शिक्षकों के तबादलों से पहाड़ के अभिभावकों में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी।

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उत्तराखण्ड इस वर्ष शिक्षा विभाग में मानक से अधिक (15% निर्धारित सीमा ) से अधिक तबादले हो रहें हैं,जिससे पहाड़ के दुर्गम के बहुत से स्कूल खाली हो रहें हैं , एक तरफ तो सरकार पहाड़ के विकास की बात करती है,परन्तु विकास का जो प्रमुख स्तंभ शिक्षा है,उससे पहाड़ के बच्चों को विमुख नहीं किया जा सकता।

अध्यक्ष ,उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर ,उत्तराखंड

विभाग और सरकार को इससे बेहतर जिन सब्जेक्ट में शिक्षक नहीं हैं,प्रमुखता से उन शिक्षकों को पहाड़ भेजना चाहिए था। परन्तु विभाग द्वारा जो थे उनको भी अन्यत्र भेजा जा रहा है। पहाड़ों में भारी विरोध होने पर अब निदेशक महोदय द्वारा कोर्ट के आदेश का संज्ञान लेकर मुख्य शिक्षाधिकारियों को 70% से कम शिक्षक होने पर कार्यमुक्त न करने का आदेश दिया जा रहा है। परन्तु जब उत्तराखंड बनने के बाद आज तक बिना कॉउंसलिंग के तबादले होते रहे,तो इस साल कॉउंसलिंग इतनी जरूरी क्यों थी, जबकि सुनने में आया था कि विभागीय मीटिंग में कुछ अनुभवी अधिकारीयों द्वारा बताया गया था कि इससे दुर्गम के अधिकांश स्कूल शिक्षक विहीन न हो जाएँ। पहाड़ में बहुत सी जगह अभिभावकों में भारी नाराजगी है तथा कुछेक जगह सरकार के खिलाफ आंदोलन की भी तैयारी की जा रही है। अतः सरकार और माननीय शिक्षा मंत्री जी और माननीय मुख्य मंत्री जी से निवेदन है कि पहाड़ के स्कूलों को शिक्षक दीजिये,शिक्षक विहीन मत कीजिये,क्यों कि सरकारी स्कूलों में सिर्फ गरीब और निर्धन परिवारों के ही बच्चे अध्यनरत हैं,अमीर और रसूखदार लोग तो पहले ही पलायन कर चुके हैं। या जो हैं उनके बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहें हैं। सरकार हर साल पलायन को रोकने की बात करती है,यह पलायन का एक प्रमुख कारण है ,अतः इस पर माननीय मुख्यमंत्री जी और शिक्षा मंत्री जी को आगे आकर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।


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