
यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि आज, 5 फरवरी 2025 को, दिल्ली विधानसभा चुनाव और अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान हो रहा है। ऐसे में पीएम मोदी का महाकुंभ में स्नान करना कई अटकलों को जन्म दे रहा है।


क्या यह एक राजनीतिक रणनीति है?
प्रधानमंत्री मोदी का संगम स्नान ऐसे समय में हुआ जब दिल्ली और अयोध्या में मतदान जारी है। यह महज संयोग है या चुनावी गणित का हिस्सा? विपक्षी दलों का मानना है कि पीएम मोदी का यह कदम एक सुनियोजित रणनीति है, जिससे उनकी छवि को धार्मिक आधार पर मजबूती मिले और मतदाता प्रभावित हों। महाकुंभ के विशाल आयोजन में प्रधानमंत्री की उपस्थिति और संगम स्नान की तस्वीरें सोशल मीडिया और मुख्यधारा की मीडिया में छा गईं, जिससे बीजेपी को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है।
दिल्ली चुनाव पर प्रभाव?
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों पर 1.55 करोड़ मतदाता आज अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या पीएम मोदी की धार्मिक छवि से दिल्ली का वोटर प्रभावित होगा? बीजेपी पहले भी धार्मिक ध्रुवीकरण का लाभ उठाने की कोशिश कर चुकी है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों का आरोप है कि मोदी सरकार चुनाव के दौरान धार्मिक भावनाओं को भुनाने का प्रयास करती है।
मिल्कीपुर उपचुनाव में असर?
अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट बीजेपी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट हारने के बाद, इस सीट को जीतना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। ऐसे में पीएम मोदी के महाकुंभ स्नान का अवध क्षेत्र के मतदाताओं पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने लायक होगा। धार्मिक आस्था और चुनावी समीकरणों के बीच संतुलन बनाना हर राजनीतिक दल की रणनीति का हिस्सा होता है।
सही समय की राजनीति
राजनीति में समय और संदेश का बड़ा महत्व होता है। पीएम मोदी का महाकुंभ में स्नान ऐसे समय हुआ जब मीडिया और जनता की निगाहें चुनावी गतिविधियों पर टिकी थीं। कई राजनीतिक विशेषज्ञ इसे बीजेपी की ओर से एक ‘मास्टरस्ट्रोक’ बता रहे हैं, जो चुनावी लाभ के लिए धार्मिक आयोजनों का उपयोग करने की परंपरा को दर्शाता है।

