भ्रष्टाचार मुक्त खाद्यान्न वितरण: रुद्रपुर से उठती एक सशक्त आवाज़प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

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भ्रष्टाचार मुक्त खाद्यान्न वितरण: रुद्रपुर से उठती एक सशक्त आवाज़

लेखक: [आपका नाम]

उत्तराखंड का खाद्य और पूर्ति विभाग आज जिस गंभीर स्थिति में है, वह केवल प्रशासनिक चूक नहीं बल्कि जनता की बुनियादी आवश्यकताओं के साथ खिलवाड़ है। हाल ही में देहरादून के गूलरघाटी खाद्यान्न गोदाम में उजागर हुई अनियमितताओं ने राज्य भर में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें उधेड़ दी हैं। 61 चावल के नमूनों में से 26 का फेल हो जाना केवल गुणवत्ता की चूक नहीं, बल्कि सीधे-सीधे आम जनता की सेहत से खिलवाड़ है।

यह चावल उन वर्गों के लिए था जो पहले से ही समाज के सबसे कमजोर तबकों में आते हैं—धात्री महिलाएं, छोटे बच्चे, वृद्ध और निर्धन वर्ग। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि क्या सरकारी योजनाएं वाकई ज़मीनी स्तर तक ईमानदारी से पहुंच रही हैं?

रुद्रपुर: एक जरूरी हस्तक्षेप की मांग

रुद्रपुर, जो पूरे कुमाऊँ क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, वहां भी खाद्यान्न वितरण प्रणाली में गड़बड़ियों की खबरें कोई नई नहीं हैं। राशन डिपो में घटिया अनाज की आपूर्ति, भ्रष्ट डीलरों की मिलीभगत और अधिकारियों की लचर निगरानी व्यवस्था यहाँ आम बात हो चुकी है।

पिछली घटनाओं में भी जब शिकायतें हुईं, तो कार्रवाई के नाम पर केवल लीपापोती देखने को मिली। जनता के सब्र का बाँध अब टूटने की कगार पर है।

जागरूकता अभियान: एक नई शुरुआत

अब समय आ गया है कि हम केवल शिकायतें न करें, बल्कि एक जन जागरूकता अभियान की शुरुआत करें। इस अभियान के प्रमुख उद्देश्य होने चाहिए:

  1. जनता को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना – हर नागरिक को यह जानना चाहिए कि उन्हें कितना राशन, किस गुणवत्ता का और कब मिलना चाहिए।
  2. फिफो (FIFO) प्रणाली का पालन सुनिश्चित कराना – यह जानना जरूरी है कि खाद्यान्न भंडारण में “पहले आया, पहले निकाला गया” (First In First Out) का नियम क्यों जरूरी है।
  3. जनता निगरानी समिति का गठन – रुद्रपुर में वार्ड और मोहल्ला स्तर पर समितियाँ बनाकर स्थानीय राशन वितरण की निगरानी की जा सकती है।
  4. भ्रष्टाचार के विरुद्ध ज़ीरो टॉलरेंस नीति – ईमानदार अधिकारियों की नियुक्ति और भ्रष्टों का स्थानांतरण ही नहीं, बल्कि उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई जरूरी है।

सरकार और जनता की साझी जिम्मेदारी

भ्रष्टाचार केवल एक विभाग या अधिकारी की समस्या नहीं है, यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर आज हमने आवाज़ नहीं उठाई तो कल हमारी थाली में सिर्फ समझौता परोसा जाएगा।

सरकार को चाहिए कि वह केवल दिखावटी कार्रवाई से ऊपर उठकर पूरी व्यवस्था का पुनर्गठन करे। वहीं, जनता को भी अब मूकदर्शक नहीं, बल्कि सक्रिय भागीदार बनना होगा।

निष्कर्ष:

रुद्रपुर से एक नया सशक्त संदेश जाए—”भ्रष्टाचार नहीं सहेंगे, अधिकार लेकर रहेंगे।” अगर एक शहर जागता है, तो पूरा प्रदेश जाग सकता है।



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