महाभारत के पात्रों में बर्बरीक (खाटू श्याम बाबा) का विशेष स्थान है। वे घटोत्कच और नाग कन्या अहिलावती के पुत्र तथा गदाधारी भीम के पौत्र थे।

Spread the love

बर्बरीक की महाभारत में भूमिका

1. अद्वितीय शक्ति और वचन

  • बर्बरीक एक पराक्रमी योद्धा थे, जिनके पास अद्भुत बलिदानी वचन था:
  • वे हमेशा युद्ध में कमजोर पक्ष का साथ देंगे।
  • उनके पास तीन अचूक बाण (त्रिबाण) थे, जो किसी भी युद्ध को समाप्त करने के लिए पर्याप्त थे।

2. महाभारत के युद्ध में भाग लेने की इच्छा

  • बर्बरीक ने महाभारत के युद्ध में भाग लेने की इच्छा जताई। उनके वचन और शक्ति के कारण यह चिंता थी कि यदि वे कमजोर पक्ष का साथ देंगे, तो यह युद्ध का परिणाम बदल सकता है।

भगवान श्रीकृष्ण की परीक्षा और बर्बरीक का बलिदान

1. श्रीकृष्ण की युक्ति

  • भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका पक्ष पूछा। बर्बरीक ने उत्तर दिया कि वे हमेशा कमजोर पक्ष का साथ देंगे।
  • श्रीकृष्ण जानते थे कि पांडव प्रारंभ में कमजोर दिख सकते हैं, लेकिन बर्बरीक के युद्ध में शामिल होने पर शक्ति संतुलन बार-बार बदलता रहेगा।
  • इससे युद्ध का परिणाम अनिश्चित हो जाएगा।

2. बर्बरीक का शीश दान

  • जब बर्बरीक युद्ध में जाने पर अडिग रहे, तो श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि युद्ध से पहले उनका बलिदान आवश्यक है।
  • बर्बरीक ने सहर्ष अपना शीश दान कर दिया।
  • श्रीकृष्ण ने उनके शीश को अमरत्व का वरदान देकर ऊंचे स्थान पर रख दिया, ताकि वह पूरे युद्ध को देख सके।

3. महाभारत युद्ध का साक्षी

  • युद्ध समाप्त होने के बाद, बर्बरीक के शीश ने घोषणा की कि युद्ध पांडवों या कौरवों की शक्ति से नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति और रणनीति से जीता गया।

बर्बरीक का वर्तमान में पूजन

1. खाटू श्याम मंदिर, राजस्थान

  • बर्बरीक का शीश राजस्थान के सीकर जिले के खाटू में प्रतिष्ठित है।
  • उन्हें “श्याम बाबा” के रूप में पूजा जाता है।
  • ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

2. बीड़ गांव, हरियाणा

  • बर्बरीक के धड़ को हरियाणा के हिसार के बीड़ गांव में एक बरगद के पेड़ के नीचे समाहित माना जाता है।
  • यहां एक मंदिर है, जिसे श्याम बाबा मंदिर के नाम से जाना जाता है।

बर्बरीक से जुड़ी मान्यताएं और भक्ति

1. त्याग और भक्ति का प्रतीक: बर्बरीक ने अपने प्राणों का त्याग कर यह साबित किया कि भक्ति और धर्म सर्वोपरि है। 2. अमरत्व का वरदान: उनकी उपासना करने वाले भक्तों को भी त्याग, शक्ति, और भक्ति का संदेश मिलता है। 3. मन्नतों का धाम: खाटू श्याम बाबा के मंदिर को मन्नतों का धाम माना जाता है। हर साल लाखों भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं। बर्बरीक की कथा महाभारत के युग में त्याग, भक्ति, और धर्म की अद्वितीय मिसाल है। उनका बलिदान यह सिखाता है कि ईश्वर की कृपा और मार्गदर्शन से असंभव भी संभव हो सकता है। खाटू श्याम बाबा के रूप में उनकी भक्ति आज भी लाखों भक्तों को प्रेरणा देती है।

इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।


Spread the love