उत्तराखंड राज्य आंदोलन ताकि सनद रहे,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने झूलाघर स्थित शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने मसूरी गोलीकांड के शहीद आंदोलनकारियों के परिवारजनों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण प्रमाण पत्र बनाने के लिए 6 माह का अतिरिक्त समय दिया गया था। बहुत से जिलों में इस पर कार्य हुआ। उन्होंने घोषणा की कि इस व्यवस्था का को आगे बढ़ाया जाए, इसके लिए इसका दोबारा आंकलन किया गया है।

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ताकि सनद रहे,उत्तराखंड राज्य आंदोलन की गाथा, मसूरी सड़कों पर उतरा तो झूलाघर के नजदीक पुलिस और पीएसी ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। इस गोलीकांड में हंसा धनाई, बेलमती चौहान, राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, बलबीर नेगी, मदन मोहन ममगाईं आदि छह आंदोलनकारी शहीद हो गए। पुलिस के तत्कालीन सीओ मसूरी उमाकांत त्रिपाठी की भी इस घटनाक्रम में जान चली गई थी। मसूरी में कई दिन कफ्र्यू रहा। पुलिस ने 14 आंदोलनकारियों को हत्या और हत्या के प्रयास जैसी 14 संगीन धाराओं में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई अदालत में इन आंदोलनकारियों के खिलाफ 10 साल तक मुकदमा चला। आखिरकार, साल-2004 में आंदोलनकारी आरोपमुक्त हुए।  भेज दिया गया। इसके विरोध में पूरा मसूरी सड़कों पर उतरा तो झूलाघर के नजदीक पुलिस और पीएसी ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। इस गोलीकांड में हंसा धनाई, बेलमती चौहान, राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, बलबीर नेगी, मदन मोहन ममगाईं आदि छह आंदोलनकारी शहीद हो गए। पुलिस के तत्कालीन सीओ मसूरी उमाकांत त्रिपाठी की भी इस घटनाक्रम में जान चली गई थी। मसूरी में कई दिन कफ्र्यू रहा। पुलिस ने 14 आंदोलनकारियों को हत्या और हत्या के प्रयास जैसी 14 संगीन धाराओं में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई अदालत में इन आंदोलनकारियों के खिलाफ 10 साल तक मुकदमा चला। आखिरकार, साल-2004 में आंदोलनकारी आरोपमुक्त हुए।  भेज दिया गया। इसके विरोध में पूरा मसूरी सड़कों पर उतरा तो झूलाघर के नजदीक पुलिस और पीएसी ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। इस गोलीकांड में हंसा धनाई, बेलमती चौहान, राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, बलबीर नेगी, मदन मोहन ममगाईं आदि छह आंदोलनकारी शहीद हो गए। पुलिस के तत्कालीन सीओ मसूरी उमाकांत त्रिपाठी की भी इस घटनाक्रम में जान चली गई थी। मसूरी में कई दिन कफ्र्यू रहा। पुलिस ने 14 आंदोलनकारियों को हत्या और हत्या के प्रयास जैसी 14 संगीन धाराओं में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई अदालत में इन आंदोलनकारियों के खिलाफ 10 साल तक मुकदमा चला। आखिरकार, साल-2004 में आंदोलनकारी आरोपमुक्त हुए।  भेज दिया गया। इसके विरोध में पूरा मसूरी सड़कों पर उतरा तो झूलाघर के नजदीक पुलिस और पीएसी ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। इस गोलीकांड में हंसा धनाई, बेलमती चौहान, राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, बलबीर नेगी, मदन मोहन ममगाईं आदि छह आंदोलनकारी शहीद हो गए। पुलिस के तत्कालीन सीओ मसूरी उमाकांत त्रिपाठी की भी इस घटनाक्रम में जान चली गई थी। मसूरी में कई दिन कफ्र्यू रहा। पुलिस ने 14 आंदोलनकारियों को हत्या और हत्या के प्रयास जैसी 14 संगीन धाराओं में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई अदालत में इन आंदोलनकारियों के खिलाफ 10 साल तक मुकदमा चला। आखिरकार, साल-2004 में आंदोलनकारी आरोपमुक्त हुए।  

झूलाघर पर मसूरी गोलीकांड के शहीदों को दी श्रद्धांजलि

मसूरी गोलीकांड की बरसी पर शनिवार सुबह मुख्यमंत्री धामी शहीदों को श्रद्धांजलि देने झूलाघर पहुंचे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलनकारियों ने जिस उद्देश्य से अलग राज्य की मांग की थी, उसके अनुरूप ही राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सरकार निरंतर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने घोषणा मसूरी शहीद स्थल पर शेड के निर्माण की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि देहरादून जिले में चिह्नित सभी 4,164 राज्य आंदोलनकारियों को पहचान पत्र निर्गत किए गए हैं। राज्य आंदोलनकारियों को उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क परिवहन सुविधा प्रदान किए जाने की व्यवस्था की गई है। राज्य आंदोलनकारियों के अधिकतम दो बच्चों को राजकीय विद्यालयों और महाविद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा सुविधा प्रदान की गई है। उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के लिए किए गए कार्यों की जानकारी भी दी। 

इस अवसर पर केन्द्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, मसूरी नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष अनुज गुप्ता, मसूरी नगर पालिका परिषद् के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन मल्ल आदि मौजूद रहे। 

…ऐसे घटित हुआ था मसूरी गोलीकांड

मसूरी के झूलाघर स्थित हॉल में उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति का अनशन और धरना-प्रदर्शन चल रहा था। 1 सितंबर 1994 को खटीमा में गोलीकांड हो चुका था, जिसमें कई आंदोलनकारी शहीद हुए थे। इससे मसूरी में भी गुस्सा था। अचानक 1 सितंबर की रात प्रशासन ने मसूरी में तत्कालीन थाना प्रभारी रमनपाल सिंह को हटाकर किशन सिंह तालान को थाना प्रभारी बना दिया। 2 सितंबर 1994 की तड़के मसूरी के झूलाघर पर उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति के अनशन स्थल पर पुलिस और पीएसी ने कब्जा कर वहां अपना कैंप बना लिया। संघर्ष समिति के नेताओं समेत 42 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर यूपी की जेलों में भेज दिया गया। इसके विरोध में पूरा मसूरी सड़कों पर उतरा तो झूलाघर के नजदीक पुलिस और पीएसी ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग कर दी। इस गोलीकांड में हंसा धनाई, बेलमती चौहान, राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, बलबीर नेगी, मदन मोहन ममगाईं आदि छह आंदोलनकारी शहीद हो गए। पुलिस के तत्कालीन सीओ मसूरी उमाकांत त्रिपाठी की भी इस घटनाक्रम में जान चली गई थी। मसूरी में कई दिन कफ्र्यू रहा। पुलिस ने 14 आंदोलनकारियों को हत्या और हत्या के प्रयास जैसी 14 संगीन धाराओं में गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई अदालत में इन आंदोलनकारियों के खिलाफ 10 साल तक मुकदमा चला। आखिरकार, साल-2004 में आंदोलनकारी आरोपमुक्त हुए।  

editor Avatar Singh Bisht
Anil Joshi Uttrakhand samvaddata
Naresh Chandra Bhatt Uttrakhand marketing head

उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट में कहा कि उत्तराखंड राज्य की मूल अवधारणा किस मकसद से उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था ।आज भी अधूरा है। उत्तराखंड राज्य के शहीदों को नमन करते हुए ।उत्तराखंड राज्य की लड़ाई जिसमें प्रत्येक उत्तराखंडायों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ।मातृ शक्ति के संघर्षों के उपरांत राज्य का गठन हुआ ।इन 23सालों में उत्तराखंड तेजी से आगे बढ़ने वाला भारत का पहला प्रदेश बना/सिडकुल की स्थापना से स्थानीय व पहाड़ के लोगों को रोजगार मिले/शिक्षा स्वास्थ्य पहले से बेहतर हुए हैं ।वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे डाला जा रहा है। सरकारी जमीनों से लोगों को हटाया जा रहा है ।धर्म के नाम पर अतिक्रमण को मुक्त किया जा रहा है। भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड की परिकल्पना तभी सार्थक हो सकती है जब नौकरशाह प्रत्येक राजनेता आम जनता इसका पालन करें। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी अपने-अपने संगठनों के बैनर तले उत्तराखंड के जन सरकार के मुद्दों को लेकर हमेशा संघर्षरत रहेंगे ।एक जुटता के साथ उत्तराखंड को संवारने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे ।इन्हीं कल्पनाओं के साथ प्रदेश के समस्त राज्य आंदोलनकारी का अवतार सिंह बिष्ट ने धन्यवाद प्रेषित किया ।उत्तराखंड के शहीदों को नमन, जय भारत जय उत्तराखंड। निवेदक अवतार सिंह बिष्ट अध्यक्ष उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद


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