
. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा सहिद स्मारक पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि क्या कहा मुख्यमंत्री ने आप भी सुनिए।उत्तराखंड राज्य आन्दोलन के हिंसक दमन की शुरुआत आज के दिन 1 सितम्बर 1994 को खटीमा में हुई थी जहां जुलूस प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की।
7 आन्दोलनकारी शहीद हुए और दर्जनों घायल।
खटीमा गोलीकांड में शहीद आन्दोलनकारी-
1- भगवान सिंह सिरोला
2- प्रताप सिंह
3- सलीम अहमद
4- गोपी चंद
5- धर्मानन्द भट्ट
6- परमजीत सिंह
7- राम पाल
नमन….विनम्र श्रद्धांजलि







1 सितम्बर, 1994 की सुबह खटीमा में हमेशा की तरह एक सामान्य सुबह की तरह शुरू हुई. लोगों ने अपनी दुकानें खोली थी. सुबह दस बजे तक बाजार पूरा खुल चुका था. तहसील के बाहर वकील अपने-अपने टेबल लगा कर बैठ चुके थे.
(Khatima Goli Kand 1994)
आज खटीमा में सरकार की गुंडागर्दी के विरोध में प्रदर्शन किया जाना था सो करीब आठ-साढ़े आठ बजे से ही रामलीला मैदान में लोगों ने जुटना शुरू किया था. साढ़े दस होते-होते दस हजार लोगों की भीड़ जमा हो चुकी थी.
इसमें युवा, पुरुष, महिलायें और पूर्व सैनिक शामिल थे. महिलाओं ने अपनी कमर में परम्परा के अनुसार दरांती बांध रखी थी तो पूर्व सैनिकों में कुछ के पास उनके लाइसेंस वाले हथियार थे. रामलीला मैदान से सरकार का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ.
भीड़ में तेज आवाज में सरकार विरोधी नारे लगते. सितारागंज रोड से होता हुआ जुलूस तहसील की ओर बढ़ा. यह जुलूस दो बार थाने के सामने होकर गुजरा था. पहली बार में जन जुलूस थाने के आगे से निकला तो युवाओं ने खूब जोर-शोर से नारेबाजी की.
(Khatima Goli Kand 1994)
जुलूस का नेतृत्व कर रहे पूर्व सैनिकों को जब लगा कि युवा उत्तेजित हो रहे हैं तो उन्होंने भीड़ को संभाल लिया. इस तरह आन्दोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था. दूसरी बार जब जुलूस के आगे के लोग तहसील के पास पहुंच गये थे और पीछे के लोग थाने के सामने थे, तभी थाने की ओर से पथराव किया गया और कुछ ही देर में आस-पास के घरों से भी पथराव शुरू हो गया.
यह देखते ही पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के लोगों पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया. अगले डेढ़ घंटे तक पुलिस रुक-रूककर गोली चलाती रही. अचानक हुई इस गोलीबारी से भीड़ में भगदड़ मच गयी. जिसमें आठ लोगों की मृत्यु हो गयी और सैकड़ों घायल हो गये.
पुलिस की गोलियों से कुछ लोगों की मृत्यु हो गयी तो पुलिस ने चार लाशों को उठाकर थाने के पीछे एलआईयू कार्यालय की एक कोठरी में छुपा दिया. देर रात के अंधेरे में चारों शवों को शारदा नदी में फेंक दिया. घटना स्थल से बराबद अन्य चार शवों के आधार पर पुलिस ने अगले कई सालों तक मारे गये लोगों की संख्या केवल चार बताई.
पुलिस ने लगभग साठ राउंड गोली चलाई. पुलिसवालों ने तहसील में जाकर वकीलों के टेबल जला दिये और वहां जमकर तोड़फोड़ मचा दी.
