धामी सरकार कैबिनेट ने विश्वविद्यालय के अंब्रेला एक्ट के विधेयक को मंजूरी दे दी है। विधेयक पहले विधानसभा में पेश होगा, इसके बाद राजभवन से मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।

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इसके लागू होने के बाद बाद प्रदेश में अब हायर एजुकेशन सिस्टम में बदलाव हो जाएगा।

सबसे बड़ा असर राज्य के निजि विश्वविद्यालयों पर पड़ेगा। जिनकी मनमानी पर अब लगाम लगने जा रही है। निजि विवि में अब उत्तराखंड मूल के छात्रों को 25 प्रतिशत शुल्क माफ होगा। इसके साथ ही एक्ट लागू होने पर पहली बार निजि विवि में समूह ग और घ के सभी पदों पर उत्तराखंड के लोगों के लिए ही नौेकरी देनी होगी। अंब्रेला एक्ट आने के बाद सभी निजी विवि अपना शुल्क तय कर सकेंगे। निजी विवि को अब यूजीसी के नियमों के तहत की कुलपति का चयन करेगी। ​

एक नजर अंब्रेला एक्ट से क्या होगा बदलाव

  • निजी विवि में अनिवार्य तौर पर उत्तराखंड मूल के छात्रों का 25 प्रतिशत शुल्क माफ होगा।
  • सभी पाठ्यक्रमों में छात्रों की 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी जाएंगी।
  • निजी विश्वविद्यालयों में समूह-ग और समूह-घ के सभी पदों पर केवल उत्तराखंड मूल के युवाओं को ही नौकरी देनी होगी।
  • मनमानी करने वाले निजी विवि की राज्य सरकार जांच कर सकेगी।
  • जुर्माना व अन्य कार्रवाई कर सकेगी, जो अभी तय होना बाकी है।
  • अंब्रेला एक्ट आने के बाद सभी निजी विवि अपना शुल्क तय कर सकेंगे।
  • राज्य के करीब छह निजी विवि ऐसे हैं, जो कि शुल्क निर्धारण नहीं कर सकते थे।
  • शुल्क की जानकारी निजि विवि​ को अपनी वेबसाइट पर देनी होगी।
  • निजी विवि यूजीसी के नियमों के तहत कुलपति का चयन करेगी। ​चयन सर्ज कमेटी के माध्यम से होगा।
  • निजी विवि में अब चांसलर का पद नहीं होगा।
  • राज्यपाल निजी विवि के कुलाध्यक्ष होंगे।
  • विवि के चांसलर पद पर प्रबंधन के अधिकारी अब अध्यक्ष कहलाएंगे।
  • कुलपति के चयन की सर्च कमेटी कुलाध्यक्ष की अध्यक्षता में बनेगी।
  • इसमें विवि का अध्यक्ष, व्यवस्थापक मंडल से दो सदस्य, यूजीसी का सदस्य, सचिव उच्च शिक्षा सदस्य होंगे।

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