

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सचिवालय में कैबिनेट बैठक शुरू होगी। जिसमें चर्चा के बाद उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली एक्ट बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। इस एक्ट के बनने से दंगाईयों व प्रदर्शनकारियों की ओर से सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सख्त कार्रवाई और वसूली का प्रावधान किया जा रहा है।


Hindustan global Times/शैल ग्लोबल टाइम्स। उत्तराखंड ब्यूरो चीफ डॉक्टर विक्रम माहोरी
Hindustan global Times/शैल ग्लोबल टाइम्स। उत्तराखंड ब्यूरो चीफ डॉक्टर विक्रम माहोरी।
इसके अलावा कैबिनेट में ट्री प्रोटेक्शन एक्ट 1976 में संशोधन प्रस्ताव आने की संभावना है। एक्ट में संशोधन से निजी भूमि पर उगे पेड़ों की कई प्रजातियों को वन अधिनियम से बाहर किया जाएगा। जिससे निजी भूमि पर पेड़ कटान के लिए वन विभाग से अनुमति नहीं लेनी पड़ेगी। कैबिनेट में शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरी एवं आवास से संबंधित सेवा नियमावली व अन्य प्रस्तावों पर चर्चा हो सकती है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने नवागंतुकों का पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि सभी लोग लोकसभा चुनाव में 400 पार के मिशन की प्राप्ति को जुट जाएं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि समाज के सभी वर्गों से जुड़े व्यक्तियों का पार्टी में शामिल होना, हमारे सामाजिक समरसता के मिशन की सफलता को दर्शाता है।
उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने वालों को भरोसा दिलाया कि सभी की भावनाओं एवं सम्मान का पूरा ख्याल रखा जाएगा। कार्यक्रम का संचालन प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने किया।
उत्तराखंड सरकार श्रीअन्न यानी मोटे अनाज के उत्पादन में लंबी छलांग लगाने की तैयारी में है। स्टेट मिशन मिलेट के अंतर्गत मंडुवा, झंगोरा और रामदाना जैसे मोटे अनाज का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए घाटियों व अन्य क्षेत्रों में ऐसी बेकार बड़ी कृषि योग्य भूमि तलाशी जा रही है।
जिसमें उनकी खेती हो सकती है। इसके पीछे सरकार की मंशा क्षेत्रफल बढ़कर उत्पादन में बढ़ोतरी करना है। ताकि श्रीअन्न की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
उत्तराखंड में पहाड़ से लेकर मैदान तक अलग-अलग भू-आकृतियां है। स्थान की ऊंचाई के साथ जलवायु और वनस्पतियां भी बदलती रहती है।

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पहाड़ में बजरी वह हल्की बनावट वाली मिट्टी होती है। जो लंबे समय तक पानी नहीं रखती। इसे मंडुवा, झंगोरा, रामदाना जैसे स्मॉल मिलेट के लिए उपयुक्त माना जाता है। यह फसलें अपने लचीलेपन के लिए जानी जाती है। यानी यह विविध पारिस्थितिक स्थिति में तालमेल बैठाने में सहायक होती है। यही वजह है कि राज्य के 10 पर्वतीय जिलों में इनकी खेती होती आई है। यह फसलें पूरी तरह जैविक होने के कारण उनकी मांग भी अधिक है। बावजूद उसके मोटे अनाज का क्षेत्रफल घट रहा है।
आंकड़े उठाकर देख तो वर्ष 2000- 01 में मंडुवा का क्षेत्रफल 127733 हेक्टेयर था। जो वर्ष 2021-22 में घटकर 85880 हेक्टेयर पर आ गया। यह बात अलग है कि उत्पादकता में वृद्धि हुई है। वर्ष 2000-01 में मंडुवा की उत्पादकता 12.71 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी। जो अब बढ़कर 14.78 हो गई है।
इसी तरह झंगोरा का क्षेत्रफल भी घटकर 4814 हेक्टेयर पर आ गया है। लेकिन इसकी उत्पादकता में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस बीच केंद्र सरकार ने श्रीअन्न यानी मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने की कसरत शुरू की तो उत्तराखंड ने भी वर्ष 2023-24 से 2027-28 तक के लिए स्टेट मिलेट मिशन की घोषणा की। इसके लिए 73.16 करोड़ का प्रावधान किया गया है। जिसमें मोटे अनाज का क्षेत्रफल व उत्पादन बढ़ाने की दृष्टिगत कृषि विभाग को 53.16 करोड़ रुपए और मंडुवा, झंगोरा, रामदाना की खरीद के लिए सहकारिता विभाग को 20 करोड़ की राशि प्रदान की गई। चालू वित्तीय वर्ष में अब 7429 किसानों से 16500 मेट्रिक टन मोटे अनाज की खरीद हो चुकी है।
सरकार ने मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने के दृष्टिगत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से प्रति राशन कार्ड 1 किलो मंडुवा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही महिला एवं बाल पोषाहार की योजनाओं में मिलेट को शामिल किया गया है। ऐसे में वर्तमान में मंडुवा, झंगोरा का जितना उत्पादन हो रहा है। वह इस आपूर्ति के लिए कम पड़ सकता है। इसी के दृष्टिगत अब इसका क्षेत्रफल बढ़ाने की कसरत चल रही है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने हाल ही में मिशन मिलेट की समीक्षा के दौरान राज्य के पर्वतीय जिलों में घाटियों तथा अन्य स्थानों पर ऐसी कृषि योग्य भूमि चयनित करने के निर्देश दिए हैं। जो बंजर या बेकार पड़ी है। इस भूमि में सामूहिक या सहकारिता के माध्यम से मंडुवा, झंगोरा और रामदाना की खेती की योजना है। इससे यहां इन फसलों का क्षेत्रफल बढ़ेगा। वहीं उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी। साथ ही इससे किसानों को भी फायदा होगा।


