उत्तराखंड के केदारनाथ सीट में उपचुनाव को लेकर भाजपा कांग्रेस ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। तारीखों के ऐलान से पहले ही केदारनाथ में सियासी दलों ने मोर्चा संभाल लिया है ।भाजपा ने इसके लिए पांच कैबिनेट मंत्रियों को भी केदारनाथ सीट में अहम जिम्मेदारी सौंपी है।

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     साफ है कि भाजपा किसी भी सूरत में केदारनाथ सीट को गंवाना नहीं चाहेगी। कांग्रेस ने केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा के जरिए संदेश देने की कोशिश की है तो भाजपा ने केदारनाथ सीट पर 200 से ज्यादा पदाधिकारी, कार्यकर्ताओं को मैदान में उतार दिया है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर

इसके पीछे भाजपा की रणनीति उपचुनाव से पहले ही सीट पर माहौल तैयार करना और लोगों के अंदर जीत का भरोसा तैयार करना है। केदारनाथ सीट पर 92 हजार वोटर हैं। जिसमें 173 बूथ शामिल हैं। इन बूथों पर भाजपा ने 173 पदाधिकारी को नियुक्त किया है। इसके साथ ही बूथों के ऊपर भाजपा के 76 शक्ति केंद्र और 5 मंडल हैं। इस तरह से केदारनाथ सीट पर भाजपा के 200 पदाधिकारी डेरा डाल चुके हैं। हर शक्ति केंद्र और मंडल में भी पदाधिकारी तैनात है।

20 सितंबर के बाद 5 कैबिनेट मंत्रियों को भी उतारा जाएगा। जो कि हर बूथ की समस्या को सरकार व संगठन के सामने रखेंगे और आचार संहिता से पहले ही हल करने की कोशिश करेंगे। इस बीच प्रत्याशी को लेकर भी भाजपा में अंदरखाने तैयारी तेज हो गई है। भाजपा केदारनाथ उपचनुाव में सर्वे के आधार पर प्रत्याशी तय करेगी।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने बताया कि केदारनाथ उपचुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी का चयन सर्वे के आधार पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में जल्द पर्यवेक्षक और सर्वे की रिपोर्ट मंगाई जाएगी। इसके साथ ही आगामी निकाय और पंचायत चुनावों में भी प्रत्याशियों का चयन सर्वे के आधार पर ही किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने भारी बहुमत के साथ जीत का भी दावा किया है।

केदारनाथ की दिवंगत विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव होना है। ये सीट अभी भाजपा के खाते में थी। ऐसे में भाजपा इस सीट को हर हाल में अपने पास ही रखना चाहेगी। इससे पहले मंगलौर और बदरीनाथ सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है।

हालांकि ये सीटें बसपा और कांग्रेस के पास थी, लेकिन बदरीनाथ सीट भाजपा ने अपने खाते में लाने के लिए कांग्रेस विधायक को लोकसभा चुनाव से पहले अपने साथ ले आए लेकिन उपचुनाव हार गए। इसके बाद अब केदारनाथ सीट जीतना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।


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