प्रदेश में पार्टी के तमाम बड़े नेता पार्टी प्रत्याशी मनोज रावत के समर्थन में छोटी-छोटी सभाओं के साथ जनसंपर्क भी कर रहे हैं। गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों के नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतारा गया है।
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव 20 नवंबर को है। उपचुनाव को मुख्य विपक्षी दल ने भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। इसका प्रमुख कारण केदारनाथ धाम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गहरा लगाव है। कांग्रेस उत्तराखंड में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही बड़ी चुनौती के रूप में देखती रही है। इसी कारण वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव और फिर वर्ष 2024 के लगातार तीसरे लोकसभा चुनाव में पार्टी को सत्ताधारी दल भाजपा के किले में सेंध लगाने का अवसर नहीं मिला। यद्यपि, गत जुलाई माह में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव ने कांग्रेस का मनोबल बढ़ाया है।
केदारनाथ उपचुनाव पर नजरें
विशेष रूप से बदरीनाथ विधानसभा सीट पर पार्टी अपना कब्जा बनाए रखने में सफल रही। इसीलिए पार्टी की नजरें अब केदारनाथ उपचुनाव पर हैं। पार्टी हाईकमान इस उपचुनाव को एकजुटता से लड़ने की हिदायत सभी नेताओं को दे चुका है।
कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को चुनाव प्रचार के लिए उतार चुकी है। गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में सक्रिय नेताओं को भी पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में मोर्चे पर भेजा गया है। इससे पहले बदरीनाथ विधानसभा सीट जीत चुकी कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन को पर्वतीय मतदाताओं में बढ़ती पैठ माना, साथ में भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे के प्रति जन समर्थन घटने के रूप में इसे प्रस्तुत किया था।
मैदान में हैं दिग्गज
केदारनाथ में भी कांग्रेस इसी प्रयोग को दोहराने के लिए दिग्गजों को झोंके हुए है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि केंद्र सरकार और सत्ताधारी दल जन अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरी है। इससे पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं में रोष है। केदारनाथ उपचुनाव में पार्टी एकजुटता के साथ चुनाव लड़ रही है, ताकि भाजपा को सबक सिखाया जा सके।