
उत्तराखंड,2014 के बाद से हर वह काम हो रहा है, जो देश काफी समय में प्रतीक्षा कर रहा था. चाहे कश्मीर में धारा 370 हो या अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना हो, तीन तलाक का कानून हो या सीएए का कानून हो या पूरी दुनिया के अंदर भारत को वैश्विक रूप से पहचान ज्यादा स्थापित होना हो या देवभूमि उत्तराखंड में देश की आजादी के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने का कानून हो. ऐसे अनेक काम हुए हैं.


प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
उत्तराखंड में लागू हुआ समान नागरिक संहिता
यह पूछे जाने पर कि समान नागरिक संहिता का रोडमैप क्या है? सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड में 2022 का आम चुनाव संपन्न हुआ और उस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने उत्तराखंड की जनता के साथ एक वचन, एक संकल्प रखा कि नई सरकार बनी तो देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता नया कानून लागू करेंगे और देवभूमि उत्तराखंड की जनता ने भी इस आम चुनाव में राज्य बनने के बाद एक मिथक था कि हर पांच साल के बाद सरकार बदलती थी. चुनाव के बाद सरकार बदल जाती थी. लगातार चार बार से क्रम चल रहा था.
पहली बार उत्तराखंड की जनता ने यह मिथक तोड़ा और भाजपा की सरकार फिर से बनी और एक इतिहास बना दिया और जो हमने वचन जनता के समक्ष रखा था, उसे निभाया. हमने कहा हुआ वादा पूरा किया. जो कहते हैं उसे पूरा करते हैं. उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया. यहां रहने वाले किसी भी धर्म, किसी का पंत या किसी जाति का हों, देव भूमि में यूसीसी का कानून लागू हो गया है. यहां सभी के लिए समान कानून होगा.
हिंदू सम्राट कहे जाने पर जानें क्या बोले सीएम धामी
हिंदू हृदय सम्राट कहे जाने के सवाल पर सीएम धामी ने कहा कि वह एक सामान्य कार्यकर्ता हैं. पार्टी ने एक काम दिया. संतोष है कि पार्टी जो काम देती है और वह करते हैं. मैं कभी नाम के चक्कर में नहीं पड़ा और कभी आगे क्या होगा? नहीं सोचता हूं. उन्होंने कहा कि बचपन से ही सेना के परिवार में पैदा हुआ और पला और बढ़ा. कई परिस्थितियां देखी है. जो भी बनना है. कुछ करने के लिए बनना है, कुछ दिखाने के लिए नहीं बनना है.
संविधान के प्रावधान के अनुसार ही बना है यूसीसी
एक वर्ग के नाराज होने पर सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी भारत की संविधान ने जो प्रावधान किया गया है, संविधान के अनुच्छेद 44 में इसका प्रावधान किया गया है, जो ऐसे बात करते हैं. यूसीसी को नहीं मानेंगे. यहां के संविधान के नहीं मानेंगे. यहां की व्यवस्था को नहीं मानेंगे. वे कौन लोग हो सकते हैं. वे व्यवस्था विरोधी और संविधान विरोधी लोग हैं. बाबा साहेब आंबेडकर को नहीं मानने वाले लोग हैं. हमने कभी भी किसी के साथ तुष्टिकरण की बात नहीं की है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास पर चल रहे हैं. उत्तराखंड में यूसीसी लागू किया और कभी कहीं इसका विरोध नहीं हुआ.
आदिवासियों को छोड़ने की सीएम ने बताई ये वजह
मुस्लिमों को शामिल किया है, आदिवासियों को छोड़ दिया है, इस सवाल पर धामी ने कहा कि आदिवासी और जनजातियों के लिए भारत के संविधान में विशेष प्रावधान हैं. रहन-सहन और उनके अपने कस्टम है. भारत के संविधान के प्रावधान को आगे बढ़ाया है. उत्तराखंड में जब हमारी कमेटी बनी थी तो दो लाख 36 हजार लोगों से संपर्क किया. हमने सभी राजनीतिक दल के लोगों से बात कही. ड्राफ्ट बनाने वाली कमेटी ने धार्मिक संगठनों के साथ बात की. कई समुदायों के साथ बात की. सबके साथ बात करने के बाद ड्राफ्ट बनाया. आदिवासी समाज के लोग हैं.
उन्होंने कहा कि हमें शामिल करें तो आपत्ति नहीं, लेकिन हमें समय दे दीजिए. जो भी प्रावधान किए गए हैं, संविधान के अनुसार किए गए हैं. गंगा गंगोत्री उत्तराखंड से निकली है. आने वाले समय में समान नागरिक संहिता की गंगोत्री सभी राज्यों को लाभ देगी, लेकिन इसमें सुधार की गुंजाइश हमेशा रहेगी. जैसे-जैसे आवश्यकता होती है. कानून बनते गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कई कानून खत्म किए गए और कानूनों का सरलीकरण हुआ है.
