मेट्रोपोलिस में डीएम के आदेशों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ, अब तक नहीं हुई आमसभा, कॉलोनीवासी भड़के

Spread the love


रुद्रपुर, संवाददाता।जिला अधिकारी नितिन सिंह भदौरिया द्वारा मेट्रोपोलिस रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन सोसाइटी से जुड़ी शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार रुद्रपुर को पंजीकरण प्रक्रिया के लिए नामित किया गया था। आदेश के अनुसार, 11 मई को सुबह 11:30 बजे सोसाइटी सभागार में बैठक होनी थी, लेकिन हैरानी की बात है कि आज तक किसी भी प्रकार की आमसभा नहीं बुलाई गई है। कॉलोनीवासियों को इस संबंध में कोई सूचना तक नहीं दी गई।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह

तहसीलदार दिनेश कुमार कुटौला द्वारा बैठक की घोषणा की गई थी और सभी सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य बताई गई थी, लेकिन ज़मीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। न तो कोई बैठक आयोजित हुई और न ही पंजीकरण संबंधी कोई ठोस प्रक्रिया शुरू की गई। इस लापरवाही को लेकर कॉलोनीवासियों में भारी नाराज़गी है।

मेंबरशिप प्रक्रिया में भारी अनियमितता,करीब 1700 परिवारों वाली इस हाउसिंग सोसाइटी में अब तक केवल 200 के आसपास ही लोगों को मेंबरशिप दी गई है। वह भी अपने खास चेहरों और चहेते लोगों को। आम लोगों तक मेंबरशिप फॉर्म तक नहीं पहुंच रहे हैं। कई कॉलोनीवासी यह भी आरोप लगा रहे हैं कि जिला प्रशासन को गुमराह किया जा रहा है।

पूर्व में भी लगे हैं गंभीर आरोप,मेट्रोपोलिस की कार्यशैली को लेकर पूर्व में भी अनेक शिकायतें सामने आ चुकी हैं। कॉलोनीवासी पुलिस चौकी से लेकर कोर्ट और प्रशासनिक अधिकारियों तक अपनी गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब जब जिलाधिकारी ने खुद हस्तक्षेप कर तहसीलदार को जिम्मेदारी सौंपी थी, तो उसकी भी खुली अवहेलना हो रही है।

सुरक्षा व्यवस्था और पारदर्शिता की मांग,कॉलोनीवासियों की मांग है कि एक पारदर्शी आमसभा बुलाई जाए, जिसमें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों और सभी निवासियों को स्पष्ट रूप से सूचना दी जाए। यह भी स्पष्ट किया जाए कि मेंबरशिप प्रक्रिया में देरी और पक्षपात के पीछे कौन जिम्मेदार है।

डीएम को लेना चाहिए सख्त संज्ञान
,जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया की पहल पर उम्मीद जगी थी कि मेट्रोपोलिस में वर्षों से चली आ रही गड़बड़ियों पर अंकुश लगेगा, लेकिन अधिकारियों की निष्क्रियता और एसोसिएशन की मनमानी ने फिर से लोगों को निराश किया है। ज़रूरत इस बात की है कि जिलाधिकारी इस मामले में तत्काल संज्ञान लें, दोषियों पर कार्रवाई करें और आम जनता को भरोसे में लेते हुए प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएं।


संपादकीय टिप्पणी:मेट्रोपोलिस हाउसिंग सोसाइटी में चल रही यह ‘प्राइवेट राजशाही’ अब समाप्त होनी चाहिए। यह केवल मेंबरशिप का मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक भागीदारी और प्रशासनिक आदेशों की साख से जुड़ा सवाल है। जब 1700 परिवारों में से केवल 200 को ही मेंबर बनाया गया हो, तो सवाल उठाना स्वाभाविक है – क्या यह सोसाइटी कुछ गिने-चुने लोगों की जागीर बनकर रह गई है?मेट्रोपोलिस जैसे बड़े और तेजी से बढ़ते शहरों में जिला प्रशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, ट्रैफिक जाम, जल व कचरा प्रबंधन, अवैध निर्माण और कानून-व्यवस्था जैसी चुनौतियाँ प्रशासन के सामने निरंतर बनी रहती हैं। ऐसे में एक दक्ष, पारदर्शी और संवेदनशील जिला प्रशासन ही नागरिकों को सुचारु सेवाएँ प्रदान कर सकता है।आज आवश्यकता है कि मेट्रोपोलिस जिला प्रशासन तकनीकी नवाचारों को अपनाकर स्मार्ट गवर्नेंस की दिशा में आगे बढ़े। डिजिटल सेवाओं, ई-गवर्नेंस, जन-सुनवाई और सोशल मीडिया के माध्यम से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है। साथ ही, नगर निकायों और नागरिक समूहों के साथ समन्वय आवश्यक है ताकि समस्याओं का समाधान जमीनी स्तर पर हो सके।प्रशासन को चाहिए कि वह न केवल कानून का पालन करवाए, बल्कि जनहितकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करे। एक उत्तरदायी जिला प्रशासन ही मेट्रोपोलिस को रहने लायक, सुरक्षित और समृद्ध बना सकता है।

क्रमशः……….



Spread the love