
संपादकीय:उत्तराखंड में धामी सरकार के तीन साल पूरे: उपलब्धियों का बखान, लेकिन चुनौतियां बरकरार


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने दूसरे कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे होने से एक दिन पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने सरकार की प्रमुख उपलब्धियों, विभिन्न योजनाओं और भविष्य की रणनीतियों को जनता के सामने रखा। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार ने राज्य को सुशासन, विकास और पारदर्शिता की दिशा में आगे बढ़ाया है। हालांकि, विपक्ष और आम जनता का एक बड़ा वर्ग अभी भी कई मोर्चों पर सरकार की विफलताओं की ओर इशारा कर रहा है।
सरकार की प्रमुख उपलब्धियां
प्रेस वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार ने बीते तीन वर्षों में कई ऐतिहासिक फैसले लिए हैं, जिनका असर सीधे जनता पर पड़ा है। कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
- बेरोजगारों के लिए भर्तियों की प्रक्रिया तेज: सरकार ने विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की और कई परीक्षाओं का आयोजन करवाया।
- अतिक्रमण के खिलाफ सख्ती: राज्य में सरकारी भूमि और सार्वजनिक परिसंपत्तियों पर अवैध कब्जे हटाने के लिए अभियान चलाया गया।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा: चारधाम यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया गया।
- महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण: महिलाओं के लिए स्वरोजगार योजनाएं शुरू की गईं और महिला सुरक्षा को लेकर सख्त कानून लागू किए गए।
- विकास योजनाएं और निवेश को बढ़ावा: सरकार ने राज्य में औद्योगिक विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए निवेश प्रोत्साहन नीति लागू की।
चुनौतियां और कमियां: विपक्ष के निशाने पर सरकार
हालांकि, धामी सरकार की उपलब्धियों के बीच कई कमियां और विफलताएं भी सामने आई हैं, जिन पर सरकार को जल्द ध्यान देने की जरूरत है।
- बेरोजगारी अभी भी बनी समस्या: सरकार ने नौकरियों की घोषणाएं तो कीं, लेकिन अधिकांश भर्तियां अब भी अधर में लटकी हैं। पेपर लीक और भर्ती घोटालों के कारण युवाओं में आक्रोश बढ़ा है।
- महंगाई और बेरोकटोक बढ़ती कीमतें: राज्य में महंगाई दर लगातार बढ़ रही है। पेट्रोल, डीजल और आवश्यक वस्तुओं की कीमतें लोगों की जेब पर भारी पड़ रही हैं।
- स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली: सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है, वहीं दवाओं और चिकित्सा सुविधाओं का संकट बना हुआ है। दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं।
- सड़कों और बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति: कई इलाकों में सड़कों की हालत जर्जर बनी हुई है। मानसून में सड़कें बह जाने और भूस्खलन की घटनाएं लगातार सामने आती हैं, लेकिन स्थायी समाधान की दिशा में प्रयास नाकाफी हैं।
- अराजकता और कानून व्यवस्था पर सवाल: राज्य में हाल के दिनों में अपराधों में वृद्धि हुई है। महिला सुरक्षा और साइबर अपराध जैसे मामलों में सरकार को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
- शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत: शिक्षकों के तबादलों को लेकर लगातार असंतोष बना हुआ है। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी पर सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
आगे की राह: क्या सरकार कमियों को दूर कर पाएगी?
मुख्यमंत्री धामी ने प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि उनकी सरकार आगे भी जनहित में काम करेगी और सभी चुनौतियों का समाधान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हालांकि, विपक्ष और जनता का मानना है कि यदि सरकार को सच में उत्तराखंड को एक विकसित और सशक्त राज्य बनाना है, तो उसे केवल दावों और घोषणाओं से आगे बढ़कर धरातल पर ठोस कार्य करना होगा।
आगामी चुनावों से पहले सरकार के पास अपनी कमियों को सुधारने का यह आखिरी मौका है। यदि सरकार रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा और कानून व्यवस्था जैसी जमीनी समस्याओं को हल नहीं कर पाई, तो जनता का भरोसा डगमगा सकता है।
