उत्तराखंड में नगर निकायों के चुनाव के बीच दस निकायों में आरक्षण का मुद्दा उच्च न्यायालय पहुंच गया है। अदालत ने मैराथन सुनवाई के बाद प्रदेश सरकार से जवाब देने को कहा है। धारचूला, अल्मोड़ा, शक्तिगढ़, जसपुर, द्वाराहाट, गुप्तकाशी, महुआ डाबरा के साथ ही उत्तरकाशी नगर निकायों के अध्यक्षों के आरक्षण को उच्च न्यायालय में अलग अलग याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है।

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न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ में इन मामलों में भोजन अवकाश से पहले और उसके पश्चात् मैराथन सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि प्रदेश सरकार की ओर से 23 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर प्रदेश के 11 नगर निगम, 45 नगर पालिकाओं और 46 नगर पंचायतों के लिये चुनाव प्रक्रिया का ऐलान कर दिया गया है।

आरोप लगाया गया कि सरकार की ओर से निकायों के अध्यक्ष पदों के लिये जो आरक्षण प्रक्रिया अपनायी गयी वह संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के विपरीत है। जनसंख्या और रोटेशन के आधार पर आरक्षण सुनिश्चित नहीं किया गया है। कई निकायों के आरक्षण को यथावत् रखा गया है जबकि कई के रोटेशन को बदल दिया गया है। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आयी कि सरकार की ओर से किच्छा और नरेन्द्र नगर नगर पालिकाओं को आरक्षण प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।

सभी 45 नगर पालिकाओं के आधार पर समग्र आरक्षण तय किया जाना चाहिए था। याचिकाकर्ताओं की ओर से विगत 23 दिसंबर की अधिसूचना पर रोक लगाने की मांग की गयी है। दूसरी सरकार की ओर से आरोपों को गलत ठहराया गया और कहा गया कि चुनाव अधिसूचित कर दिए गए हैं। इसलिए याचिकाएं पोषणीय नहीं हैं। तय प्रावधानों के आधार पर आधार पर आरक्षण तय किये गये हैं। इनमें संवैधानिक प्रावधानों और नियमों का पालन किया गया है। अंत में अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सरकार से 06 जनवरी तक जवाब देने को कहा है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि इन निकायों में किन किन आधार पर आरक्षण तय किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 06 जनवरी को होगी।

इसके अलावा एक अन्य मामले में आरक्षण नियमावली की वैद्यता को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। ऋषिकेश निवासी और काशीपुर निवासी आनंद कुमार की ओर से दायर याचिकाओं में कहा गया है कि आरक्षण को लेकर सरकार की ओर से वर्ष 2024 में जो नियमावली तैयार की गयी है वह गलत है। आरक्षण नियमावली तय करने का अधिकार विधायिका को है। इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेन्दर की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार से एक सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इस प्रकरण में आगामी 08 जनवरी को सुनवाई होगी।


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