लिहाजा, ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए तमाम सावधानियां बरतने की जरूरत है।
मैक्स अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलाजिस्ट डा. शमशेर द्विवेदी ने बताया कि सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ जाते हैं। जिसका मुख्य कारण ठंड के दौरान रक्त की धमनियों का सिकुड़ना है। जिसके चलते ब्लड प्रेशर बढ़ता है। ब्लड में अवरुद्धत्ता पैदा होती है।
इसके अलावा, ठंड के दौरान प्यास कम लगती है, लोग पानी कम पीते हैं। जिससे खून की तरलता कम हो जाती है। खून गाढ़ा हो जाता है। ठंड के मौसम में धमनियों के सिकुड़ने और खून के गाढ़ा होने से नसों में क्लाट बनने या फिर नस फटने के मामले देखे जाते हैं।
ये सावधानियां बरतें
अपने आप को ठंड से बचाएं, सुबह से शाम तक कम से कम दो लीटर पानी पिएं, ठंड के दौरान सुबह की सैर की जगह दोपहर को तापमान बढ़ने पर सैर करें, नहाते वक्त सीधा सिर पर पानी न डालें, पहले पैरों व हाथों पर और फिर पूरे शरीर पर पानी डालें।
इसका रखें ख्याल
नियमित जांच कराएं : उच्च रक्चाप, मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्राल स्तर जैसी स्वास्थ्य स्थितियों में समय-समय पर नियमित जांच कराएं।
धूमपान छोड़ना : धूमपान रक्तचाप बढ़ाता है और रक्त में आक्सीजन का स्तर कम करता है। रक्त के थक्कों के निर्माण को बढ़ावा देता है।
शराब का उपयोग सीमित करना : ज्यादा शराब के सेवन से आपका रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
मध्यम वजन बनाए रखना : अधिक वजन और मोटापा आपको अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम में डालता है और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाता है।
स्ट्रोक के चेतावनी संकेतों को कैसे पहचानें
चेहरे का विचलन : जैसे ही रोगी मुस्कुराता है, उसके चेहरे के एक या दोनों तरफ झुकने के लक्षण मांसपेशी पक्षाघात या कमजोरी का संकेत है।
बांहों की कमजोरी : स्ट्रोक के रोगियों में एक पक्ष पर मांसपेशियों की कमजोरी सामान्य है। उनसे कहें कि वे अपने हाथ ऊपर करें। अगर उनकी एक-तरफ कमजोरी है (और इसे पहले नहीं थी) तो एक बांह ऊपर रहेगी, जबकि दूसरी नीचे गिर जाएगी।
बोलने में परेशानी : अक्सर लोग बोलने की क्षमता खो देते हैं, जिससे उन्हें अपने शब्द गलत बोलने लगते हैं या सही शब्द चुनने में कठिनाई होती है।
प्रतिक्रिया का समय : तुरंत मदद प्राप्त करें क्योंकि सही समय पर उपचार प्राप्त करना बहुत आवश्यक है।