हिमाचल प्रदेश के शिमला में संजौली इलाके की मस्जिद को लेकर विवाद जारी है। एक ऐसी ‘कम्यूनल टेंशन’ जिसे पहाड़ी राज्य के इतिहास में पहली बार महसूस किया जा रहा है। आखिर पूरा विवाद क्या है, क्यों और कैसे शुरू हुआ, क्या मांग हो रही है?

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   मिडिया पड़ताल में इस पूरे विवाद के पीछे एक नाई की दुकान पर हुआ झगड़ा, 1960 में बनी एक मस्जिद और हिमाचल प्रदेश विधानसभा के भीतर जारी सियासी तकरार महत्वपूर्ण पहलुओं के तौर पर दिखाई देता है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर 8393021000

संजौली जिले की चार मंजिला मस्जिद को गिराने की मांग के बीच गुरुवार को मुस्लिम वेलफेयर कमेटी (जिसमें मस्जिद के इमाम भी शामिल हैं) ने शिमला के नगर निगम आयुक्त को एक ज्ञापन सौंपा, इस ज्ञापन में मस्जिद के अनधिकृत हिस्सों को सील करने का आग्रह किया गया था।

कहां से शुरू संजौली मस्जिद का यह मामला?

यह पूरा मामला मस्जिद क्षेत्र से 8 किलोमीटर दूर मलयाना गांव में हुए एक झगड़े से शुरू हुआ, दरअसल 31 अगस्त को एक लोकल दुकानदार विक्रम सिंह का नाई की दुकान के मालिक गुलनवाज से झगड़ा हो गया था। जिसके बाद पुलिस ने विक्रम पर हमला करने के आरोप में गुलनवाज और दो नाबालिगों सहित छह लोगों को हिरासत में ले लिया, लेकिन मामला तब ज़्यादा बढ़ गया जब आरोप सामने आए कि आरोपियों ने मस्जिद में शरण ली थी।

इस पूरे मामले पर संजौली की एक सिविल सोसाइटी के पदाधिकारी विकास थाप्टा कहते हैं, “मुस्लिम सदियों से यहां रह रहे हैं। पहले भी झगड़े होते थे, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। गुलनवाज शिमला से नहीं है, वह बहुत समय पहले यहां आया था और उसने एक हिंदू महिला से शादी की थी। और 10 सालों में उसने तीन और दुकानें खरीदीं, जो सभी उसके दोस्त चलाते हैं। तनाव की वजह यह थी कि ऐसी खबरें थीं कि विक्रम पर हमला करने के बाद, कुछ आरोपियों ने उस मस्जिद में शरण ली थी।” विकास थाप्टा भी मस्जिद गिराने की मांग करने वाले लोगों में से एक हैं।

लोकल दुकानदार विक्रम ने मिडिया से बात करते हुए कहा कि यह मामला मस्जिद तक कैसे पहुंचा, वह नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा, “सच कहूं तो मुझे नहीं पता कि यह मामला संजौली की मस्जिद तक कैसे पहुंचा। रात के करीब 9.15 बजे मुझ पर हमला हुआ, जब मैंने गुलनवाज के अपशब्द बोलने पर आपत्ति जताई थी। मेरी दुकान गुलनवाज की दुकान के पास है, वह इलाके में कुणाल नाम से जाना जाता है। मैंने अपने साथी दुकानदारों को बुलाया, जिनमें यशपाल शर्मा भी शामिल थे, जिनके सिर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया। यशपाल शर्मा शिमला में व्यापारियों के एक छत्र संगठन, व्यापार मंडल के सदस्य हैं। हमलावरों में से एक को उसी रात गिरफ्तार कर लिया गया था और बचे हुए आरोपियों ने अगले दिन सरेंडर कर दिया था। मुझे जो याद है उस वक़्त कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि हमलावर भाग गए हैं और मस्जिद में शरण ले ली है।”

मस्जिद के आसपास पहला प्रदर्शन : हिमाचल विधानसभा में उठा मामला

मस्जिद के इर्द-गिर्द पहला विरोध प्रदर्शन 3 सितंबर को हुआ था। यानी विक्रम पर हुए हमले के दो दिन बाद। बात तब और ज़्यादा चर्चा में आई जब मानसून सत्र के दौरान चौपाल से भाजपा विधायक बलबीर सिंह वर्मा ने विधानसभा में नियम 62 के तहत चर्चा के विषय के तौर पर क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव को सूचीबद्ध किया।

हालांकि यह मामला भाजपा विधायक द्वारा सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने राज्य के लोगों के अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत के बारे में बोलना शुरू किया। इस दौरान विधानसभा में तालियां बजाने वाले विधायकों में बीजेपी के विधायक भी शामिल थे। मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की जाए और कहा कि अगर मस्जिद अवैध साबित होती है, तो उसे गिरा दिया जाएगा।

शिमला (शहरी) विधानसभा से मंत्री अनिरुद्ध के साथी कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। इस दौरान जनारथा ने कहा, “मलयाना में एक छोटी सी बात पर दो समुदायों के लोगों के बीच झड़प हुई थी, लेकिन मामला संजौली तक पहुंच गया, जहां एक अवैध चार मंजिला इमारत खड़ी है। पिछले साल स्थानीय नगर निगम ने इस इमारत का एक हिस्सा गिरा दिया था। झड़प के बाद छह संदिग्धों को पकड़ा गया था। वे सभी अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। लेकिन मेरा मानना ​​है कि कोई मुझे फोन करके बता सकता था कि मेरे इलाके में क्या हो रहा है।”

1960 में बनी थी मस्जिद

यह मस्जिद कुफरी के रास्ते में संजौली बाजार से नीचे की तरफ मौजूद है। मस्जिद के ग्राउंड फ्लोर का निर्माण 1960 में हुआ था और 2010 में तीन और मंजिलें जोड़ी गईं। मस्जिद के निर्माण को नगर निगम शिमला में चुनौती दी गई थी और 2010 से 2024 के बीच 44 बार इस मामले पर सुनवाई हुई है। अब सुनवाई की अगली तारीख 5 अक्टूबर है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। हालांकि, भाजपा के पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कांग्रेस सरकार पर मामले को हल्के में लेने का आरोप लगाया और दूसरे राज्यों से हिमाचल प्रदेश आने वाले प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन के बारे में उनकी सरकार के फैसले को वापस लेने का आरोप लगाया।

गुरुवार को कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने अपने कार्यकाल के दौरान मस्जिद निर्माण में मदद के लिए 2 लाख रुपए दिए थे । हालांकि पार्टी ने इन दावों को नकार दिया। मस्जिद निर्माण खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले संगठनों में हिंदू जागरण मंच, व्यापार मंडल, महिला मंडल संजौली और देवभूमि संघर्ष समिति शामिल हैं।

इनमें से कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों ने स्थानीय सरकारी अधिकारियों को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें “बाहरी लोगों” के रजिस्ट्रेशन और मंडी, कांगड़ा, सोलन और सिरमुर में अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित अवैध रूप से बनाए गए धार्मिक निर्माणों को हटाने की मांग की गई।

वक्फ बोर्ड की है जमीन

राज्य के वक्फ बोर्ड के कमिश्नर जफर इकबाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “जिस जमीन पर मस्जिद मौजूद है, वह पूरी तरह से राज्य वक्फ बोर्ड की है, इसे दशकों पहले बनाया गया था। हालांकि जफर इकबाल ने कहा कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि स्थानीय समिति ने निर्माण को बढ़ाने के लिए स्थानीय अधिकारियों से मंजूरी ली थी या नहीं।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि बाहरी लोगों के कारण हिमाचल प्रदेश में चलना तक मुश्किल हो गया है. यह बात उन्होंने स्ट्रीट वेंडर्स के मुद्दे पर कही.

उन्होंने कहा कि इस मामले में कमेटी बनाई जाएगी.

दरअसल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू आज हिमाचल के शिमला और मंडी में जारी मस्जिद विवाद पर प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा,’शिमला मस्जिद मामले में हम कानून के मुताबिक काम करेंगे. पिछले कुछ दिनों से चल रहे स्थानीय विवाद को भी सुलझाया जाएगा. मस्जिद कमेटी ने कहा है कि अगर कोई अवैध निर्माण है तो उसे खुद ही गिराने की इजाजत दी जाए. हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. लेकिन अवैध निर्माण से कानून के तहत निपटा जा सकता है.

‘हिमाचल में होते रहते हैं प्रदर्शन’

सीएम सुक्खू ने आगे कहा,’स्ट्रीट वेंडर्स के मामले में कमेटी बनाई जाएगी. लोग बाहर से आ रहे हैं और लोगों का पैदल चलना मुश्किल है. उन्होंने आगे कहा कि मंडी में भी अवैध निर्माण का मामला आया और मस्जिद कमेटी ने खुद ही इसे गिरा दिया. हिमाचल प्रदेश में विरोध-प्रदर्शन होते रहते हैं और यह हिमाचल प्रदेश में कोई नई बात नहीं है. शिमला मस्जिद मामले में हम कानून के मुताबिक काम करेंगे.’

लोगों को हटाने की पानी की बौछार

बता दें कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी में अवैध मस्जिद निर्माण को लेकर कई हिंदू संगठन शुक्रवार को रैली निकाल रहे हैं. ये प्रदर्शन-रैली मंडी शहर से सकोडी चौक की ओर बढ़ रही है. हिंदू संगठनों की इस रैली के मद्देनजर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार भी कीं. बता दें कि कंगना रनौत मंडी से ही बीजेपी सांसद हैं.

शिमला में भी हुआ था इसी तरह का प्रदर्शन

शिमला के संजौली इलाके में मस्जिद परिसर में अवैध निर्माण को लेकर हिंदू संगठनों और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिसकर्मियों से झड़प भी हुई थी. प्रदर्शनकारियों ने मस्जिद की ओर मार्च करते हुए ‘हिमाचल ने ठाना है, देवभूमि को बचाना है’ और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगाए थे. इस दौरान पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की थी, जिसे लोगों ने तोड़ दिया और आगे बढ़ने लगे थे. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वाटर कैनन चलाया और लाठीचार्ज किया था.


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