यह पहली बार था जब किसी महिला समूह को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा बुलाया गया था. विशेष रूप से, शालिनी अली के नेतृत्व वाले मुस्लिम महिला बौद्धिक समूह को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर अपने विचार और सुझाव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया था.
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
सूत्रों के मुताबिक, महिला बुद्धिजीवी समूह ने वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाए. समूह का आरोप है कि वक्फ बोर्ड की सामाजिक कल्याण में कोई भूमिका नहीं है. बोर्ड पर कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों का नियंत्रण है, जो वक्फ मामलों में महिलाओं और समाज के वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व या हिस्सा देने के पक्ष में नहीं हैं.
वक्फ बोर्ड से मांगी जानकारी
मुस्लिम महिला समूह ने वक्फ बोर्ड से अपनी सामाजिक कल्याण गतिविधियों को स्पष्ट करने को कहा. समूह ने वक्फ बोर्ड से विशेष रूप से अनाथों, विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और विधवा पुनर्विवाह चाहने वालों को प्रदान की जाने वाली सहायता पर विस्तृत स्पष्टीकरण भी मांगा. उन्होंने भू-माफियाओं के खिलाफ वक्फ बोर्ड द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी.
भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया
मुस्लिम महिला समूह के अलावा कई अन्य संगठनों ने भी संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष अपने विचार और सुझाव रखे. कारी अबरार जमाल के नेतृत्व में जमीयत हिमायतुल इस्लाम भी समिति के सामने पेश हुए. सूत्रों ने बताया कि जमाल ने सामाजिक कल्याण में वक्फ बोर्ड की भूमिका और उसके पदाधिकारियों में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया.
जमाल ने पूछा कि वक्फ बोर्ड द्वारा कौन-कौन से सामाजिक कल्याण कार्य किये जाते हैं? साथ ही, वक्फ बोर्ड ने भू-माफियाओं के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं? उन्होंने सुझाव दिया कि मुतवल्लियों की भूमिका कम की जानी चाहिए और कलेक्टर को वक्फ मामले पर निगरानी रखनी चाहिए.
वक्फ बोर्ड में माफिया राज
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों को छोड़कर वक्फ भूमि पर रोजगारोन्मुखी परियोजनाएं शुरू की जानी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि अब वक्फ बोर्ड में माफिया राज खत्म करने का समय आ गया है और वक्फ संपत्तियों को बाजार दर पर लीज या किराए पर दिया जाना चाहिए.
शिया मुस्लिम धर्मगुरु भी समिति के सामने पेश
आज की बैठक में मौलाना कोकब मुज्तबा के नेतृत्व में शिया मुस्लिम धर्मगुरु और बुद्धिजीवी भी समिति के सामने पेश हुए. बैठक के बाद मुजतबा ने कहा कि हमने संयुक्त संसदीय समिति में अपनी बात रखी. 1954 में वक्फ अधिनियम पारित होने के बाद से औकाफ को नष्ट कर दिया गया है.
वक्फ संपत्ति लूटने वालों के खिलाफ FIR दर्ज
यदि औकाफ को लूटा नहीं गया है, तो प्रत्येक वक्फ बोर्ड से एक रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए ताकि पंजीकृत औकाफ की संख्या और करों आदि का पता लगाया जा सके. जब यह प्रश्न सामने आता है वक्फ पर बैठे अधिकारी असहज हो जाते हैं. मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को जल्द से जल्द पारित किया जाए और वक्फ संपत्ति लूटने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए.
फैज अहमद फैज के नेतृत्व में विश्व शांति परिषद नामक एक अन्य संगठन ने भी समिति के समक्ष अपने विचार और सुझाव दर्ज किये. सूत्रों के मुताबिक सैद्धांतिक तौर पर उन्होंने प्रस्तावित विधेयक का समर्थन किया. लेकिन सर्वे कमिश्नर के पद पर जिला कलेक्टर की नियुक्ति के मुद्दे पर उन्होंने कड़ा विरोध जताया.
वक्फ मामलों में कलेक्टर की भूमिका
उन्होंने सुझाव दिया कि वक्फ मामलों में कलेक्टर की भूमिका सीमित होनी चाहिए और सर्वेक्षण मामले में एडीएम रैंक के एक मुस्लिम अधिकारी को शामिल किया जाना चाहिए. फैज ने कहा कि मौजूदा कानून में वक्फ बोर्ड में महिला सदस्यों को शामिल करने पर कोई रोक नहीं है. तो फिर विपक्षी सदस्य और कुछ संगठन प्रस्तावित विधेयक में महिला सदस्यों के प्रावधान का विरोध क्यों कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह न्याय का मामला है, जिसकी जरूरत थी. उन्होंने यह भी कहा कि सैकड़ों गैर-मुस्लिम कार्यवाहक पहले से ही वक्फ बोर्ड का हिस्सा हैं, यह सुझाव देते हुए कि बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का विरोध अनुचित है.
नए कानून की जरूरत नहीं
हालांकि, मलिक मोआतसिम खान के नेतृत्व वाला जमात-ए-इस्लाम-ए-हिंद, दिल्ली नाम का एक समूह भी जेपीसी के सामने पेश हुआ. सूत्रों के मुताबिक, संगठन ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि मौजूदा कानून वक्फ मामले से निपटने के लिए पर्याप्त है और नए कानून की जरूरत नहीं है. खान ने कहा कि वक्फ बोर्ड सिर्फ एक संगठनात्मक ढांचा नहीं है. यह आस्था का भी मामला है.