उत्तराखंड में स्मार्ट मीटरों को लेकर उपभोक्ताओं की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को चाहिए कि वह जनता की समस्याओं को गंभीरता से सुने और इस योजना को सही तरीके से लागू करने के लिए पारदर्शी नीति अपनाए। जब तक लोगों का विश्वास नहीं जीता जाएगा, तब तक इस तरह की तकनीकी पहलें विवादों में ही घिरी रहेंगी।

Spread the love

संपादकीय:उत्तराखंड में स्मार्ट मीटरों का विरोध: बढ़ते बिजली बिलों और पारदर्शिता की कमी पर जनता नाराज़

उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं द्वारा स्मार्ट मीटर लगाए जाने का व्यापक विरोध हो रहा है। राज्य के कई जिलों में लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से इस योजना को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। स्मार्ट मीटरों को लेकर जनता की चिंताओं, इसके संभावित प्रभावों और सरकार की स्थिति को समझना आवश्यक है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

स्मार्ट मीटर योजना क्या है?

स्मार्ट मीटर एक डिजिटल उपकरण है जो उपभोक्ताओं की बिजली खपत को स्वचालित रूप से रिकॉर्ड करता है और उसे ऑनलाइन ट्रांसमिट करता है। पारंपरिक मीटर की तुलना में, यह मीटर रियल-टाइम डेटा प्रदान करता है और उपभोक्ताओं को उनकी बिजली खपत पर अधिक नियंत्रण देता है। सरकार और बिजली कंपनियाँ इसे पारदर्शिता और कुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से लागू कर रही हैं।

विरोध के प्रमुख कारण

1. बढ़े हुए बिजली बिल

कई उपभोक्ताओं का दावा है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली बिल अचानक बढ़ गए हैं। लोगों को लगता है कि मीटर गलत तरीके से अधिक खपत दिखा रहे हैं, जिससे अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।

2. पारदर्शिता की कमी

लोगों का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने से पहले उचित जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया और उपभोक्ताओं को इस प्रणाली के काम करने के तरीके की पूरी जानकारी नहीं दी गई।

3. डेटा सुरक्षा और तकनीकी खामियाँ

कुछ उपभोक्ता इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि स्मार्ट मीटरों के जरिए उनकी बिजली खपत की जानकारी ऑनलाइन ट्रांसमिट होने से डेटा लीक या साइबर हमलों की आशंका बढ़ सकती है। इसके अलावा, यदि तकनीकी खराबी होती है, तो उपभोक्ताओं को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

4. मनमानी और जबरन स्थापना

कई जगहों पर स्थानीय निवासियों का आरोप है कि बिजली विभाग जबरन स्मार्ट मीटर लगा रहा है और यदि कोई इसका विरोध करता है, तो उसके कनेक्शन काटने की धमकी दी जा रही है।

5. ग्रामीण क्षेत्रों में समस्या

ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति पहले से ही अनियमित है, ऐसे में स्मार्ट मीटरों की नई प्रणाली उपभोक्ताओं के लिए और अधिक परेशानी खड़ी कर सकती है।

सरकार और बिजली विभाग का पक्ष

सरकार और बिजली विभाग का कहना है कि स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के हित में हैं और इससे बिजली चोरी रोकने, बिलिंग प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और बिजली आपूर्ति को अधिक कुशल बनाने में मदद मिलेगी। अधिकारियों का दावा है कि बढ़े हुए बिजली बिलों का कारण मीटर की गड़बड़ी नहीं, बल्कि वास्तविक खपत है, जिसे पहले गलत तरीके से दर्ज किया जाता था।

समस्या का समाधान क्या हो सकता है?

  1. जनता को सही जानकारी दी जाए – सरकार और बिजली विभाग को चाहिए कि वे उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर की कार्यप्रणाली और इसके लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी दें।
  2. स्वतंत्र जांच हो – यदि स्मार्ट मीटरों के कारण बिजली बिल बढ़ने की शिकायतें आ रही हैं, तो सरकार को एक स्वतंत्र तकनीकी जांच करवानी चाहिए।
  3. विकल्प दिया जाए – जिन उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर पर भरोसा नहीं है, उन्हें पारंपरिक मीटर रखने का विकल्प दिया जाना चाहिए।
  4. डेटा सुरक्षा सुनिश्चित की जाए – उपभोक्ताओं की निजी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए साइबर सुरक्षा के मजबूत उपाय किए जाने चाहिए।
  5. समाज के साथ संवाद हो – बिजली विभाग को जनता, उपभोक्ता संगठनों और पंचायतों के साथ संवाद कर इस समस्या का हल निकालना चाहिए।


Spread the love