबीएस के सभी 1600 पदों पर नियुक्ति हो चुकी है। राज्य पीजी कॉलेज खुलते हैं तो सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर होगी साथ ही ग्रामीणों को इलाज के लिए बड़े शहरों की तरफ नहीं दौड़ना होगा।


हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
हर साल 725 एमबीबीएस पास को नौकरी की तलाश
राज्य में वर्तमान में चार सरकारी और दो प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस पास कर करीब 725 बच्चे (जिनका पीजी में एडमिशन नहीं हो पाया) बाजार में नौकरी के लिए आ रहे हैं। जिसमें हल्द्वानी में 125, श्रीनगर में 150, देहरादून में 150 और एम्स ऋषिकेश से 125 तथा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज गुरुराम राय से 150 व जौली ग्रांट से 150 डॉक्टर शामिल हैं। वहीं अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार मेडिकल कॉलेज व प्राइवेट कॉलेज सुभारती, ग्राफिक एरा से आने वाले सालों में 100-100 छात्र एमबीबीएस पास कर के छात्र मार्केट में आएंगे। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले कुछ सालों में हर साल 1100 एमबीबीएस पास डॉक्टर नौकरी की तलाश में बाजार में पहुंचेंगे। जबकि तीन मेडिकल कॉलेज ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़ और टिहरी में मेडिकल कॉलेज खोले जाने हैं। जबकि जरूरत स्पेशलिस्ट की होगी।
पीजी की मात्र 137 सीटें
राज्य में एमबीबीएस के मुकाबले पीजी की सीटें एक चौथाई भी नहीं हैं। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में पीजी की 69, श्रीनगर में 44 और दून में 24 सीटें हैं। यानि राज्य में पीजी की 137 सीटें हैं। इसमें से भी ज्यादातर नॉन क्लीनिकल सीटें (जिनका मरीज से सीधे कोई लेना देना नहीं) हैं। ऐसे में राज्य में पीजी कॉलेज खोलने की सख्त जरूरत है।
नए कॉलेज खोलने के लिए भी चाहिए स्पेशलिस्ट
सरकार राज्य में मेडिकल कॉलेज खोलने की एक के बाद एक घोषणा कर रही है। जो मेडिकल कॉलेज पहले से खुले हैं वहां 30- 40 प्रतिशत फैकल्टी की कमी है। जिसके चलते नेशनल मेडिकल कमीशन पीजी की सीटों पर कम कर दे रहा है। हल्द्वानी में एक तिहाई पीजी सीट और कम होने की आशंका है। हैरानी की बात यह है कि सरकार इन मेडिकल कॉलेज जहां पहले से फैकल्टी कम है। वहां की फैकल्टी को नए मेडिकल कॉलेजों में भेज रही है। नए मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही चाहिए जिस तरफ सरकार का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है।
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राज्य में मेडिकल के पोस्ट ग्रेजुएशन कॉलेज (पीजी) खोले जाने की जरूरत है। इस दिशा में सरकार प्रयास भी कर रही है।
-डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा

