लोकसभा चुनाव के लिए उत्तराखंड में बसपा ने शुरू किया मंथन, मायावती बोलीं- चुनाव जीतना ही काफी नहीं बल्कि…

Spread the love

बीएसपी विपक्षी दलों के इस गठबंधन से बाहर है और पार्टी प्रमुख मायावती ने स्पष्ट कर दिया है. पार्टी किसी भी दल के साथ आगामी चुनाव से पहले गठबंधन नहीं करेगी. हालांकि अब एक सवाल उठ रहा है कि आखिर बीएसपी ने उम्मीदवारों के एलान में देरी क्यों की है और पार्टी उम्मीदवार के तौर पर किन्हें प्राथमिकता देगी.

दरअसल, शनिवार को मायावती उत्तराखंड राज्य में पार्टी की चुनावी तैयारियों की समीक्षा की है. उन्होंने राज्य में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों के साथ बैठक की. इस बैठक में बीएसपी चीफ ने सर्वसमाज में पार्टी के जनाधार को बढ़ाने की हिदायत दी है. मायावती ने इसी दौरान कहा कि पार्टी उम्मीदवार को तय करते समय राजनीतिक समीकरण के साथ ही पार्टी और बीएसपी मूवमेंट से जुड़े लोगों को प्राथमिकता दिया जाना बेहतर रहेगा.

UP News: ‘अब तो आंखें खुल गई होंगी’, CM के काफिले की टक्कर पर दुख जताते हुए अखिलेश यादव का तंज

इन्हें मिलेगी प्राथमिकता
यानी उनके बयान से स्पष्ट हो गया कि इस बार पार्टी समीकरणों को साधने के साथ ही पुरानी पार्टी नेताओं पर भरोसा जताने की तैयारी में है. बीएसपी के पुराने नेताओं को ही आगामी चुनाव में उम्मीदवार के तौर पर प्राथमिकता दी जाएगी. गौरतलब है कि बैठक के बाद दी गई जानकारी में बताया गया कि उत्तराखंड में पहाड़ी राज्य होने के कारण संगठन की दो इकाई बनाकर पार्टी संगठन को मजबूती के साथ चुनावी तैयारी भी लगातार जारी है. इनकी मायावती के साथ शनिवार को अलग-अलग से बैठक भी हो गई है.

इस बैठक के दौरान मायावती ने वर्तमान राजनीतिक हालात और ताजा चुनावी समीकरण आदि का ध्यान रखते हुए आगे के लिए नये दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं. उन्होंने बैठक के बाद फिर एक बार स्पष्ट कर दिया कि राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर आगामी चुनाव अकेले अपने बलबूते पर ही लड़ने का पार्टी का संकल्प दोहरायें. बता दें कि मार्च में लोकसभा चुनाव का एलान होने की संभावना है. इस बीच मायावती द्वारा उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने में देरी की वजह को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे हैं.

2,

मायावती ने कहा कि उत्तराखंड में भी बसपा सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उत्तर प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड के लोगों को बसपा से काफी उम्मीदें हैं। इसलिए उम्मीदवारों का चयन भी सोच-समझ कर किया जा रहा है। मायावती ने कहा कि उम्मीदवारों का चुनाव जीतना ही काफी नहीं बल्कि उसके बाद प्रदेश में पार्टी की गतिविधियों को बढ़ाने व वफादारी जरूरी है।

उन्होंने उत्तराखंड सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार की कार्यप्रणाली जन कल्याण और प्रदेश का विकास नहीं बल्कि सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाली है। हाल ही में हल्द्वानी की घटना इसका ताजा उदाहरण है। उन्होंने नेताओं को पार्टी का जनाधार बढ़ाने की हिदायत दी। साथ ही कहा कि उम्मीदवारों के चयन में राजनैतिक समीकरणों के साथ पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने वाले नेताओं को तवज्जो दी जाएगी।

उत्तराखंड को दो भागों में विभाजित करके गठित की गई कार्यकारिणी के पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों से उन्होंने कहा कि प्रदेश में शांति व सुरक्षा में सरकार द्वारा बरती जा रही लापरवाहियों पर पर्दा डालने के लिए राज्य में सौहार्द के माहौल को बिगाड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार की तरह ही मौजूदा भाजपा सरकार भी राष्ट्रीय समस्याओं को हल कर पाने में विफल साबित हुई है। कम काम करके ज्यादा का ¨ढढोरा पीटने के कारण लोगों का जीवन कष्टदायी बना हुआ है।


Spread the love