. उत्तराखंड के बागेश्वर में कपकोट के दूरस्थ क्षेत्र कुंवारी की तलहटी पर शंभू नदी में बार-बार आर्टिफिशियल झील बनने से ग्रामीणों में दहशत है. बीते महीने बनी झील की लंबाई ग्रामीणों ने करीब 2000 मीटर बताई थी.

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इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन ने सिंचाई खंड कपकोट के नेतृत्व में एक टीम भेजी. टीम ने झील की जांच के बाद 15 दिसंबर को झील का मुहाना खोलने का कार्य शुरू किया.

(संदेश)
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर

सिंचाई खंड कपकोट के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जगत सिंह बिष्ट के अनुसार, झील से काफी मात्रा में पानी की निकासी हो चुकी है और इसका आकार अब काफी छोटा हो गया है. हालांकि, ग्रामीणों के मुताबिक, झील की लंबाई अब भी 500 मीटर से अधिक है. एक कर्मचारी ने बताया कि झील खोलने का काम जोखिम भरा है. गाद के चलते झील में किसी व्यक्ति या मशीन (जेसीबी) को उतारना मुश्किल और खतरनाक है. गाद साफ न होने से झील बार-बार बन रही है.

झील का इतिहास और समस्या का कारण
शंभू नदी में झील बनने का यह कोई पहला मामला नहीं है. 2022 में पहली बार इस झील का अस्तित्व सामने आया था, जब प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से इसे खुलवाया. इसके बाद अप्रैल 2024 और नवंबर 2024 में फिर से झील बनी. जांच में पाया गया कि झील में भारी मात्रा में गाद जम रही है, जो झील बनने का मुख्य कारण है.

ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को गाद की सफाई के लिए स्थायी व्यवस्था करनी चाहिए. यह न केवल झील बनने की समस्या को हल करेगा, बल्कि आसपास के जंगली जानवरों के लिए भी सुरक्षित होग. हाल ही में एक जंगली जानवर की गाद में फंसने से मौत हो गई, जिससे पर्यावरणीय संकट गहरा रहा है. प्रशासन के अनुसार, झील का वर्तमान खतरा टल गया है, लेकिन गाद को स्थायी रूप से हटाने के लिए दीर्घकालिक योजना पर विचार किया जा रहा है. ग्रामीणों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए जल्द ही कदम उठाए जाएंगे. यह घटना स्थानीय प्रशासन की आपदा प्रबंधन क्षमता पर सवाल खड़े करती है. साथ ही, यह प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अधिक प्रभावी और स्थायी समाधान की मांग को बल देती है.


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