कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाते हैं परंतु कुछ लोग परंपरा से एकादशी के दिन ही देव दिवाली मना लेते हैं। देव दिवाली का पर्व इस बार 15 नवंबर 2024 शुक्रवार के दिन रहेगा।

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कहां करते हैं दीपदान?

1. देवमंदिर में करते हैं दीपदान।

2. विद्वान ब्राह्मण के घर में करते हैं दीपदान।

3. नदी के किनारे या नदी में करते हैं दीपदान।

4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि (धान के उपर) पर करते हैं दीपदान।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

कब करते हैं दीपदान?

1. दीपदान प्रदोषकाल और उसके बाद के काल में करते हैं।

2. सभी स्ना पर्व और व्रत के समय दीपदान करते हैं।

3. धनतेरस, नरकचतुर्दशी, यम द्वितीया, दीपवली, अमावस्या या पूर्णिमा के दिन करते हैं दीपदान।

4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है।

5. पद्मपुराण के उत्तरखंड में स्वयं महादेव कार्तिकेय को दीपावली, कार्तिक कृष्णपक्ष के पांच दिन में दीपदान का विशेष महत्व बताते हैं।

कितने दीपक दान करना चाहिए?

देव दिवाली पर नदी के तट पर देव दीपावली के दिन 11, 21, 51 या 108 दीया जलाएं। आप चाहे तो इससे ज्यादा दीपक भी जला सकते हैं।

दीपदान करने के फायदे:-

1. अकाल मृत्यु से बचने के लिए करते हैं दीपदान।

2. अपने मृ‍तकों की सद्गति के लिए करते हैं दीपदान।

3. लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा हेतु करते हैं दीपदान।

5. यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए करते हैं दीपदान।

6. सभी तरह के अला-बला, गृहकलह और संकटों से बचने के लिए करते हैं दीपदान।

7. जीवन से अंधकार मिटे और उजाला आए इसीलिए करते हैं दीपदान।

8. मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं दीपदान।

9. किसी भी तरह की पूजा या मांगलिक कार्य की सफलता हेतु करते हैं दीपदान।

10. घर में धन समृद्धि बनी रहे इसीलिए भी कहते हैं दीपदान।

11. कार्तिक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।

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Dev Deepawali 2024: काशी की देव दीपावली विश्व प्रसिद्ध है। इस खास दिन का लोगों को साल भर इंतजार रहता है। देश दुनिया से लोग यहां इस अवसर पर वाराणसी घूमने आते हैं। लेकिन यहां कि देव दीपावली क्यों खास है, चलिए जानते हैं इस बारे में। इस वर्ष देव दीपावली पर बनारस में क्या खास होने वाला है इसके बारे में यहां जानेंगे। साथ ही जानेंगे इस दौरान भीड़-भाड़ होने पर आप किन बातों का ध्यान रखें, उसके लिए आपको ये आर्टिकल पूरा पढ़ना होगा।

क्यों मनाई जाती है देव दीपावली?

हर साल पवित्र शहर वाराणसी में देव दीपावली बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। देव दीपावली, जिसे देव दीवाली भी कहा जाता है, राक्षस त्रिपुरासुर (त्रिपुरासुर) पर भगवान शिव की जीत के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। इसलिए देव दीपावली उत्सव को त्रिपुरोत्सव या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, जो दीवाली के बाद कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन पर मनाया जाता है। इस अवसर पर बनारस देवाताओं का घर बन जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान धरती पर स्वयं दीपावली मनाने आते हैं। हर साल दुनियाभर से लोग बनारस में इस दिन घूमने आते हैं।

क्या है मान्यता?

देव दीपावली पर्व पर, श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन गंगा में पवित्र स्नान करते हैं। उसे दान पुण्य करने की भी परंपरा है। फिर शाम को मिट्टी के दीये जलाते हैं। आतिशबाजी की जाती है, शाम ढलते ही गंगा के तट पर सभी घाटों की सीढ़ियाँ लाखों मिट्टी के दीयों से जगमगा उठती हैं। न केवल गंगा के घाट बल्कि बनारस के सभी मंदिर भी लाखों दीयों से जगमगा उठते हैं।

2024 देव दिवाली(Dev Deepawali 2024)

इस वर्ष काशी के 84 घाटों और शहर के हर छोटे बड़े तालाबों के किनारे कुल 16 लाख दीप जलाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से करीब 3 लाख दीये गोबर से बनाए गए है। इसके अतिरिक्त पिछले दो सालों से जिस प्रकार लेजर शो किया जा रहा है, इस वर्ष भी शिव महिमा और मां गंगा पर लेजर शो का विशेष आयोजन किया जाएगा। साथ ही ग्रीन आतिशबाजी भी लोग घाट किनारे देख सकेंगे। वाराणसी प्रशासन ने इसके लिए तैयारी कई दिनों पूर्व ही शुरू कर दी है। इस बार 15 नवंबर को देव दीपावली है, काशी के अर्धचंद्राकार घाटों के साथ ही तालाब, कुंड और जलाशयों में भी दीये जलाए जाएंगे। गंगा की रेती पर भी दीये जलाए जाएंगे जिससे घाटों से गंगा पार का भव्य नजारा श्रद्धालुओं को देखने को मिलेगा।

यहां समझिए कार्यक्रम :

काशी में देव दीपावली पर घाटों पर अलग अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा:

  • बड़ी संख्या में लोग दीप जलाने के लिए एकत्रित होंगे, जिसमे 12 लाख दीप जलाने का लक्ष्य है।
  • प्रमुख घाटों पर आतिशबाजी का भी आयोजन होगा।
  • लेजर शो के माध्यम से गंगा अवतरण और शिव महिमा की कथा दिखाई जाएगी।
  • गंगा पार रेत पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए प्रदूषण रहित ग्रीन आतिशबाजी का आयोजन किया जाएगा।

कर रहे है बनारस घूमने की प्लानिंग तो इन बातों का रखे ध्यान:

  • इस विशेष दिन की खूबसूरती देखने आपको भी समय निकालना चाहिए और देव दीपावली देखने बनारस जरूर जाना चाहिए।
  • लेकिन, इस दिन यहां भीड़-भाड़ बहुत होती है। इसलिए आपको खासतौर पर इन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
  • ट्रेन और बस की टिकट आने जाने के लिए पहले ही बुक कर लें।ज्यादा भीड़ की वजह से दिक्कत हो सकती है।
  • प्रीबुकिंग होटल रूम की भी कर लें नहीं तो आपको एक भी जगह रहने को नहीं मिलेगी।
  • विशेष कर घट के नजदीक होटल और स्टे विकल्प रखे इससे आपको कम पैदल चलना होगा।
  • यदि आप खुद की गाड़ी से घूमने का सपना देख रहे है तो बिल्कुल भी इसकी प्लानिंग न करें क्योंकि घाट से 5 किलोमीटर पहले तक रास्ता बंद कर दिया जाता है।
  • लंका रोड की तरफ ही रहें। इससे आप नाव की सवारी करते हुए प्रमुख घाटों तक पहुंच जाएंगे।
  • गोदलिया रूट पर न जाएं। क्योंकि यहीं से प्रमुख घाटों का रास्ता है जिससे यहां पर बहुत ही ज्यादा भीड़ होती है।
  • घाट पर इंटरनेट से जुड़ी दिक्कत हो सकती है। अपने समानों का खास ख्याल रखें।
  • बड़ा समूह लेकर घूमने की प्लानिंग न करें।
  • कोशिश करिएगा की दोपहर में दिन में ही घाट पर पहुंच जाएं।
  • बिना किसी सामान के यहां जाएं । नहीं भीड़-भाड़ में आप परेशान हो सकते हैं।
  • बोट राइड के लिए कैश पैसे रखें।
  • चेतघाट पर लेजर शो और 3डी शो देख सकते हैं।
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