शुभ व्यवस्थित मेट्रोपोलिस: एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता

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संपादकीय लेख:शुभ व्यवस्थित मेट्रोपोलिस: एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता

उत्तराखंड राज्य के प्रवेश द्वार पर स्थित मेट्रोपोलिस सिटी कभी अपनी उत्कृष्टता और सुव्यवस्थित जीवनशैली के लिए जानी जाती थी। परंतु आज इसकी स्थिति कुछ और ही बयान कर रही है। जबकि ओमेक्स कॉलोनी में व्यवस्थित रखरखाव और सांस्कृतिक गतिविधियों की धूम देखने को मिलती है, वहीं मेट्रोपोलिस सिटी में विवाद, अव्यवस्था और प्रशासनिक जटिलताओं का बोलबाला है। यह अंतर आखिर क्यों? और इससे उबरने का क्या समाधान हो सकता है?

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

मेट्रोपोलिस की समस्याएं: एक गंभीर परिदृश्य

मेट्रोपोलिस कॉलोनी की समस्याएं अनेक हैं। रखरखाव की कमी, मेंटेनेंस शुल्क के बावजूद असंतोषजनक सेवाएँ, निवासियों के बीच बढ़ता आक्रोश, समिति पर नियंत्रण की लड़ाई और बिल्डर से जुड़े विवाद – यह सभी मिलकर इस प्रतिष्ठित कॉलोनी को खंडहर में तब्दील करने पर उतारू हैं। समिति अध्यक्ष देवेंद्र शाही का मानना है कि हर बार जब कोई मीटिंग होती है, तो कुछ लोग उसमें व्यवधान डालने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा, बिल्डर आर.के. अरोड़ा के खिलाफ अदालती मामलों के चलते स्थिति और भी जटिल हो गई है।

क्या मेट्रोपोलिस पुनः अपनी पुरानी प्रतिष्ठा पा सकता है?

इस प्रश्न का उत्तर है – हाँ, लेकिन इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होगी। मेट्रोपोलिस को फिर से सुव्यवस्थित और प्रतिष्ठित कॉलोनी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  1. एकजुटता एवं पारदर्शिता: मेट्रोपोलिस के सभी निवासियों को व्यक्तिगत मतभेदों को भूलाकर, एकसाथ आकर निर्णय लेने होंगे। पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए समिति की बैठकों को सार्वजनिक रूप से आयोजित करना चाहिए।
  2. सक्रिय भागीदारी: कॉलोनी के प्रत्येक निवासी को रखरखाव और अन्य सुविधाओं की निगरानी में भाग लेना चाहिए। जागरूकता अभियान और सामुदायिक कार्यक्रमों से लोगों को जोड़ना आवश्यक है।
  3. समिति में निष्पक्षता: समिति में सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है। किसी भी गुटबाजी को रोकने के लिए निष्पक्ष चुनाव कराना अनिवार्य है।
  4. संवाद और समाधान: निवासियों, समिति और प्रशासन के बीच संवाद स्थापित कर विवादों का समाधान निकाला जाना चाहिए। बाहरी हस्तक्षेप को सीमित करते हुए, कॉलोनी के हित में निर्णय लेने की प्रक्रिया अपनानी होगी।
  5. रखरखाव सुधार: मेंटेनेंस चार्ज को सही तरीके से उपयोग में लाने के लिए एक पारदर्शी बजट प्रणाली विकसित की जानी चाहिए। समय-समय पर मरम्मत कार्य और स्वच्छता अभियानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  6. नियमों का सम्मान: अदालत के आदेशों का पालन करते हुए, सोसाइटी का प्रबंधन सुचारू रूप से किया जाना चाहिए। किसी भी तरह की मनमानी या अवैध गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए।

मेट्रोपोलिस सिटी को पुनः सुव्यवस्थित और समृद्ध बनाने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं। ओमेक्स कॉलोनी की सफलता से प्रेरणा लेकर, मेट्रोपोलिस के नागरिकों को संगठित होकर कार्य करना होगा। यदि निवासियों, समिति और प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित हो जाए, तो यह कॉलोनी फिर से अपने पुराने गौरव को प्राप्त कर सकती है।

मेट्रोपोलिस सिटी के निवासियों को अब निर्णय लेना होगा – क्या वे इसी अराजकता में रहना चाहते हैं, या फिर एक सकारात्मक बदलाव के लिए एकजुट होकर कार्य करेंगे? उत्तराखंड के प्रवेश द्वार पर स्थित यह कॉलोनी फिर से अपनी पुरानी पहचान पा सकती है, बशर्ते कि इसके निवासी एकजुट होकर इसके उत्थान के लिए प्रयास करें।

यह संपादकीय लेख मेट्रोपोलिस सिटी की वर्तमान स्थिति, समस्याओं और संभावित समाधान पर केंद्रित है। इसमें सामूहिक प्रयास और पारदर्शी प्रशासन के महत्व को रेखांकित किया गया है।


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