डिफेंस एक्सपर्ट्स लगातार अलर्ट जारी कर रहे थे, कि इंडियन एयरफोर्स के पास फाइटर जेट्स की भारी कमी हो गई है, जबकि भारत के दोनों दुश्मन, चीन और पाकिस्तान अपनी वायुसेना के बेड़े में अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों की तैनाती कर रहे हैं, जिससे भारत की सुरक्षा पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

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जिसके बाद अब एक रिपोर्ट में दावा किया गया है, कि भारत सरकार ने भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) में विमानों की ऐतिहासिक कमी को दूर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

भारतीय वायुसेना के पास विमानों की संख्या में भारी कमी (Indian Air Force)

इस साल की शुरुआत में, यह बात सामने आई थी, कि भारतीय वायुसेना का बेड़ा अब तक के सबसे कम स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय वायुसेना में 42 स्क्वाड्रन होना चाहिए, लेकिन इस समय भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ 31 स्क्वाड्रन ही बचे हैं। लेकिन, हैरानी की बात ये है, कि यह संख्या 29 से भी कम है, क्योंकि मिग-21 के दो स्क्वाड्रन पुराने विमान अब काफी कम ऑपरेशनल हैं। ये विमान लंबे समय से ऑपरेशनल रहे हैं, लेकिन अब उनकी जिंदगी खत्म हो रही है। भारतीय वायुसेना कई सालों से अपने बेड़े से मिग विमानों को हटाना चाह रही है, लेकिन विमानों की कमी ने उन्हें ऐसा करने से रोक रखा है।

मोदी सरकार ने हाई लेवल कमेटी बनाई (Defence News)

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने फाइटर जेट्स की कमी की संकट से निपटने के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है।

एक दशक से भी ज्यादा समय से, भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स खरीदने के कई कार्यक्रम रुके हुए हैं। अमेरिका में बने इंजनों की आपूर्ति में देरी की वजह से तेजस विमानों को शामिल करने का काम भी रुका हुआ है और 114 नए 4.5-पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खरीद लंबे समय से लंबित है।

ईटी ने बताया है, कि राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली समिति जनवरी 2025 के अंत तक रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है।

अखबार ने बताया कि समिति में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रमुख समीर वी कामत, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार और इंडियन एयरफोर्स के उप प्रमुख एयर मार्शल तेजिंदर सिंह शामिल हैं।

लंबे समय से, भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान दो मोर्चों पर संघर्ष की संभावना के बारे में चिंतित है, जहां भारत को एक ही समय में पाकिस्तान और चीन की संयुक्त सेनाओं का सामना करना पड़ सकता है। भारत के ये दोनों दुश्मन लगातार अपने संबंधझों को मजबूत कर रहे हैं और पाकिस्तान ने इस साल की शुरूआत में चीन से पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को खरीदने की भी घोषणा की थी, इसलिए भारत के लिए दो मोर्चों के संघर्ष की संभावना को रक्षा योजना में शामिल करना अनिवार्य है।

लेकिन, डिफेंस एक्सपर्ट्स चेतावनी दे रहे हैं, कि अगर इस वक्त भारत को दो मोर्चों पर युद्ध लड़ना पड़ा, इंडियन एयरफोर्स को गंभीर चुनौतियों से जूझना पड़ सकता है।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है, कि समिति के गठन के बाद “कुछ फाइटर जेट सीधे खरीदे जाएंगे, जबकि ज्यादातर का उत्पादन भारत में ही किया जाएगा”।

वहीं, फाइटर जेट तेजस की इंजन की आपूर्ति में होने वाली देरी को लेकर अमेरिकी डिफेंस कंपनी GE के प्रमुख ने कहा है, कि इंजनों की सप्लाई मार्च 2025 से शुरू हो जाएगी, जो तय समय से 2 साल पीछे है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ये संकट सिर्फ फाइटर जेट्स की कमी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ट्रांसपोर्ट विमान और अन्य सामरिक संपत्तियों की भी कमी है।

अखबार के मुताबिक, आवश्यक संख्या 18 के मुकाबले भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ छह मिड-एयर रिफ्यूलर विमान हैं।

वहीं, जब एयरबोर्न अर्ली-वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) विमानों की बात आती है, तो भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ छह विमान हैं, जो अखबार के मुताबिक,पाकिस्तान से भी कम है। और भारतीय वायुसेना को कम से कम 12 और AEW&C विमान हासिल करने की योजना है।

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